सुप्रीम कोर्ट ने राजिव गांधी के हत्यारे की दया याचिका को खारिज किया

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उच्च न्यायालय ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के दोषी पेरारीवलन  की याचिका को खारिज कर दिया है. 27 साल से जेल में बंद पेरारीवलन  ने कोर्ट से अपने आदेश को वापस लेने और सज़ा रद्द करने की मांग की थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में उसकी पूरी याचिका सीबीआई के पूर्व एसपी त्यागराजन के हलफनामे पर आधारित है. SP के हलफनामे पर भरोसा नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने कहा कि 25 साल बाद इस तरह का हलफनामा स्वीकार नहीं, ये लापरवाही है और परजूरी के समान है. कोर्ट ने कहा इकबालिया बयान से साफ है कि पेरारीवलन  LTTE से जुड़ा था.

कोर्ट ने सवाल उठाया कि MDMA की जांच में देरी क्यों हो रही है. इस संबंध में श्रीलंका से जवाब लेकर कोर्ट को चार हफ्ते में बताया जाए. इसके जवाब में CBI ने कहा कि हत्या में पेरारीवलन  की भूमिका स्पष्ट है.

राजीव गांधी हत्याकांड में दोषी AG पेरारीवलन  की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की. इससे पहले सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर AG पेरारीवलन  की याचिका को ख़ारिज करने की मांग की है और कहा है कि ये केस दोबारा नहीं खोला जा सकता.

सीबीआई ने कहा कि राजीव गांधी हत्याकांड की जांच की हर स्तर पर जांच की गई है. सुप्रीम कोर्ट ने AG पेरारीवलन को राजीव गांधी हत्याकांड में 1999 में दोषी माना था और फांसी की सज़ा सुनाई थी. हालांकि बाद में दया याचिका के निपटारे में देरी के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सज़ा को उम्रकैद में बदल दिया था.

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ये है पूरा मामला

पेरारीवलन ने याचिका में कहा है कि सीबीआई के एसपी त्यागराजन के हलफनामे का हवाला दिया है कि उन्होंने इस तथ्य को छिपाया कि पेरारीवलन इस साजिश का हिस्सा नहीं था और उसे नहीं पता था कि 9 वोल्ट की बैटरी का क्या किया जाना है. पेरारीवलन के वकील ने कहा कि वो 26 साल से जेल में हैं और उन्हें 9 वोल्ट की दो बैटरी सप्लाई के लिए दोषी करार दिया गया था जिससे बम बनाकर राजीव गांधी की हत्या कर दी गई. हलफनामे में अफसर ने कहा था कि पेरारीवलन से बैटरी सप्लाई के बारे में सवाल नहीं किए.