एससी-एसटी एक्ट की पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने लिया चौंकाने वाला फैसला

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2 अप्रैल को देशभर में एससी-एसटी एक्ट में हुए बदलाव के विरोध में प्रदर्शन हुआ. जिसके बाद राजनीतिक गलियारों में खलबल मच गयी और सरकार ने इस फैसले के खिलाफ कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर कर दी. आज इस केस की सुनवायी के बाद उच्च न्यायालय ने एक बड़ा फैसला लिया है. न्यायलय ने फैसला लिया है कि अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति अधिनियम (एससी-एसटी एक्ट) में बदलाव अभी जारी रहेगा.

सरकार की याचिका पर फैसला

मंगलवार तीन अप्रैल को हुई सुनवायी के बाद कोर्ट ने कहा कि इस मामले में किसी प्रकार का स्टे नहीं लिया जाएगा. कोर्ट अपने फैसले पर किसी प्रकार का बदलाव नहीं करेगा. कोर्ट इस मसले पर केंद्र सरकार की ओर से दो अप्रैल दी गई पुनर्विचार याचिका पर खुली अदालत में सुनवाई कर रहा था. याचिका में स्टे की मांग उठाई गई थी, जिसके खारिज किए जाने के बाद सरकार के लिए यह किसी तगड़े झटके से कम नहीं है.

कोर्ट ने इसी के साथ कहा कि वह इस बाबत 10 दिनों में सुनवाई करेगा. तीन दिनों के भीतर सभी पक्षों को अपनी ओर से जवाब देना होगा. कोर्ट ने इसी के साथ स्पष्ट किया है कि शिकायत दर्ज करने वाले को मुआवजा दिया तुरंत दिया जाए. पीड़ित को किसी भी प्रक्रिया के कारण इंतजार नहीं करना पड़ेगा. अब सुप्रीम कोर्ट में इस मसले पर अगली सुनवाई 11 अप्रैल को होगी.

कोर्ट के अहम बयान

सुप्रीम कोर्ट ने कहा हम फिलहाल तुरंत गिरफ्तारी पर रोक के निर्देश पर रोक नहीं लगाएंगे. हालांकि SC/ST एक्ट में केस दर्ज दर्ज करने के लिए प्रारंभिक जांच जरूरी है. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि पीड़ित को मुआवजे का भुगतान तुरंत किया जा सकता है चाहे शिकायत आने के बाद FIR दर्ज ना हुई हो. कोर्ट ने ये भी स्पष्ट किया कि FIR IPC के अन्य प्रावधानों पर दर्ज हो सकती है.

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चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) दीपक मिश्रा ने इस पुनर्विचार याचिका पर खुली अदालत में सुनवाई के लिए जस्टिस आदर्श कुमार गोयल और जस्टिस यू.यू.ललित की बेंच का गठन किया था. मंगलवार को सुनवाई के बीच कोर्ट ने कहा कि हम इस एक्ट के खिलाफ नहीं है. लेकिन निर्दोष लोगों को बचाना बेहद जरूरी है. हमने एक्ट कमज़ोर नहीं की है, बल्कि गिरफ्तारी के सीआरपीसी के प्रावधान को परिभाषित किया है.

कोर्ट के अनुसार, “हमने एक्ट से कोई छेड़छाड़ नहीं हुई है. कोर्ट के बाहर क्या हो रहा है, उससे हमारा कोई मतलब नहीं है. हमारा काम कानूनी बिंदुओं पर बात करना और संविधान के तहत कानून का आंकलन करना है.” एक्ट के विरोध में सड़क पर उतरकर हिंसा फैलाने वालों पर निशाना साधते हुए कोर्ट ने कहा, “जो सड़क पर हंगामा कर रहे थे, उन्होंने हमारा जजमेंट पढ़ा भी नहीं होगा. हमें उन निर्दोष लोगों की चिंता सता रही है, जो जेलों के भीतर बंद हैं.”

मेरा देश जल रहा था

आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा एससी-एसटी एक्ट में हुए बदलाव के कारण सोमवार को देश हिंसा की आग में झुलसा था. दलित संगठनों ने एससी-एसटी एक्ट में बदलाव को लेकर विरोध प्रदर्शन किया था. लोग सड़कों पर उतर आ थे. जगह-जगह हिंसा, आगजनी और तोड़फोड़ की घटनाएं सामने आई थीं. मध्य प्रदेश में सबसे उग्र प्रदर्शन देखने को मिले. राजस्थान और उत्तर प्रदेश से भी हत्या की खबरें आयी. इतना ही नही, उग्र प्रदर्शन के चलते आम जन को काफी परेशानी हुई और जान-माल का भी नुकसान हुआ.