Success Story: बिहार के बेटे सुदीप शेखर ने किया कमाल का आविष्कार, दुनिया के हर गरीब मरीज कहेंगे ‘जुग-जुग जियो मेरे लाल’

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Success Story: बिहार के बेटे सुदीप शेखर ने किया कमाल का आविष्कार, दुनिया के हर गरीब मरीज कहेंगे ‘जुग-जुग जियो मेरे लाल’

Success Story: बिहार के बेटे सुदीप शेखर ने किया कमाल का आविष्कार, दुनिया के हर गरीब मरीज कहेंगे ‘जुग-जुग जियो मेरे लाल’

पटना: बिहार की धरती पर जन्में एक और बेटे ने अपने आविष्कार से दुनिया में नाम किया है। मूलरूप से राजधानी पटना के कंकड़बाग इलाके में रहने वाले डॉक्टर सुदीप शेखर ने एक ऐसे बायोमेडिकल सेंसर का आविष्कार किया है जो उन मरीजों के लिए मददगार होगी जिन्हें पैथोलॉजी पर मोटी रकम खर्च करनी होती है। खास बात यह है कि इस आविष्कार के लिए सुदीप शेखर को वैश्विक शिमेट साइंस पॉलीमैथ्स अवार्ड 2022 से सम्मानित किया गया है। इस अवॉर्ड को पाने वाले डॉक्टर सुदीप भारतीय मूल के पहले कनाडाई नागरिक हैं। फिलहाल डॉक्टर सुदीप शेखर कनाडा में रहते हैं और वहीं की नागरिकता ले रखी है।

क्या करते हैं डॉक्टर सुदीप
डॉक्टर सुदीप शेखर का परिवार अभी भी पटना के कंकड़बाग वाले मकान में रहते हैं। उनके पिता प्रो. सुनील कुमार सिन्हा भी यहीं रहते हैं। वहीं डॉक्टर सुदीप ब्रिटिश कोलंबिया यूनिविर्सिटी के इलेक्ट्रिकल एवं कंप्यूटर इंजीनियरिंग विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर हैं। सुदीप की स्कूलिंग पटना से हुई है। 12वीं के बाद उन्होंने भारत के प्रतिष्ठित IIT इंट्रेंस एग्जॉम को अच्छे रैंक के साथ क्रैक किया था। इसके बाद उन्होंने 2003 में IIT खड़गपुर से इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की। आगे की पढ़ाई के लिए वह अमेरिका चले गए और वहां 2005 से 2008 के बीच वाशिंगटन यूनिवर्सिटी से अपनी पीएचडी कंप्लीट की। 2008 से 2013 तक रिसर्च साइंटिस्ट के रूप में हिल्सबोरो ओरेगन इंटेल कॉर्पोरेशन में सर्किट अनुसंधान प्रयोगशाला में कार्य किया। 2013 में उन्होंने ECE डिपार्टमेंट ज्वाइन किया।
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वैश्विक शिमेट साइंस पॉलीमैथ्स अवार्ड 2022 मिलने से डॉक्टर सुदीप को रिसर्च कार्य के लिए पांच साल तक हर साल पांच-पांच लाख डॉलर यानी कुल लगभग 20 करोड़ मिलेंगे। डॉक्टर सुदीप को 5 जी चिप बना चुके हैं। उन्हें यंग एलुमनी एचीवर अवार्ड सहित कई पुरस्कार मिल चुके हैं।

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सुदीप के आविष्कार से क्या फायदा
डॉक्टर सुदीप के आविष्कार से मरीजों और उनके परिजनों को सबसे ज्यादा राहत मिलेगी। इस आविष्कार से पैथोलॉजी के खर्च में कमी आएगी। डॉ. शेखर की योजना है कि इस बायोसेंसर को इतना छोटा और डिस्पोजेबल बनाया जाए कि इसके उपयोग में आसानी हो। यह सस्ती होगी और विश्वसनीय बायोमेडिकल टेस्टिंग में सक्षम होगी। इसके आविष्कार से उत्तम क्वालिटी की चिकित्सा व्यवस्था सस्ती बनाई जा सकेगी। साथ ही इससे चिकित्सा व्यवस्था को दूर-दराज के इलाकों में पहुंचाने में भी मदद मिलेगी। बायोसेंसर सस्ता होने के चलते सामान्य दवा की दुकानों पर भी उपलब्ध होगा। इससे आम मरीजों और उनके परिजनों को पैथोलॉजी सहित अन्य चिकित्सकीय जांच के लिए शहर जाने की बाध्यता नहीं होगी।

बायोमेडिकल सेंसर एक फोटोनिक चिप की तरह है और यह क्रेडिट कार्ड के आकार तक सिकुड़ जाएगा। इससे रक्त, लार या मूत्र का इस्तेमाल कर शुगर, हृदय रोग, वायरल इन्फेक्शन सहित अन्य बीमारियों का पता मिनटों में लगाया जा सकेगा। इस चिप को स्मार्ट मोबाइल फोन से जोड़कर टेस्टिंग रिपोर्ट को देखा जा सकेगा।

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