मुज़फ्फरनगर: शांतिपूर्ण होली के लिए एसएसपी के बांटे गए पर्चे के हर तरफ चर्चे

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होली के मौक़े पर कोई सांप्रदायिक हिंसा न हो इसके लिए मुज़फ्फरनगर ज़िले के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अनंत देव ने एक दिलचस्प पहल की है. एसएसपी ने एक ख़ास सन्देश का पर्चा ज़िले भर में बंटवाया है और विशेष तौर पर मस्जिदों और मदरसों में भी भिजवाया है.

तो ये है अनूठी पहल

दरअसल इस्लाम के दूत पैगंबर मोहम्मद के जीवन की एक कहानी बहुत चर्चित है. मक्का में उनके पड़ोस में रहने वाली एक बूढ़ी औरत रोज़ उनके रास्ते में कूड़ा फेंक देती, वो अपने कपड़े साफ़ करते और बिना कुछ कहे आगे बढ़ जाते. ये सिलसिला कई दिनों तक चलता रहा. एक दिन बूढ़ी औरत ने कूड़ा नहीं फेंका. पैगंबर मोहम्मद ने जानकारी ली तो पता चला कि वो औरत बीमार है. पैगंबर मोहम्मद उस औरत का हालचाल पूछने उसके घर गए और ज़रूरत पड़ने पर मदद की पेशकश की. इससे प्रभावित होकर उस महिला ने इस्लाम अपना लिया.

उत्तर प्रदेश के मुज़फ़्फ़रनगर में पुलिस ने इसी कहानी का सहारा लेकर होली के मौक़े पर लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश का ये ज़िला सांप्रदायिक रूप से बेहद संवेदनशील है और यहां साल 2013 में एक बड़ा दंगा हुआ था जिसमें 60 से अधिक लोग मारे गए थे.

थोड़े से सहनशील होने की ज़रुरत

एसएसपी अनंत देव ने अपनी इस काबिल-ए-तारीफ़ पहल पर बात करते हुए कहा, “होली हिंदुओं का त्योहार है. कई बार रंग पड़ जाने पर या मस्जिद या मदरसे की दीवार पर रंग पड़ जाने पर विवाद हो जाता है. मुसलमान होली के दिन संयम बरतें, इसलिए मैंने ये अपील की है. उनके मन में ये बात आनी चाहिए कि सांप्रदायिक और सामाजिक सौहार्द बनाने की ज़िम्मेदारी हम सबकी है. इसलिए ही मैंने ये अपील की है.”

एसएसपी अनंत देव कहते हैं, “अगर होली के दिन किस मुसलमान पर या किसी दीवार पर रंग पड़ जाए तो उस पर विवाद नहीं होना चाहिए. दीवार पर पड़ा रंग या कपड़े पर पड़े छींटे साफ़ हो जाएंगे. इतनी उदारता, सब्र और सहनशीलता, समझ और धैर्य लोगों को दिखाना है, इसलिए ही मैंने पैगंबर मोहम्मद के जीवन की कहानी दी है जो उनके आचरण को दिखाती है.”

ताली दोनों हाथ से बजती है

पुलिस की इस अपील का शहर के मुसलमानों और हिंदुओं ने स्वागत किया है. लोगों का कहना है कि  “पैगंबर की हदीस बयान कर पुलिस ने लोगों को समझाने की कोशिश की है ये अच्छी बात है.”

हालांकि कुछ लोगों का ये भी मानना है कि पुलिस को हिंदुओं से भी इसी तरह पर्चा जारी कर हुड़दंग न मचाने की अपील करनी चाहिए थी. लोगों की राय में “बेहतर होता कि पर्चा दूसरी ओर के लोगों के लिए भी जारी किया जाता क्योंकि होली तो हिंदू मनाते हैं. उनसे भी हुड़दंग न करने की अपील की जानी चाहिए थी. होली पर मस्जिदों को ढक देना मसले का हल नहीं है. लेकिन फिर भी ये एक बहुत अच्छी कोशिश है.”

Hindu muslim -

हर किसी की सहनशीलता की ज़रुरत

एसएसपी अनंत देव ने इस बात का जवाब देते हुए कहा कि ईद और बकरीद के मौके पर वो इसी तरह की अपील हिंदुओं के लिए जारी करेंगे. उन्होंने कहा, “बकरीद के मौके पर कई बार लोग नाली में ख़ून देखकर भड़क जाते हैं या कुत्ता मुंह में हड्डी ले जाता है तो उससे भी भड़क जाते हैं. हम बकरीद के मौके पर ऐसे ही धीरज रखने की अपील हिंदुओं से भी करेंगे.”

मुज़फ्फर्नगर के कुछ हिंदूवादी कार्यकर्ताओं ने इस क़दम पर टिप्पणी करते हुए कहा, “क़ानून व्यवस्था और शांति बनाए रखना पुलिस की ज़िम्मेदारी है. इसी दिशा में पुलिस ने ये अच्छी पहल की है. हमने इस बारे में शहर के कई लोगों से बात की. सभी ने इसे सकारात्मक नज़रिए से देखा है. होली के दिन ही जुमा भी है. भगवान न करे किसी के ऊपर रंग गिर जाए तो मामला बिगड़ सकता है. ऐसे में पुलिस अधीक्षक ने अपनी दूरदर्शी सोच से ये क़दम उठाया है.”

इतिहास को देखकर वर्तमान की फ़िक्र

गौरतलब है कि मुजफ़्फरनगर सांप्रदायिक रूप से यूपी का बेहद संवेदनशील ज़िला है. हाल के सालों का सबसे बड़ा दंगा यहीं हुआ है. सांप्रदायिक हिंसा की अधिकतर वारदातें त्योहारों के मौक़े पर ही होती हैं. ऐसे में पुलिस के इस क़दम को शहर में एक अच्छी शुरुआत के तौर पर देखा जा रहा है.

स्थानीय मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक  “मुज़फ़्फ़रनगर में शांति क़ायम रखना पुलिस के लिए हमेशा से चुनौतीपूर्ण रहा है. हाल के महीनों में पुलिस ने ऐसा करने में कुछ हद तक कामयाबी भी हासिल की है. पुलिस शांति बनाए रखने के नए तरीके तलाश रही है. उसी दिशा में ये क़दम उठाया गया है जिसका लोगों पर असर भी दिख रहा है.”