समाजवादी पार्टी (सपा) के और एक विधान परिषद सदस्य ने बुधवार को उच्च सदन की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। पिछले एक पखवाड़े के दौरान सपा को यह ऐसा चौथा झटका है। सदन के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सपा के विधान परिषद सदस्य अशोक वाजपेयी ने सभापति रमेश यादव को अपना त्यागपत्र सौंप दिया है। वाजपेयी पिछले करीब एक पखवाड़े के दौरान इस्तीफा देने वाले सपा के चौथे विधान परिषद सदस्य हैं। इससे पहले गत 29 जुलाई को सपा विधान परिषद सदस्यों बुक्कल नवाब तथा यशवंत सिंह जबकि चार अगस्त को सरोजिनी अग्रवाल ने विधान परिषद की सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद भाजपा का दामन थाम लिया है।
वाजपेयी सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के नजदीक माने जाते थे। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सात अगस्त को एक कार्यक्रम में पार्टी विधान परिषद सदस्यों के इस्तीफे पर कहा था कि जिन्हें जाना है वह कोई अनर्गल बहाना बनाये बगैर चले जाएं, ताकि उन्हें भी पता लग सके कि उनके बुरे दिनों में कौन उनके साथ है।
अखिलेश ने कहा, “एमएलसी तोड़ना राजनीतिक भ्रष्टाचार है। बुक्कल नवाब अगर कैद नहीं हुए होंगे, तो मैं उनसे पूछूंगा कि क्या कारण है।” उन्होंने कहा, “अगर मायावती चुनाव लड़ती हैं, तो मैं केवल इतना कहूंगा कि समाजवादियों के सबसे अच्छे संबंध हैं। परिस्थिति के अनुसार राजनीति में किसकी कब मदद करनी पड़े, उसके लिए तैयार रहना चाहिए।”
सपा सुप्रीमो के बाद बीएसपी अध्यक्ष मायावती ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा ने सत्ता की भूख में सारी हदें पार कर दी हैं। मणिपुर, गोवा, बिहार, गुजरात और अब उत्तर प्रदेश में जो हो रहा है वो लोकतंत्र के लिए खतरा है
बता दें कि 31 जुलाई को ही बहुजन समाजवादी पार्टी के एमएलसी जयवीर सिंह भी अपनी पार्टी छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गये थे। पार्टी से लगातार इस्तीफा दे रहे नेताओं पर उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कड़ी प्रतिक्रिया दी थी, भारतीय जनता पार्टी पर राजनीतिक भ्रष्टाचार करने का आरोप लगाया था।