देश के सारे विपक्षी दलों को एकजुट करने की कोशिश में लगी है सोनिया गाँधी

325

2019 में अगामी लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा की मुश्किलें बढ़ती नज़र आ रही हैं. भाजपा को एक बार फिर बड़ी जीत की उम्मीद है लेकिन विपक्ष उनके इस सपने को कड़ी चुनौती देने की तैयारी कर रहा है. हाल ही में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने मेघालय दौरे के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए उन पर चर्चों को पैसे ऑफर करने का बड़ा आरोप लगाया है. इसके साथ ही राहुल ने पीएम मोदी पर लोगों के भूखे मरने का आरोप भी लगाया. इन सबके बाद अब खबर है कि कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने भाजपा के विपरीत तमाम विपक्षी दलों को एक मंच पर साथ लाने की कवायद शुरू कर दी है.

सोनिया की अगुवाई में विपक्षी दलों की बैठक

लोकसभा के आगामी चुनाव के मद्देनजर संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) अध्यक्ष सोनिया गांधी ने गुरुवार को विपक्षी दलों की एक बैठक बुलाई. कुछ अनुभवी विपक्षी नेताओं ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी की अगुआई में एकजुट होने को लेकर ऐतराज जताया था, जिसके तहत अब सोनिया गाँधी सक्रिय हो गई हैं. दावा किया जा रहा है कि इस बैठक में विपक्षी पार्टियों के करीब डेढ़ दर्जन प्रतिनिधि शामिल हुए हैं. ये बैठक संसद की लाइब्रेरी में होने वाली है.

विभिन्न क्षेत्रीय दलों का युवा नेतृत्व जैसे कि राजद नेता तेजस्वी यादव, सपा के नए सुप्रीमो अखिलेश यादव, डीएमके अध्यक्ष एमके स्टालिन, उमर अब्दुल्ला आदि नेताओं को तो सोनिया के इस कदम से कोई ऐतराज़ नहीं है. लेकिन पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री एवं तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने दिल्ली में सोनिया गांधी द्वारा बुलाई गई विपक्षी पार्टियों की बैठक में शरीक होने से मना किया है. जाहिर होता है की तृणमूल कांग्रेस को राहुल के नेतृत्व वाली पार्टी से दिक्कत है उन्होंने खुले तौर पर तो अपनी व्यथा व्यक्त नहीं की है. लेकिन ममता बनर्जी का कहना है कि मैं कल की बैठक में शामिल नहीं हो पाऊंगी, क्योंकि मेरे पहले से कुछ कार्यक्रम तय हैं.’

गौरतलब है कि ममता बनर्जी ने चुनाव फंडिंग को लेकर बीजेपी और कांग्रेस दोनों की आलोचना की है.

सोनिया गाँधी का मकसद

सियासी पंडितों के अनुसार एकजुटता के sshh -माध्यम से सोनिया विपक्ष के तमाम दलों को और देश को भी यह संदेश देना चाहती हैं कि कांग्रेस भाजपा से मुकाबला करने के लिए तमाम विपक्षी दलों से हाथ मिलाने को तैयार है. दूसरी ओर वे यह भी बताना चाह रही हैं कि विपक्ष का सबसे बड़ा दल होने के नाते भाजपा के खिलाफ अगर कोई साझा मोर्चा बनता है तो उसकी अगुआई कांग्रेस ही करेगी, किसी अन्य नेता को यह मौका नहीं दिया जाएगा.