इतिहास के लड़ाई की कुछ ऐसी रणनीति जिस ने युद्ध का परिणाम ही बदल दिया

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आज में आप को बताने जा रहा हु इतिहास में कुछ ऐसे भी युद्ध हुए जिसमें बहुत ही सूझबूझ तथा रणनीति का प्रोयग किया गया जिस से की युद्ध का परिणाम ही बदल दिया |

गुरु गोबिंद सिंह जी के युद्ध की रणनीति :-

जब बात इतिहास के युद्ध की रणनीति का है तो, सब से पहला नाम में लूंगा गुरु गोबिंद सिंह जी का, जिसके कमाल की रणनीति ने मुग़ल सेना की लाखों सैनिकों को मौत के घाट उतारा था और मुग़ल साम्राज्य का अंत कर दिया था । इस रणनीति की प्रमुख बातें इस प्रकार थी । यह युद्ध जिसे चमकौर के युद्ध के नाम से भी जाना जाता है, जिसके बारे में सुनते ही गर्व सा महसूस होता है। 1704 में 21, 22, और 23 दिसम्बर को गुरु गोविंद सिंह और मुगलों की सेना के बीच पंजाब के चमकौर में लड़ा गया था। इस युद्ध में सिक्खों के दसवें गुरु गोविंद सिंह जी के नेतृत्व में 40 सिक्खों का सामना वजीर खान के नेतृत्व वाले 10 लाख मुग़ल सैनिकों से हुआ था।

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“चिड़ियों से मै बाज लडाऊ गीदड़ों को मैं शेर बनाऊ ,सवा लाख से एक लडाऊ तभी गोबिंद सिंह नाम कहउँ”

गुरु गोविंद सिंह ने इस युद्ध का वर्णन “जफरनामा” में किया है |  इस रणनीति में गरूदेव अपने चालीस सिक्खों को छोटी छोटी टुकड़ियों में बाँट कर उनमें बचा खुचा असलहा बाँट दिया और सभी सिक्खों को मुकाबले के लिए मोर्चो पर तैनात कर दिया। अब सभी को मालूम था कि मृत्यु निश्चित है परन्तु खालसा सैन्य का सिद्धान्त था कि शत्रु के समक्ष हथियार नहीं डालने केवल वीरगति प्राप्त करनी है। “चिड़ियों से मै बाज लडाऊ गीदड़ों को मैं शेर बनाऊ ,सवा लाख से एक लडाऊ तभी गोबिंद सिंह नाम कहउँ” इस बात को सुन के सभी सीखो के अंदर से मौत का कोई खौफ ही नहीं रहा तथा गुरूदेव जी ने तो एक-एक सिक्ख को सवा-सवा लाख के साथ लड़ाने की सौगन्ध खाई। इस रणनीति से गुरु गोविंद सिंह ने 10 लाख मुग़ल सैनिकों मार गिराया |

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चंगेज़ खान की मंगोल सेना की रणनीति:-

चंगेज़ खान की मंगोल सेना अक्सर एक रणनीति का प्रयोग करते थे | यह तरकीब काफी आसान थी। पहले तो मंगोल सेना किले पर या दुश्मन सेना पर हमला करती और फिर भाग जाती है। और दुश्मन सेना जो किले मे होती वह यह सोचती की मंगोल लोग उनसे डर गए और फिर किला छोड़ उनका पीछा करने लग जाते।  और तभी जब मंगोल सेना को मुनासिब जगह मिलती वह पीछे मुड़कर हमला कर देते और इससे दुश्मन भौचक्का रह जाता और उनकी सोचने की क्षमता चली जाती थी। यही मैदान मे खड़ी सेना के साथ भी होता था और कई दफा इनकी एक सेना की टुकड़ी छुपी भी रहती थी।

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नोबुनागा ओदा की रणनीति :-

नोबुनागा ओदा ने इमागावा की 20 हज़ार की सेना को केवल अपनी 3000 की सेना से हराया था। इस रणनीति में नोबुनागा ने अपने किले मे पुतले लगा दिये थे सैनिको के और अपने सैनिको को ढोल नगाड़े बजाने को कहा और बहुत ही शोर करने को कहा। इस कारण इमागावा सेना को लगा की नोबुनागा के पास बड़ी सेना है और वह लोग कुछ ही अपने शिविर गाड़कर बैठ गये। मौका देख नोबुनागा ने रात मे हमला किया और इमागावा को हराया।

रूस की सेना द्वारा अपनाई गई रणनीति:-

सन 1812 में नेपोलियन और रूस की सेना के बीच लड़ी गई लड़ाई में रूस की सेना द्वारा अपनाई गई रणनीति । नेपोलियन जिस राज्य को पराजित करता था उसका अनाज , कपडे और घरों का उपयोग करके आगे बढ़ता था परन्तु रुसी सेना पीछे हटती गई और गर्म कपड़े , अनाज के भंडार नष्ट करती गई । इस रणनीति से नेपोलियन फंसता गया । जब तक नेपोलियन मास्को पहुंचा तब तक उसके 6 लाख में से 5 लाख सैनिक भूख और ठण्ड से मर गए थे और अंत में युद्ध हार गया ।