समलैंगिक संबंधों को लेकर कई देशों में मिलती है मौत की सजा

601

नई दिल्ली: समलैंगिकता को अपराध के तहत लाने वाली संविधान की धारा 377 को रद्द किए जाने वाली मांग को लेकर आज यानी की बुधवार को भी इस मामले को लेकर कोर्ट में सुनवाई जारी है. बीते दिन से इस मामले को लेकर पांच न्यायाधीशों की एक बेंच सुनवाई कर रही है. इस संवैधानिक पीठ के पांच जजों में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के अतिरिक्त चार और जज हैं, जिनमें से आरएफ नरीमन, एएम खानविलकर, डीवाई चंद्रचूड़ और इंदु मल्होत्रा शामिल हैं.

जहां एक तरफ इस मामले को लेकर भारत देश की संवैधानिक पीठ इस पर बहस कर रही है. वहीं हम आपको अब उन देशों के बारे में बताने जा रहें है जहां समलैंगिक संबंधों कानूनी रूप से सही हैं और वे देश जहां समलैंगिक होना अपराध है. बता दें कि कई देशों में तो इसके लिए आरोपी को मौत की सजा भी दी जाती है.

Death Penalty 1 -

 

किन देशों में समलैंगिक होने पर मिलती है कड़ी सजा

आपको बता दें कि सूडान, ईरान, सऊदी अरब, यमन में समलैंगिक लोगों को मौत की सजा सुनाई जाती है. वहीं सोमालिया और नाइजेरिया के कुछ जगहों में भी गे सेक्स के बदले मौत की सजा लोगों को मिलती है. हालांकि, दुनिया के 13 देश ऐसे हैं जहां समलैंगिक यौन संबंधों के लिए मृत्युदंड का प्रावधान है. ये ही नहीं अफगानिस्तान,पाकिस्तान और कतर में भी समलैंगिकता के लिए मौत की सजा दी जाती है. कुछ देश ऐसे जहां इस मामले को अपराध की श्रेणी में रखा गया है और इस पर जेल की सजा सुनाई जाती है.

यह भी पढ़ें: समलैंगिकता हिंदुत्व के खिलाफ- सुब्रमण्यम स्वामी

किन देशों ने समलैंगिक शादियों को दी मान्यता

वहीं कुछ देश ऐसे भी है जहां पर समलैंगिकता को लेकर कोई सख्ती नहीं बरती जाती है. इसको कोई अपराध की श्रेणी में नहीं देखा जाता है. जहां इस प्रकार की कोई सजा नहीं होती है वह देश है बेल्जियम, कनाडा, स्पेन, दक्षिण अफ्रीका, नॉर्वे, स्वीडन, आइसलैंड, पुर्तगाल, अर्जेंटीना, डेनमार्क, उरुग्वे, न्यूजीलैंड, फ्रांस, ब्राजील, इंग्लैंड, स्कॉटलैंड, लग्जमबर्ग, फिनलैंड, आयरलैंड और ग्रीनलैंड इत्यादि. इन देशों में समलैंगिक शादियों को मान्यता प्राप्त हो चुकी है.

इसकी शुरुआत सबसे पहले नीदरलैंड में देखी गई थी. यहां दिसंबर 2000 में समलैंगिक शादियों को कानूनी रूप से सही समझा गया था. इसी के चलते साल 2015 में अमेरिका के कोर्ट ने भी समलैंगिक शादियों को वैध करार घोषित कर दिया था. हालांकि 2001 तक इस मामले को लेकर 57 फीसदी अमेरिकी इसका विरोध करते नजर आए थे. पिछले साल ही ऑस्ट्रेलिया की संसद ने भारी बहुमत से समलैंगिक शादियों को मान्यता दी है, सिर्फ 150 सदस्यों के संसद में सिर्फ चार सदस्यों ने ही इसके खिलाफ अपना पक्ष रखा था.

HOMOSEXUAL STUDENT 1 -

अब देखने यह होगा कि भारत की अदालत इस मामले में क्या फैसला लेती है. समाज को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट के लिए इस मामले में फैसला लेना काफी चुनौती पूर्ण रहेगा.