जानियें, स्वतंत्रता सेनानियों के प्रसिद्द नारे

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आजादी के जश्न में पूरा देश डूबने को है या फिर यू कहें कि पूरा देश आजादी के जश्न में डूब चुका है। आजादी के इस पावन बेला पर आजादी से जुड़ी एक ऐसी जानकारी से आपको रूबरू कराने जा रहे है, जिसे आप जानते तो होंगे लेकिन आपकी यादें ताजा हो जाएंगे।
जी हाँ, आज हम आपको आजादी से जुडें हुए ऐसे नारों की जानकारियां लाएं जिससे पढ़ते ही आपका भी दिल झूम उठेगा। तो चलिए बताते है कि इस रेस में कौन-कौन से नारे शामिल है।

बाल गंगाधर तिलक- ‘स्वराज मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है, और मैं इसे लेकर रहूँगा’। तिलक दिया गया यह नारा उनके साथी Joseph “Kaka” Baptista द्वारा 1898 के आस-पास बनाया गया था। यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सबसे प्रसिद्द नारों में से एक है। साथ ही इसके प्रयोग से करोड़ों भारतीय प्रेरित हो freedom struggle का हिस्सा बने।

लाल बहादुर शास्त्री- ‘जय जवान जय किसान।’ भारत के दूसरे पीएम श्री लाल बहादुर शास्त्री जी ने सन 1965 में रामलीला मैदान, दिल्ली में एक जनसभा को संबोधित करते हुए देश को यह ओजपूर्ण नारा दिया था।

सुभाष चन्द्र बोस- ‘जय हिन्द’ नेताजी ने यह नारा 1947 में create किया था और वे इसे हर एक मीटिंग या भाषण के अंत में बोलते थे. बाद में इस नारे को राष्ट्रीय नारे के रूप में स्वीकार कर लिया गया।

महात्मा गांधी- ‘करो या मरो।’ Quit India Movement के दौरान गाँधी जी ने 8 अगस्त 1942 को मुंबई में एक सभा में “करो या मरो”, “Do or Die” का नारा दिया था।

मदन मोहन मालवीय-‘सत्यमेव जयते।’ मालवीय जी ने मुण्डक उपनिषद से यह term लिया और इसे प्रसिद्द बनाया।

भगत सिंह- ‘इंकलाब जिंदाबाद’। यह नारा मुस्लिम लीडर हसरत मोहानी जी द्वारा बनाया गया था, जिसे भगत सिंह ने लोकप्रिय बनाया। भगत सिंह ने यही नारा लगाते हुए 8 April 1929 को अपने साथी बटुकेश्वर दत्त के साथ Central Legislative Assembly में बम फेंका था।

बंकिमचंद्र चटर्जी- ‘वन्दे मातरम्’,यह नारा देश के क्रांतिकारियों के बीच प्रसिद्द था. इसे 1882 में श्री बंकिमचन्द्र चटर्जी ने अपनी रचना “आनंदमठ” में प्रयोग किया था।

रानी लक्ष्मीबाई-‘मैं अपनी झाँसी नहीं दूँगी’।
1858 में जब Sir Hugh Rose के नेत्रित्व में ब्रिटिश सेना ने झाँसी पर कब्ज़ा करने की कोशिश की तब महान वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई ने हथियार डालने से मन कर दिया।