sidhi: हरे कचरे से खाद बनाने का प्रोजेक्ट चढ़ा लापरवाही की भेंट | sidhi: The project of making compost from green waste fell victim to n | Patrika News
सतनाPublished: May 13, 2023 09:23:08 pm
दस लाख की मशीन दो साल से ताले में कैद, बेकार में फेंक दिया जा रहा हरा कचरा
-संजीवनी पालिका बाजार परिषर में स्थापित किया गया था बायोकंपोस्ट प्लांट, ताकि हरी सब्जियों के अवशेष से बनाई जा सके खाद
-मिनी स्मार्ट सिटी मद से स्थापित प्लांट का नहीं हो पाया श्री गणेश
sidhi: The project of making compost from green waste fell victim to n
सीधी। शहर में हरे कचरे से जैविक खाद बनाने का प्रोजेक्ट जिम्मेदारों की लापरवाही से ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ है। मिनी स्मार्ट सिटी मद से शहर के संजीवनी पालिका बाजार में वर्ष 2021 में बायोकंपोस्ट प्लांट स्थापित किया गया था। बायोकंपोस्ट प्लांट का कंपलीट सेटअप मिनी स्मार्ट सिटी के संविदाकार द्वारा तैयार कर दिया गया था। अब केवल उसमें सब्जी मंडी से प्रतिदिन एकत्रित होने हरे कचरे को मशीन के माध्यम से विनष्ट कर कैरेट में जमा करते हुए एक प्रोसेस के तहत जैविक खाद के रूप में तैयार किया जाना था। लेकिन जिम्मेदारों की लापरवाही से बायो कंपोस्ट प्लांट ताले में कैद है।
बता दें कि मिनी स्मार्ट सिटी के तहत पहले चरण में शहर में 12 घटकों में कार्य किया गया था। जिसमें एक प्रमुख घटक के रूप में बायो कंपोस्ट प्लांट की संजीवनी पालिका बाजार में स्थापना की गई थी। यह एक आर्टीफीसियल कंपलीट बायोप्लांट था, शासन द्वारा अपू्रव्ड कंपनी से क्रय किया गया था। इसकी लागत 10.34 लाख रुपये थी।
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प्रतिदिन निकल रहा सैकड़ो क्विंटल हरा कचरा-
संजीवनी पालिका बाजार के व्यापारियों की माने तो यहां से प्रतिदिन सैकड़ो क्विंटल सब्जियों के अवशेष बचते हैं। नगर पालिका द्वारा उक्त कचरे को एकत्रित कर सामान्य कचरे में मिला दिया जाता है और एक साथ फेंक दिया जाता है। हरे कचरा का अलग से संधारण कर उसे खाद के रूप में तब्दील किया जा सकता है। इसी की मंशा के तहत बायो कंपोस्ट प्लांट की स्थापना भी की गई थी, लेकिन इसका उपयोग नहीं हो पा रहा है।
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ऐसे में खराब हो जाएगी मशीनरी-
बायो कंपोस्ट प्लांट 10.34 लाख रुपये की लागत से तैयार किया गया है। इसे वर्ष 2021 में संजीवनी पालिका बाजार के अंदर एक चबूतरे में स्थापित किया गया था। लेकिन अब तक यहां से हरे कचरे को खाद के रूप में तब्दील करने की प्रक्रिया शुरू नहीं की गई। स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि प्लांट ताले में कैद होने से लाखों की मशीनरी खराब हो जाएगी।
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सतनाPublished: May 13, 2023 09:23:08 pm
दस लाख की मशीन दो साल से ताले में कैद, बेकार में फेंक दिया जा रहा हरा कचरा
-संजीवनी पालिका बाजार परिषर में स्थापित किया गया था बायोकंपोस्ट प्लांट, ताकि हरी सब्जियों के अवशेष से बनाई जा सके खाद
-मिनी स्मार्ट सिटी मद से स्थापित प्लांट का नहीं हो पाया श्री गणेश
sidhi: The project of making compost from green waste fell victim to n
सीधी। शहर में हरे कचरे से जैविक खाद बनाने का प्रोजेक्ट जिम्मेदारों की लापरवाही से ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ है। मिनी स्मार्ट सिटी मद से शहर के संजीवनी पालिका बाजार में वर्ष 2021 में बायोकंपोस्ट प्लांट स्थापित किया गया था। बायोकंपोस्ट प्लांट का कंपलीट सेटअप मिनी स्मार्ट सिटी के संविदाकार द्वारा तैयार कर दिया गया था। अब केवल उसमें सब्जी मंडी से प्रतिदिन एकत्रित होने हरे कचरे को मशीन के माध्यम से विनष्ट कर कैरेट में जमा करते हुए एक प्रोसेस के तहत जैविक खाद के रूप में तैयार किया जाना था। लेकिन जिम्मेदारों की लापरवाही से बायो कंपोस्ट प्लांट ताले में कैद है।
बता दें कि मिनी स्मार्ट सिटी के तहत पहले चरण में शहर में 12 घटकों में कार्य किया गया था। जिसमें एक प्रमुख घटक के रूप में बायो कंपोस्ट प्लांट की संजीवनी पालिका बाजार में स्थापना की गई थी। यह एक आर्टीफीसियल कंपलीट बायोप्लांट था, शासन द्वारा अपू्रव्ड कंपनी से क्रय किया गया था। इसकी लागत 10.34 लाख रुपये थी।
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प्रतिदिन निकल रहा सैकड़ो क्विंटल हरा कचरा-
संजीवनी पालिका बाजार के व्यापारियों की माने तो यहां से प्रतिदिन सैकड़ो क्विंटल सब्जियों के अवशेष बचते हैं। नगर पालिका द्वारा उक्त कचरे को एकत्रित कर सामान्य कचरे में मिला दिया जाता है और एक साथ फेंक दिया जाता है। हरे कचरा का अलग से संधारण कर उसे खाद के रूप में तब्दील किया जा सकता है। इसी की मंशा के तहत बायो कंपोस्ट प्लांट की स्थापना भी की गई थी, लेकिन इसका उपयोग नहीं हो पा रहा है।
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ऐसे में खराब हो जाएगी मशीनरी-
बायो कंपोस्ट प्लांट 10.34 लाख रुपये की लागत से तैयार किया गया है। इसे वर्ष 2021 में संजीवनी पालिका बाजार के अंदर एक चबूतरे में स्थापित किया गया था। लेकिन अब तक यहां से हरे कचरे को खाद के रूप में तब्दील करने की प्रक्रिया शुरू नहीं की गई। स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि प्लांट ताले में कैद होने से लाखों की मशीनरी खराब हो जाएगी।
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