sidhi: आसमान में बादलों डेरा, फ सल सुरक्षित करने में जुटे किसान | sidhi: Clouds encamped in the sky, farmers engaged in securing crops | Patrika News

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sidhi: आसमान में बादलों डेरा, फ सल सुरक्षित करने में जुटे किसान | sidhi: Clouds encamped in the sky, farmers engaged in securing crops | Patrika News


sidhi: आसमान में बादलों डेरा, फ सल सुरक्षित करने में जुटे किसान | sidhi: Clouds encamped in the sky, farmers engaged in securing crops | Patrika News

सतनाPublished: Mar 16, 2023 10:09:48 pm

बारिश व ओलवृष्टि की संभावना से बढ़ी किसानों की चिंता
-खेत में पककर तैयार दलहनी व तिलहनी फ सलों की कटाई व मिजाई कर सुरक्षित कर रहे किसान
-बारिश व ओला वृष्टि हुई तो दलहनी व तिलहनी फ सलों को होगा काफ ी नुकसान

sidhi: Clouds encamped in the sky, farmers engaged in securing crops

sidhi: Clouds encamped in the sky, farmers engaged in securing crops

सीधी। मौसम का मिजाज अचानक बदल गया है। गुरूवार को दिन भर आसमान में बादलों का डेरा रहा। मौसम विभाग द्वारा बारिस और ओलावृष्टि की संभावना जताने से किसानों की चिंता बढ़ गई है। क्योंकि यदि इस समय बारिस और ओालावृष्टि होती है तो किसानों की दलहनी और तिलहनी फसलें पूरी तरह से नष्ट हो जाएगी। क्योंकि जिले में दलहनी और तिलहनी फसले खेतों में पक कर तैयार हो गई हैं। कुछ किसानों द्वारा इसकी कटाई शुरू कर दी गई है तो कुछ किसान कटाई कर खलिहान में पहुंचा चुके हैं। वहीं पचास फीसदी से से अधिक किसानों की फसल अभी खेत में ही खड़ी है, जिसकी कटाई की तैयारी में किसान लगे हुए हैं। ऐसे में यदि बारिस व ओला वृष्टि होती है तो खेत में खड़ी व खलिहान में रखी दोनो किसानों को नुकसान होगा।
उल्लेखनीय है कि मौसम विभाग द्वारा प्रदेश के कई संभागों के साथ ही रीवा संभाग क्षेत्र में भी 16 से 19 मार्च के बीच बारिस व ओलावृष्टि की संभावना जताई गई है। गुरूवार 16 मार्च को इसका असर भी दिखा। गुरूवार को दिन भर आसमान में बादलों का डेरा रहा। कहीं-कहीं हल्की बूंदाबांदी भी हुई। मौसम का मिजाज देखते हुए किसानों की चिंता बढ़ गई है।
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कटाई व मिजाई में जुटे किसान-
मौसम का मिजाज देखते हुए नुकसान से बचने के लिए किसानों द्वारा दलहनी व तिलहनी फसलों की कटाई व मिजाई कर उसे सुरक्षित करने की कवायद तेज कर दी गई है। गुरूवार को जिले के किसान इस कार्य में सक्र्रिय दिखे। किसान अतिशीघ्र अपनी फसल की मिजाई कर सुरक्षित घर के अंदर करने में जुटे गए हैं।
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नहीं मिल रहे मजदूर-
मौसम के मिजाज को देखते हुए हर किसान चाह रहा है कि वह अतिशीघ्र अपनी दलहनी व तिलहनी फसल की कटाई व मिजाई कर उसे सुरक्षित कर दे। किसानों द्वारा इस कार्य के लिए श्रमिकों की संख्या बढ़ा दी गई है, ऐसे में श्रमिकों की मांग अचानक बढ़ गई है। जिसके चलते श्रमिकों की कमी हो गई है और किसानों को एक साथ श्रमिक नहीं मिल पा रहे हैं। जिन किसानों के यहां श्रमिक लगे हैं वह उन्हें छोडऩा नहीं चाह रहे। जिससे किसानों की मुश्किल बढ़ रही है।
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इन फसलों को होगा नुकसान-
पत्रिका से चर्चा के दौरान किसानों ने बताया कि मौसम का मिजाज को देखते हुए बारिस व ओलावृष्टि की संभावना है। यदि बारिस व ओला वृष्टि होती है। चना, मसूर, अरहर, सरसो, अलसी व मटर की फसल काफी नुकसान होगा। इस समय हुई बारिस का थोड़ा बहुत फायदा गेहू की फसल को होगा, जिसकी बोनी देर से हुई है। कुल मिलाकर बारिश व ओलावृष्टि से नुकसान ही है।
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किसानों ने कहा………..
……..अचानक मौसम बदल गया है। बारिस व ओलावृष्टि होती है तो काफी नुकसान होगा, अभी दलहनी व तिलहनी फसल खेत व खलिहान में ही है।
इंद्रजीत गुप्ता, किसान सिरौला
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………जब बारिस की आवश्यकता थी तब बारिस नहीं हुई, अब मौसम बदल रहा है। यदि बारिस या ओलावृष्टि हुई तो सारी मेहनत चौपट हो जाएगी।
चंद्र प्रताप तिवारी, किसान दादर मझौली
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………मौसम का मिजाज को देखकर सभी किसान कटाई व मिजाई में जुट गए हैं। एक साथ कार्य बढऩे से श्रमिक नहीं मिल रहे हैं। मौसम के मिजाज से हर किसान परेशान है।
चंद्रप्रताप तिवारी, किसान दादर
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……….प्रकृति हर रूप में किसानों पर कहर बरपाती है। बारिश व ओलावृष्टि हुई तो काफी नुकसान होगा। जो कुछ लाभ होता है वह दलहनी व तिलहनी फसलों से ही होता है।
रामपाल सिंह, किसान कोड़ार
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एक्सपर्ट व्यू………
फ सलों के लिए नुकसानदायक है बारिस और ओला-
बारिश और ओला वृष्टि से सबसे अधिक दलहनी व तिलहनी फ सलों के लिए नुकसान है। क्योंकि ये फ सलें पक चुकी है या पकने की कगार पर हैं। अभी यदि और बारिश होती है तो केवल देर से बोए गए गेहूं की फसल को ही फायदा होगा। समय से बोए गए गेहूं की फ सल के लिए बारिश का कोई फ ायदा नहीं है। कुल मिलाकर अब यदि बारिस होती है या ओला वृष्टि होती है तो फसलों के लिए नुकसानदायक ही है, खासकर दलहनी व तिलहनी फ सले ज्यादा प्रभावित होंगी। मौसम विभाग द्वारा भी बारिस व ओलावृष्टि की संभावना जताई गई है।
डॉ.धनंजय सिंह, बैज्ञानिक कृषि विज्ञान केंद्र सीधी
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