Shivpal Yadav: शिवपाल यादव की बढ़ी सक्रियता, सपाइयों का भी ‘परहेज’ खत्म, आखिर कब मिलेगी बड़ी जिम्‍मेदारी?

19
Shivpal Yadav: शिवपाल यादव की बढ़ी सक्रियता, सपाइयों का भी ‘परहेज’ खत्म, आखिर कब मिलेगी बड़ी जिम्‍मेदारी?

Shivpal Yadav: शिवपाल यादव की बढ़ी सक्रियता, सपाइयों का भी ‘परहेज’ खत्म, आखिर कब मिलेगी बड़ी जिम्‍मेदारी?


लखनऊ : समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव 16 जनवरी की शाम शिवपाल यादव के घर पहुंचे। अगले दिन ही ट्विटर पर सपा के भदोही से विधायक जाहिद बेग का ट्वीट नमूदार हुआ, जिसमें ‘समाजवादी योद्धा’ के नाम से एक पोस्टर शेयर किया गया था। इसमें अखिलेश यादव के साथ ही शिवपाल यादव भी थे। सपा के कुछ और नेताओं के ट्विटर हैंडल से ऐसे पोस्ट साझा हुए। इससे साफ है कि शिवपाल यादव की सक्रियता बढ़ने के साथ ही सपा नेताओं और कार्यकर्ताओं का शिवपाल से ‘परहेज’ भी खत्म हो रहा है। हालांकि, शिवपाल समर्थकों को अब भी ‘भागीदारी’ का इंतजार है।

मैनपुरी उपचुनाव के मंच पर अखिलेश और शिवपाल के बीच उपजी एका के बाद सपा व शिवपाल के बीच ‘अनौपचारिक’ तौर पर बर्फ पिघलती नजर आ रही है। शिवपाल सार्वजनिक तौर पर अखिलेश को अपना नेता बता रहे हैं। दूसरी ओर, शिवपाल के कार्यक्रमों व दौरों पर स्वागत की जिम्मेदारी सपा कार्यकर्ता उठा रहे हैं। पिछले सप्ताह बलिया, मऊ व आजमगढ़ पहुंचे शिवपाल के साथ सपा के बड़े चेहरों की भी मंच पर मौजूदगी रही। बलिया में रामगोविंद चौधरी साथ आए तो आजमगढ़ में जब शिवपाल सपा विधायक अखिलेश यादव के घर पहुंचे तो वहां सपा के निवर्तमान जिलाध्यक्ष हवलदार यादव भी मौजूद थे। सूत्रों का कहना है कि शिवपाल के भ्रमण के जो कार्यक्रम जारी हो रहे हैं उसकी स्थानीय स्तर पर सूचना प्रसपा के साथ जुड़े चेहरों को प्रमुख तौर पर तो दी ही जा रही है, कुछ जिलों में सपा कार्यालय पर भी उसकी प्रतिलिपि भेजी जा रही है। इसे बदलती केमेस्ट्री का इशारा माना जा रहा है।

पर पार्टी कार्यालय जाने का अब भी इंतजार

अनौपचारिक तौर पर दिख रही शिवपाल और सपा की नजदीकियों के औपचारिक स्वरूप पर अब भी सवाल है। इटावा से लेकर लखनऊ तक शिवपाल-अखिलेश एक-दूसरे के घर तो पहुंच रहे हैं, लेकिन एका के बाद भी अपने घर से महज 100 मीटर पर स्थित सपा के प्रदेश कार्यालय की दूरी अब तक शिवपाल ने तय नहीं की है। सूत्रों का कहना है कि इस ‘हिचक’ के पीछे एक बड़ी वजह शिवपाल यादव की भूमिका को लेकर असमंजस हैं। शिवपाल समर्थक उन्हें सपा में नंबर दो के तौर पर देखना चाहते हैं जबकि आधिकारिक तौर पर शिवपाल महज सपा के विधायक हैं। संगठन से लेकर विधानमंडल तक उनके पास कोई पद नहीं है। ऐसे में शिवपाल सपा कार्यालय जाते हैं हैं तो वह कहां बैठेंगे? संगठन के भीतर उनका प्रोटोकॉल क्या होगा इसको लेकर असमंजस की स्थिति है। हालांकि, सपा के सूत्रों का कहना है कि संगठन की घोषणा के साथ यह सवाल भी हल हो जाएंगे।

शिवपाल समर्थकों का क्या होगा?

एका की इस पूरी कवायद के बीच अपने भविष्य का लेकर सबसे अधिक संशय में शिवपाल की पार्टी के चेहरे हैं। विधानसभा चुनाव के समय जब अखिलेश-शिवपाल में एका हुई थी तो मामला केवल शिवपाल के अपने टिकट तक सिमट गया था। विधानसभा चुनाव की तैयारी कर रहे उनकी पार्टी के दूसरे चेहरों को या तो मायूस होना पड़ा था या उन्हें किसी और दल का दामन थामना पड़ा था। हाल में सपा के मीडिया पैनलिस्ट व प्रवक्ताओं की 58 लोगों की सूची में शिवपाल की पार्टी से किसी का नाम न होने होने से यह सवाल एक बार फिर गहरा गया है।

राजनीति की और खबर देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – राजनीति
News