Shershah Vs Vajpayee : भारत से मुगलों का खात्मा..देश में सड़कों की जाल, शेरशाह सूरी से वाजपेयी की तुलना पर विवाद क्यों? समझिए

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Shershah Vs Vajpayee : भारत से मुगलों का खात्मा..देश में सड़कों की जाल, शेरशाह सूरी से वाजपेयी की तुलना पर विवाद क्यों? समझिए

भोपाल/पटना : मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) सरकार के वाणिज्यिक कर मंत्री जगदीश देवड़ा (Jagdish Deora) ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) की शेरशाह सूरी (Sher Shah Suri) से तुलना कर दी। वायरल वीडियो में वाणिज्यिक कर मंत्री जगदीश देवड़ा सीहोर में प्रधानमंत्री फसल बीमा वितरण योजना (Prime Minister’s Crop Insurance Distribution Scheme) के कार्यक्रम में कह रहे है कि इतिहास में शेरशाह सूरी ने कोई काम किया था सड़क बनाने का (Shershah Vs Vajpayee) या फिर देश के पूर्व प्रधानमंत्री पंडित अटल बिहारी वाजपेयी ने किया था।

फरीद खां से शेरशाह सूरी बनने की कहानी जानिए
भारत से मुगल साम्राज्य का खात्मा करने वाले शेरशाह सूरी के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने कम उम्र में एक ‘शेर’ को मार डाला था, इसलिए उनका नाम शेरशाह हो गया। ‘सुर’ इनके गृहनगर का नाम था इसलिए टाइटल में ‘सूरी’ जुड़ गया। वैसे शेरशाह का असली नाम फरीद खां था। इतिहास में शेरशाह सूरी को एक कुशल शासक के तौर पर जगह मिली है। वे भारत में जन्मे पठान थे। इनका जन्म 1486 में हुआ था और मृत्यु 22 मई 1545 को। मौत से पांच साल पहले (1540) यानी 55 साल की उम्र में हुमायूं को हराकर उत्तर भारत में सूरी साम्राज्य स्थापित किया था। इस हार के बाद मुगल शासक हुमायूं की भारत से विदाई हो गई थी। इससे पहले शेरशाह सूरी ने बाबर के लिए एक सैनिक के तौर काम किया था, बाद में सेनापति बनाए और फिर बिहार का राज्यपाल नियुक्त किया। वैसे सासाराम (रोहतास जिला) शेरशाह को काफी पसंद था। वहां पर आज भी शेरशाह का मकबरा मौजूद है। सासाराम को शेरशाह सूरी का गृहनगर कहा जाता है। आज भी यहां कई दूसरे धरोहर हैं, जो स्थापत्य कला के बेहतरीन नमूना है।

5 साल की शासन में शेरशाह सूरी ने सड़कों की जाल बिछाया
वैसे शेरशाह सूरी को एक सक्षम सेनापति और प्रतिभाशाली शासक तौर पर जाना जाता है। खासकर रोड को लेकर शेरशाह सूरी को इतिहास में काफी तवज्जो मिली है। 1540-1545 तक अपने पांच साल के शासन के दौरान उन्होंने नई नगरीय और सैन्य प्रशासन की स्थापना की। पहला रुपये जारी किया, आज भी भारत समेत कई देशों की करंसी के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है। भारत की डाक व्यवस्था को संगठित किया। अफगानिस्तान में काबुल से लेकर बांग्लादेश के चटगांव तक ग्रांड ट्रंक रोड (सड़क-ए-आजम या सड़क बादशाही) को बढ़ाया। दूरी मापने के लिए जगह-जगह पत्थर लगवाए, छायादार पेड़ लगवाए, राहगीरों के लिए सरायें बनवाई और चुंगी की व्यवस्था की। ग्रांड ट्रंक रोड कोलकाता से पेशावर (पाकिस्तान) तक गई। इसके अलावा कई और नए रोड जैसे कि आगरा से जोधपुर, लाहौर से मुल्तान और आगरा से बुरहानपुर तक समेत नई सड़कों का निर्माण करवाया। शेरशाह के बारे में कहा जाता है कि वो ईमानदार और न्यायप्रिय शासक था। भ्रष्टाचारियों को लेकर उसने कड़े कानून बनवाए।

बेहतरीन सड़कों के लिए अटलजी को भी जाना जाता है
अटल बिहारी वायपेयी देश के ऐसे पहले प्रधानमंत्री थे जो कांग्रेसी कुल के नहीं थे। उन्होंने भी सड़कों को जोड़ने का महत्वपूर्ण काम किया। चारों महानगरों मुंबई-दिल्ली-कोलकाता-चेन्नई को जोड़ने के लिए स्वर्णिम चतुर्भुज सड़क परियोजना लागू की थी। साथ ही ग्रामीण अंचलों के लिए प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना शुरू की थी। उनके इस फैसले ने देश के आर्थिक विकास को गति दी और लोगों को एक-दूसरे से जोड़ा। अटल बिहारी वायजेपी की नेतृत्व वाली सरकार ने ही पोखरण में परमाणु परीक्षण भी किया था। उनका जोर भी इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े कई प्रोजेक्ट पर रहा। वो चाहे सड़क हो या शिक्षण संस्थान।

शेरशाह सूरी और वायपेयी को लेकर विवाद क्या है
वायरल वीडियो में मध्य प्रदेश के वाणिज्यिक कर मंत्री जगदीश देवड़ा सीहोर में प्रधानमंत्री फसल बीमा वितरण योजना के कार्यक्रम में कह रहे है कि इतिहास में शेरशा सूरी ने कोई काम किया था सड़क बनाने का या फिर देश के पूर्व प्रधानमंत्री पंडित अटल बिहारी वाजपेयी ने किया था। देवड़ा के इस बयान को ट्विटर पर साझा करते हुए कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष कमल नाथ के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा ने कहा कि ‘प्रदेश के आबकारी मंत्री जगदीश देवड़ा सीहोर में कह रहे हैं कि इतिहास में अगर किसी ने काम किया है तो या तो शेरशाह सूरी ने किया है या फिर देश के पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने किया था। आपको बता दें कि इतिहास में शेरशाह सूरी बाबर का सैनिक था, जिसे बाबर ने पदोन्नत कर सेनापति बनाया था। सलूजा ने आगे लिखा, उसका असली नाम फरीद खां था। आज तक अटलजी की तुलना कई लोगों से हुई, पहली बार ऐसी तुलना भाजपा के मंत्री ने ही की है। यह तो सही है कि प्रदेश का मंत्रिमंडल किसी नगीने से कम नही है लेकिन अबकी बार आबकारी विभाग जिसके अंतर्गत शराब आती है, उस विभाग के मंत्री ने यह बयान दिया है।’

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