Sharad Pawar: बचे हुए काम कर लो, अब तुम्हारी जिंदगी के सिर्फ 6 महीने बचे हैं, शरद पवार ने सुनाया कैंसर से लड़ाई का वो किस्सा

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Sharad Pawar: बचे हुए काम कर लो, अब तुम्हारी जिंदगी के सिर्फ 6 महीने बचे हैं, शरद पवार ने सुनाया कैंसर से लड़ाई का वो किस्सा

Sharad Pawar: बचे हुए काम कर लो, अब तुम्हारी जिंदगी के सिर्फ 6 महीने बचे हैं, शरद पवार ने सुनाया कैंसर से लड़ाई का वो किस्सा

मुंबई: एनसीपी (NCP) के सर्वेसर्वा शरद पवार बीते 2 दिनों से औरंगाबाद के दौरे पर थे। इस दौरान उन्होंने राजनीति से जुड़े अपने कई प्रकार के अपने अनुभवों को कार्यकर्ताओं के साथ साझा किया। सोमवार को वह शहर के मराठवाडा कैंसर अस्पताल के उद्घाटन के लिए आए हुए थे। इस दौरान उन्होंने भाषण देते हुए खुद कैंसर से किस प्रकार लड़ाई लड़ी यह भी बताया। उन्होंने कहा कि अगर प्रबल इच्छाशक्ति हो तो हर मुसीबत से लड़ा जा सकता है। उन्होंने अपनी कहानी बताते हुए कहा कि जब साल 2004 में मुझे कैंसर डिटेक्ट हुआ तब डॉक्टर ने मुझे कहा कि जो भी काम बचा हो उसे निपटा लीजिए। आपके पास सिर्फ 6 महीने का समय बचा हुआ है। लेकिन मैंने डॉक्टर को बोला कि तुम शांत रहो, जरूरत हुई आपको पहले पहुंचाकर जाऊंगा। साल 2004 से आज 2022 का आधा साल गुजर चुका है। मैं आज भी सप्ताह में चार दिन बाहर रहता हूं।

जब मुझे कैंसर हुआ…
औरंगबाद के मराठवाड़ा कैंसर हॉस्पिटल के उद्धाटन के दौरान बोलते हुए शरद पवार ने एक किस्सा सुनाया। उन्होंने कहा कि मैंने लोकसभा का फॉर्म भरा था। जिसकी वजह से मुझे पूरे महाराष्ट्र में घूमना पड़ता था। उस समय मेरे साथ डॉ. भापकर जलील रहते थे। उन्होने मुझे कहा कि आपके चेहरे पर सूजन दिख रही है। हमने जांच की है, डॉक्टरों का कहना है कि कैंसर हो सकता है। जिसके बाद मैं न्यूयॉर्क गया, जहां मुझे बताया गया कि ऑपेरशन करना पड़ेगा। वहां उन लोगों ने मुझसे पूछा था कि आप यहां क्यों आये हो? मैंने उनसे कहा कि आप की अस्पताल बड़ा है, इसलिए यहां आया हूं।

तब उन लोगों ने मुझे बताया कि हम महाराष्ट्र के डॉ. प्रधान की सलाह लेते हैं। जिसके बाद मैं दोबारा महाराष्ट्र आया और ऑपेरशन करवाया। जिसके बाद एक नए डॉक्टर ने मुझसे कहा कि तुम अपने बचे हुए काम कर लो, तुम्हारे पास सिर्फ 6 महीने बचे हुए हैं। तब मैंने उससे कहा कि शांत बैठो मैं कहीं नहीं जा रहा हूं। जरूरत हुई तो पहले तुम्हें पहचाऊंगा।

प्रबल इच्छाशक्ति की जरूरत
शरद पवार ने कहा कि मुसीबत से बाहर निकलने के लिए जिद और प्रबल इच्छाशक्ति की बहुत जरूरत होती है। उन्होंने लातूर के किल्लारी में आये भूकंप की भी याद दिलाई। उन्होंने कहा कि गणपति विसर्जन का आखिरी दिन था, जो मुख्यमंत्री के लिए एक महत्वपूर्ण दिन था। उस समय मैं मुख्यमंत्री था। तब महाराष्ट्र के परभणी में गणपति विसर्जन के दौरान देर होने की वजह से मैं सुबह 4 बजे सोने के लिए गया था। तभी मेरे कमरे की खिड़कियां हिलने लगी, मैं समझ गया कि भूकंप आया है। बाद में पता चला कि किल्लारी में भूकंप आया है।

मैं तुरंत विमान के जरिये सुबह 7 बजे भूकंप पीड़ित इलाके में पहुंचा। वहां हजारों लोगों की मौत हो चुकी थी। मैं मुंबई नहीं गया वहीं रुका और विस्थापितों का पुनर्वसन किया। इसलिए कहता हूं कि मुसीबत से लड़ने की प्रबल इच्छा शक्ति होनी चाहिए।

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