इस गांव में मां-बाप अपनी बेटियों से करवाते हैं धंधा, भाई लाता है ग्राहक

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लखनऊ । लोकतंत्र है, विकास है, शाइनिंग इंडिया है, न्यू इंडिया है, देश युवा है, बेटी-पढ़ाओ बेटी-बचाओं है, सेल्फी विद डाउटर है, संसद में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने की तैयारी है और भी बहुत कुछ है देश में महिला सशक्तिकरण के लिए। लेकिन गांव कनेक्शन पर प्रसारित इस खबर के मुताबिक लखनऊ से 55 किमी दूर हरदोई जिले के नटपुरवा गाँव में जो कुछ चल रहा है और चलता रहा है उसे सुनकर ये विकास और बदलाव के नारे खोखले नजर आते हैं।

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आज हम आपको उस गाँव में ले चलेंगे जहां मां-बाप अपनी ही बेटियों को देह व्यापार के लिए मजबूर करती हैं और इससे भी ज्यादा शर्मनाक ये है कि जिन भाइयों को अपनी बहनों का सुरक्षा कवच माना जाता है उन्हें ही यहां अपनी बहनों के लिए ग्राहक ढूंढकर लाना होता है।

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देश में वो सबकुछ है जो 21वीं सदी में विकास के लिए जरूरी माना जाता है, तथाकथित विश्वस्तरीय नेता और विद्वान भी हैं। फेसबुक ट्वीटर जैसे व्यवस्था परिवर्तन करने वाले साधन भी हैं। लेकिन हमारे ही देश में वो गांव भी है जहां सालों से लड़कियां वैश्यावृति के लिए अपने ही मां-बाप द्वारा मजबूर की जाती हैं। लखनऊ से 55 किमी दूर हरदोई जिले के नटपुरवा गाँव की यही कहानी है। यहां परंपराओं की बेड़ियां इतनी मज़बूत है कि लड़कियों को घर वालों के दबाव में जबरन देह व्यापार करना पड़ता है। लेकिन अब इलाके की कुछ लड़कियों ने इस प्रथा के खिलाफ खड़े होना शुरू कर दिया है, अब वो घर की दहलीज को लांघ कर न सिर्फ अपनी पसंद की ज़िंदगी चुन रही हैं, बल्कि अपनी पसंद की सरकार भी चुन रही है।

इस लड़ाई के खिलाफ आवाज़ उठाई चंद्र लेखा ने, उन्होंने लड़कियों को जागरूक किया और इस प्रथा का पुरज़ोर विरोध किया। चंद्र लेखा बताती है कि इस प्रथा का असर गाँव के लड़कों पर भी पड़ता है क्योंकि उन्हें अपने बहनों के लिए ग्राहक लाने का काम सौंप दिया जाता है। जो कहते हैं कि देश बदल रहा है उन्हें इस हरदोई के नटपुरवा गाँव आकर देखना चाहिए ताकि इस बात का ठीक-ठीक अंदाज़ा लगाया जा सके कि देश बदलने के असली मायने क्या हैं, और क्या-क्या अभी भी बदलना बाकी है।

बताइये ये वही भारत है जहां मानवता के नाम पर फिलिस्तीन और रोहिंग्या को बचाने और बसाने की बात की जाती है, जहां खाफ पंचायतों में लड़कियों को इज्जत के नाम पर जींस पहने से मना किया जाता है, जहां धर्म और संस्कृति में महिलाओं को देवी कहा जाता है और जहां महिलाओं को इज्जत के नाम पर बुर्का पहनाया जाता है लेकिन उसी भारत के किसी गांव में लड़कियों को खुलेआम जिस्मफरोशी के धंधे में उनके ही माता-पिता द्वारा ढकेला जाता है और वहीं लोग फर्जी राष्ट्रवाद और फर्जी धर्मनिरपेक्षता का झंडा लेकर घूमते रहते हैं पर उन्हें यहां परिवर्तन करने के लिए कुछ नजर नही आता है। जरूरत है ऐसे भारत को सुधारने की।