बूंद-बूंद के लिए तरस रहें घर वालों की ख़ुशी के लिए एक बुजुर्ग ने ऐसा क्या खास किया जानिए

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जबलपुर: अगर एक व्यक्ति चाहें तो वह अपने मेहनत और जज्बे के दम से ऐसा कोई भी कम नहीं है जिसे पूरा नहीं कर सकता हो. आज मैं आपको एक ऐसे शख्स के बारे में बताने जा रहा हूं जिसने अपनी मेहनत, विश्वास, जूनून और जज्बे के दम से अपने घर वालों को पानी की समस्या से राहत पहुंची है.

क्या है वजह

आपको बता दें कि बिहार के रहने वाले दशरथ मांझी ने ‘माउंटन मैन’ बनकर एक पहाड़ को चीर था. ठीक उसी तरह इरादे को पूरा करने की जिद्द रखने वाले एक 70 साल के बुजुर्ग शख्स ने अपने परिवार को पानी की किल्लत से बचाने के लिए एक ऐसे काम को अंजाम दिया जिसे सुनकर आप भी हैरान रहें जाओ गए. इस शख्स ने असंभव काम को भी संभव किया है. छतरपुर निवासी, 70 वर्षीय सीताराम राजपूत ने पानी की समस्या से परेशान अपने परिवार और गांव के लोगों के लिए अकेले दम पर कुआं खोद डाला. जानकारी के अनुसार, छतरपुर जिले को बुंदेलखंड इलाके में आने वाला सूखा प्रभावित जिला माना जाता है. इस क्षेत्र में पानी की काफी समस्या है जिसके कारण पलायन अपने चरम स्तर पर है.

70 year old man of chhatarpur parched village digs well for family 1 news4social -

अंसभव को संभव कर दिखाया सीताराम राजपूत ने

छतरपुर जिले के हदुआ गांव के रहने वाले सीताराम राजपूत का यह कहना है कि ‘समस्या से भागना, समस्या का हल नहीं होता है’. वहीं उन्होंने कहा कि इसे आप बुंदेलखंड पर श्राप भी मान सकते हो क्योंकि यह पर पानी की किल्लत हमेशा से देखी गई है. वहीं कई साल से इस समस्या ने विकराल रूप धरण कर लिया है. गांव में हैंडपंप तो है पर वह सब सूख चुके है, अगर नया हैंडपंप लगाए तो वो भी जल्द ही सूख जाते हैं. पानी के लिए ग्रामीण को दूर तक जाना पड़ता है.

उन्होंने यह भी बताया कि मैंने आजीवन अविवाहित रहने का फैसला लिया और संयुक्त परिवार में अपने भाई के साथ रहते हैं. इस समस्या से रूबरू कर यह भी कहा कि यहां लोगों को पीने का पानी भी मुश्किल से मिलता है, तो खेती के लिए पानी का इंतजाम करना बड़ी समस्या थी. सीताराम ने बताया कि उन्होंने 2015 में कुआं खोदने का काम शुरू किया था और 2017 में कुएं की खुदाई का काम पूरा कर लिया.

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इस काम को करने के लिए परिवार ने भी रोका पर कहते है ना अगर आप किसी भी काम को पूरी शिद्दत से करना चाहे तो कोई भी कायनात उसे नहीं रोक सकती है. ठीक उसे तरह सीताराम ने अपने उसूलों और हिम्मत को नहीं छोड़ा. वे रोज सुबह घर से निकल जाते और देर रात तक कुआं खोदते रहते थे. उन्होंने बताया कि परिवार वालों ने बूढ़े शरीर का हवाला देकर कई बार रोकने की कोशिश की, लेकिन करीब दो साल बाद मेहनत सफल हुई, तो सब खुश हो गए.

पर सीताराम द्वारा की गई इतनी मेहनत कहां ज्यादा समय तक टिकी. उसने बताया कि परिवार की ये खुशी ज्यादा दिन नहीं रह पाई थी. सरकार और गांव के ही लोगों से मदद नहीं मिलने के चलते कुएं को पक्का नहीं किया जा सका. पिछली बरसात में कुआं पक्का न होने के कारण भरभरा गया. वहीं उन्होंने गांव वालो को यह अशव्सन दिया है कि अगर सरकार और लोग मदद करें, तो वे फिर से कुआं खोद सकते हैं. गौरतलब है कि मध्य प्रदेश सरकार द्वारा किसानों को कुआं खोदने के लिए कपिल धारा योजना के तहत आर्थिक मदद के रूप में 1.8 लाख रुपए जिए जाते है.