School News: गहलोत सरकार ने अंग्रेजी मीडियम स्कूलों में शिक्षक भर्ती का नियम बदला, अब क्लियर करना होगा इंटरव्यू
जयपर: राजस्थान सरकार के शिक्षा विभाग ने अंग्रेजी मीडियम स्कूलों (english medium school rajasthan) में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए इंटरव्यू सिस्टम लागू किया। अब इन स्कूलों में शिक्षकों को नियुक्ति से पहले इंटरव्यू क्लियर (mahatma gandhi english medium school interview) करना होगा। गहलोत सरकार (ashok gehlot sarkar) ने तीन साल पहले सरकारी अंग्रेजी मीडियम स्कूल खोलने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया था। महात्मा गांधी के 150वें जयंती समारोह के उपलक्ष में राज्य सरकार ने अंग्रेजी मीडियम स्कूलों का नाम बापू के नाम पर किया। सबसे पहले जयपुर के मानसरोवर में पहला स्कूल खोला गया। साथ ही प्रदेश के सभी 33 जिलों में एक एक सरकारी अंग्रेजी मीडियम स्कूल खोले गए। इन सरकारी स्कूलों में पढ़ाई की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए सरकार ने इंटरव्यू सिस्टम शुरू किया।
गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं, इसलिए शुरू किया इंटरव्यू सिस्टम
चूंकि सरकार ने पहली बार अंग्रेजी मीडियम स्कूल खोलने की शुरूआत की। ऐसे में शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाना जरूरी था। पहली ही बार में पांचवीं तक के छात्र-छात्राओं को अंग्रेजी मीडियम स्कूलों में प्रवेश दिया था। ऐसे में अंग्रेजी पर अच्छी पकड़ वाले शिक्षकों की जरूरत महसूस हुई। इसी लिहाज से शिक्षा विभाग ने अंग्रेजी मीडियम स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए इंटरव्यू सिस्टम लागू किया। इंटरव्यू में मुख्य रूप से यही देखा जाता कि शिक्षक अंग्रेजी मीडियम में पढ़ाने के लिए सक्षम है या नहीं। साथ ही शिक्षक की बोद्धिक क्षमता को भी परखा जाता है।
बेहतर रिजल्ट के कारण अंग्रेजी मीडियम स्कूलों की डिमांड बढी, अब 770 स्कूल हैं
महात्मा गांधी राजकीय इंग्लिश मीडियम स्कूलों ने पहले और दूसरे साल में बेहतरीन परिणाम दिए। इन स्कूलों ने निजी स्कूलों को मात देते हुए पढ़ाई के साथ अन्य एक्टिविटी में शानदार प्रदर्शन किया। इसे देखते हुए प्रदेशभर में अंग्रेजी मीडियम की स्कूलें खोले जाने की मांग उठने लगी। वर्तमान में प्रदेश में 770 इंग्लिश मीडियम स्कूलें खोली जा चुकी है। इस सत्र में सरकार ने 221 स्कूल खोले हैं। इन स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए इंटरव्यू लिए जा रहे हैं।
सीटें सीमित लेकिन एडमिशन के लिए मारामारी
राज्य सरकार द्वारा संचालित अंग्रेजी मीडियम स्कूलों में सीटें सीमित है। पहली से लेकर 8वीं कक्षा तक प्रत्येक कक्षा में अधिकतम 30 स्टूडेंट्स को प्रवेश दिया जाता है। स्कूलों के प्रति अभिभावकों के रुझान को देखते हुए ये सीटें बहुत कम है। एक कक्षा में 30 सीटों के लिए सैंकड़ों स्टूडेंट आवेदन करते हैं। ज्यादा आवेदन आने के बाद स्कूल प्रबंधन ने लॉटरी सिस्टम शुरू कर दिया। लॉटरी में जिन बच्चों का नाम आता है, केवल उन्हीं को स्कूल में एडमिशन मिल पाता है। (रिपोर्ट-रामस्वरूप लामरोड़)
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गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं, इसलिए शुरू किया इंटरव्यू सिस्टम
चूंकि सरकार ने पहली बार अंग्रेजी मीडियम स्कूल खोलने की शुरूआत की। ऐसे में शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाना जरूरी था। पहली ही बार में पांचवीं तक के छात्र-छात्राओं को अंग्रेजी मीडियम स्कूलों में प्रवेश दिया था। ऐसे में अंग्रेजी पर अच्छी पकड़ वाले शिक्षकों की जरूरत महसूस हुई। इसी लिहाज से शिक्षा विभाग ने अंग्रेजी मीडियम स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए इंटरव्यू सिस्टम लागू किया। इंटरव्यू में मुख्य रूप से यही देखा जाता कि शिक्षक अंग्रेजी मीडियम में पढ़ाने के लिए सक्षम है या नहीं। साथ ही शिक्षक की बोद्धिक क्षमता को भी परखा जाता है।
बेहतर रिजल्ट के कारण अंग्रेजी मीडियम स्कूलों की डिमांड बढी, अब 770 स्कूल हैं
महात्मा गांधी राजकीय इंग्लिश मीडियम स्कूलों ने पहले और दूसरे साल में बेहतरीन परिणाम दिए। इन स्कूलों ने निजी स्कूलों को मात देते हुए पढ़ाई के साथ अन्य एक्टिविटी में शानदार प्रदर्शन किया। इसे देखते हुए प्रदेशभर में अंग्रेजी मीडियम की स्कूलें खोले जाने की मांग उठने लगी। वर्तमान में प्रदेश में 770 इंग्लिश मीडियम स्कूलें खोली जा चुकी है। इस सत्र में सरकार ने 221 स्कूल खोले हैं। इन स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए इंटरव्यू लिए जा रहे हैं।
सीटें सीमित लेकिन एडमिशन के लिए मारामारी
राज्य सरकार द्वारा संचालित अंग्रेजी मीडियम स्कूलों में सीटें सीमित है। पहली से लेकर 8वीं कक्षा तक प्रत्येक कक्षा में अधिकतम 30 स्टूडेंट्स को प्रवेश दिया जाता है। स्कूलों के प्रति अभिभावकों के रुझान को देखते हुए ये सीटें बहुत कम है। एक कक्षा में 30 सीटों के लिए सैंकड़ों स्टूडेंट आवेदन करते हैं। ज्यादा आवेदन आने के बाद स्कूल प्रबंधन ने लॉटरी सिस्टम शुरू कर दिया। लॉटरी में जिन बच्चों का नाम आता है, केवल उन्हीं को स्कूल में एडमिशन मिल पाता है। (रिपोर्ट-रामस्वरूप लामरोड़)
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