SC on Nupur Sharma: नूपुर शर्मा विवाद पर जानकारों ने रखी अपनी-अपनी राय, ‘जांच एजेंसी की निष्पक्षता को नहीं लगनी चाहिए ठेस’

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SC on Nupur Sharma: नूपुर शर्मा विवाद पर जानकारों ने रखी अपनी-अपनी राय, ‘जांच एजेंसी की निष्पक्षता को नहीं लगनी चाहिए ठेस’

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों के बाद नूपुर शर्मा विवाद और तूल पकड़ता दिखाई दे रहा है। कई सवाल भी उठ रहे हैं, जैसे- क्या बीजेपी की निलंबित नेता की माफी ही इस पूरे विवाद को हल कर सकती है? नूपुर के विवादित बयान के संबंध में जगह-जगह पर एफआईआर दर्ज होने के बावजूद उनकी गिरफ्तारी न होना, क्या जांच एजेंसी पर किसी तरह के दबाव को दर्शाता है? ऐसे मामलों में पुलिस की भूमिका के बारे में कानून क्या कहता है?

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एक ही बयान पर 25 एफआईआर कैसे?
“हर किसी को अपनी जुबान पर कंट्रोल रखना चाहिए। इस मामले में आम आदमी की जिम्मेदारी कम हो सकती है, लेकिन नेताओं की जिम्मेदारी ज्यादा है। पर आप कन्हैया के मर्डर (पिछले दिनों उदयपुर में हुई घटना) को जुबैर या नूपुर के बयानों से कैसे लिंक कर सकते हैं?” ये सवाल उठाया दिल्ली हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस एसएन ढींगरा ने। उन्होंने कहा, “किसी ने ट्वीट किया, दूसरे को वह पसंद आया और उसने उसे रीट्वीट कर दिया तो क्या वह अपराधी हो गया?” कानून के बारे में रिटायर्ड जज ने कहा कि किसी भी एफआईआर में साक्ष्यों के बिना गिरफ्तारी नहीं होनी चाहिए। एफआईआर दर्ज होना किसी को गिरफ्तार करने के लिए अपने आप में काफी नहीं है। चाहे वो जुबैर हो, कोई और या नूपुर हो। जस्टिस ढींगरा ने कहा कि जब तक जांच अधिकारी यह न बताए कि इस एफआईआर के आधार पर यह जांच हुई और यह अपराध बन रहा है, तब तक गिरफ्तारी नहीं होनी चाहिए। नूपुर के खिलाफ कई राज्यों में एफआईआर दर्ज हुई हैं। एक ही बयान के ऊपर 25 एफआईआर कैसे दर्ज कर सकते हैं? क्या हमारा संविधान यह कहता है कि एक आदमी दिल्ली में बैठकर बयान दे और उसके खिलाफ पूरे देश में, हर थाने में एफआईआर दर्ज कर ली जाए?

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‘सजा नहीं होने से गलती दोहराने को बढ़ावा मिलेगा’
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के सीनियर क्रिमिनल लॉयर केटीएस तुलसी का मत थोड़ा अलग है। तुलसी के मुताबिक, ऐसे मामलों में कार्रवाई इसीलिए जरूरी है क्योंकि यह दूसरों के लिए सबक का काम करती है। सीनियर वकील कहते हैं, नूपुर शर्मा ने जो कुछ भी कहा, उसकी गंभीरता उन्हें खुद भी समझ नहीं आ रही है। उनकी जुबान फिसली या क्या हुआ… जो भी बात है, माफी तो मांगनी चाहिए। ऐसे मामलों में दंड ना मिलने से दूसरे लोगों को इसी तरह की गलती दोहराने का बढ़ावा मिलेगा। कार्रवाई इसीलिए भी जरूरी है क्योंकि विवाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चला गया है। किसी भी जांच एजेंसी की निष्पक्षता या स्वतंत्रता पर कभी कोई ठेस नहीं लगनी चाहिए। अगर ऐसा होता है, तो इस बारे में सोचने की बहुत जरूरत है। ऐसे मामलों में होना क्या चाहिए? जवाब में कानूनविद् ने कहा कि सब मामलों को इकट्ठा करना पड़ेगा। क्योंकि वो हर रोज देश के कोने-कोने में तो जाकर पेश हो नहीं सकती। गिरफ्तारी हुई तो फिर तो बिल्कुल भी संभव नहीं होगा। इसीलिए होना यह चाहिए कि सारी एफआईआर को एक जगह इकट्ठा करके किसी एक जांच एजेंसी को दे देनी चाहिए।

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