Savarkar News: शिंदे के बाद उद्धव ने दी राहुल गांधी को चेतावनी… सावरकर क्यों हैं महाराष्ट्र की कमजोर नस?

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Savarkar News: शिंदे के बाद उद्धव ने दी राहुल गांधी को चेतावनी… सावरकर क्यों हैं महाराष्ट्र की कमजोर नस?

Savarkar News: शिंदे के बाद उद्धव ने दी राहुल गांधी को चेतावनी… सावरकर क्यों हैं महाराष्ट्र की कमजोर नस?


मुंबई: महाराष्ट्र के उत्तरी भाग में मौजूद नासिक जिले के मालेगांव शहर में उद्धव ठाकरे ने एक बड़ी जनसभा को रविवार शाम संबोधित किया। इस दौरान उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, बीजेपी और महाविकास अघाड़ी में सहयोगी दल कांग्रेस के नेता राहुल गांधी पर निशाना साधा। राहुल पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि मोदी के खिलाफ लड़ाई में हम आपके साथ हैं लेकिन वीर सावरकर के खिलाफ एक शब्द भी बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। मुस्लिम बहुल मालेगांव में उद्धव ठाकरे का इस तरह से हिंदुत्व के लिए हुंकार भरना और राहुल को खरी खोटी सुनाना, फिलहाल राज्य की सियासत में चर्चा का विषय बना हुआ है। बीजेपी और शिंदे गुट के नेताओं की तरफ से उद्धव ठाकरे पर राहुल गांधी के सावरकर वाले बयान के बाद हमला बोला जा रहा था। आइए बताते हैं कि क्यों वीर सावरकर महाराष्ट्र की सियासत में राजनीतिक दलों के लिए एक कमजोर नस बने हुए हैं।

महाराष्ट्र में सावरकर को हिंदुत्व का प्रतीक माना जाता है
इस मामले में महाराष्ट्र की राजनीति को करीब से जानने वाले डॉ. सुरेश माने ने नवभारत टाइम्स ऑनलाइन को बताया कि मौजूदा समय में सावरकर हमारे बीच में नहीं हैं। इसलिए आज के समय में उनको टारगेट करने से राहुल गांधी को फायदा नहीं होने वाला है। राहुल गांधी द्वारा सावरकर को बार-बार टारगेट करना ठीक नहीं है। अगर उन्हें मोदी को टारगेट करना है तो उन्हें सीधे मोदी पर हमला करना चाहिए। इसके अलावा अगर राहुल गांधी अगर आरएसएस को निशाना बनाना चाहते हैं तो सावरकर और आरएसएस का कोई आपसी संबंध नहीं था। सावरकर कभी भी आरएसएस का हिस्सा नहीं रहे हैं, हां यह बात सच है वो हिंदुत्व की विचारधारा वाले व्यक्ति थे उसको बढ़ाने वाले शख्स थे। बेवजह सावरकर को बीच में लेकर राहुल गांधी मजबूत होने की बजाय कमजोर होंगे।

‘गांधी माफ़ी नहीं मांगते’ इस सवाल पर माने ने कहा कि यह बातें आज के दौर में प्रासंगिक नहीं हैं। महात्मा गांधी भी भारत छोड़ो आंदोलन में पीछे हटे थे। ऐसे कई मौके थे जब महात्मा गांधी ने भी यह कदम उठाया था। इस वजह से कांग्रेस के कई नेता नाराज भी हुए थे। इसलिए इतिहास के गड़े मुद्दे उखाड़कर कुछ फायदा नहीं मिलने वाला है। बेहतर होगा पीएम मोदी और उनकी पॉलिसी पर सवाल उठाकर आगे बढ़ें। सावरकर के मुद्दे पर बीजेपी हो या शिवसेना कोई भी खामोश नहीं बैठ सकता क्योंकि इसकी सियासत का एक अहम हिस्सा हिंदुत्व है और महाराष्ट्र में सावरकर को हिंदुत्व का प्रतीक माना जाता है।

सावरकर का विरोध करना मतलब हिंदुत्व का विरोध
महाराष्ट्र के वरिष्ठ राजनीतिक पत्रकार सचिन परब ने बताया कि यह बिलकुल सच है कि सावरकर हमेशा हिंदुत्व की आवाज बने थे। लेकिन यह भी सच है कि आरएसएस और सावरकर की हिंदू महासभा के बीच कभी नहीं बनी। हालांकि, दोनों ही हिंदुत्ववादी संगठन हैं। जिस तरह से हिंदुत्व के मुद्दे पर सावरकर मुखर थे। ऐसे में अगर बीजेपी या शिवसेना उनका विरोध करेंगे तो वह लोग सीधे हिंदुत्व के विरोधी कहलायेंगे। जिस तरह से सावरकर ने विश्व स्तर हिंदुत्व का पहुंचाया। उसको देखते हुए आज के दौर में सावरकर का विरोध करना मतलब हिंदुत्व का विरोध करना होगा। बालासाहेब से लेकर एनसीपी के शरद पवार भी सावरकर के हिंदुत्व की तारीफ कर चुके हैं।

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