SATNA ZILA PANCHYAT अध्यक्ष बोले-मैं आदिवासी हूं, इसलिए कोई नहीं सुनता, हर जगह होना पड़ रहा अपमानित | District Panchayat members boycotted the second general meeting | Patrika News
हैरानी की बात यह कि जिला पंचायत से लेकर लेकर प्रदेश व देश में भाजपा की सरकारें हैं। जिपं अध्यक्ष भी भाजपा समर्थित माने जाते हैं। सांसद-मंत्री के करीबी भी हैं। इसके बावजूद उनकी सुनवाई नहीं होती। अध्यक्ष ही नहीं ज्यादातर सदस्यों ने भी अफसरशाही हावी होने का आरोप लगाया है। हालांकि, जिला पंचायत सीईओ डॉ. परीक्षित झाड़े ने सभी आरोपों को निराधार बताया। कहा, कुछ सदस्य नियम विरुद्ध काम कराना चाहते हैं। मना करने पर दबाव बनाते हैं।
सदन संचालन में अनावश्यक हस्ताक्षेप करते हैं। जानबूझकर ऐसे मुद्दे प्रस्ताव लाए जाते हैं, जिसे नियमानुसार पूरा कर पाना संभव नहीं होता। किसी पंचायत में भ्रष्टाचार हो रहा है तो सदस्य इसकी जानकारी हमें दें। हम जांच कर दंडात्मक कार्रवाई करेंगे। सदस्य हर निर्माण कार्य की जांच के लिए अशासकीय जांच समिति गठित करने का प्रस्ताव देते हंै। जिला पंचायत में ऐसा कोई नियम नहीं हैं, इसलिए यह प्रस्ताव नहीं माना गया।
मनमानी से आहत
जिला पंचायत सदस्यों ने शुक्रवार को आयोजित जिला पंचायत के दूसरे सामान्य सम्मिलन का बहिष्कार कर दिया। सदस्यों ने एक स्वर में जिला पंचायत के कार्यपालन अधिकारी डॉ. परीक्षित पर तानाशाही एवं बार-बार सदस्यों को अपमानित करने के गंभीर आरोप लगाए। बैठक का बहिष्कार करने के बाद जिपं सदस्यों ने प्रेस कांफ्रेस करते हुए सीईओ पर जमकर हमला बोला ,सदस्यों ने एक स्वर में कहा कि जिला पंचायत भ्रष्टाचार का कल्पवृक्ष बन चुका है। जिपं कर्मचारी इसकी जड़, सीइओ तना, जनपद सीइओ डाली और पंचायत कर्मचारी इसके फूल और फल हैं। जिला पंचायत में व्याप्त भ्रष्टाचार के कारण ग्राम विकास की योजनाओं को पलीता लग रहा है। इसकी शिकायत करने पर अधिकारी जांच का झुनझुना पकड़ा देते हैं। ग्राम पंचायतों में वित्तीय अनियमिताओं की सैकड़ों शिकायतें जिला पंचायत में जांच के नाम पर दख ली गई है आज तक एक भी दोषी पर कार्रवाई नहीं की गई। सम्मिलन में किए गए अपमान से बिफरे सदस्यों ने कहा की जिला पंचायत का सदन सीइओ की मर्जी से नहीं चलेगा। यदि उन्हें यहां दिक्कत हो रही है तो वह अपना स्थानांतरण करा दूसरा जिला देखे। जिपं सभागार में आयोजित प्रेसवार्ता में जिलाध्यक्ष रामखेलावन कोल सहित सभी सभापति एवं सदस्य उपिस्थत रहे।
मुख्यमंत्री से करेंगे शिकायत
जिप सदस्यों ने जिला पंचातय के अधिकारियों पर तानाशाही का आरोप लगाते हुए कहा, वह सदस्य तो दूर अध्यक्ष की बात भी नहीं सुनते उनके इस रवैए से सभी सदस्य आहत है। ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू ने कहा कि जल्द ही जिपं के सभी सदस्य मुख्यमंत्री से मुलाकात कर जिला पंचायत की स्थिति से उन्हें अवगत कराएंगे। यदि इसके बाद भी स्थिति नहीं बदली तो सभी सदस्य सामूहिक रूप से इस्तीफा दे देंगे।
इसलिए बैठक का बहिष्कार
जिला पंचायत सदस्यों ने आरोप लगाया कि समान्य सम्मिलन की बैठक का एजेंडा उन्हें कम से कम तीन दिन पहले मिल जाना चाहिए। लेकिन सदस्यों को एजेंडे का फोल्डर शुक्रवार को सदन में बैठक के दौरान उपलब्ध कराया गया। सदस्यों ने इसका विरोध करते हुए एजेंडे पर चर्चा करने से मना कर दिया। अध्यक्ष की अनुमति से सदस्यों एजेंडे अलग अपनी बात रखी। जिसका सीइओ ने विरोध किया तो सदस्यों ने बैठक का बहिस्कार करते हुए सदन से बाहर आ गए।
सदस्य व सीइओ भिड़े
जिपं सदस्यों ने आरोप लगाया कि जब हम लोग सदन छोड़कर बाहर आने लगे तो सीइओ ने कहा की आज के सम्मिलन की बैठक नहीं होगी। इस पर आपत्ति दर्ज कराते हुए सदस्यों ने कहा की जिपं की बैठक बुलाने और एजेंडा तैयार कराने का अधिकार जिला पंचायत अध्यक्ष को है सीइओ सिर्फ सचिव है उन्हें सदन में बोलने का अधिकार ही नहीं हैं। इसके बावजदू उन्होंने सभापति ज्ञानेन्द्र सिंह को सदन से बाहर जाने को कहा। इससे सदस्य आक्रोशित हो गए ओर सदन से बाहर सीइओ एवं सभापति इसी बात को लेकर फिड गए। दोनों के बीच लगभग दो मिनट तक जमकर कहा सुनी हुई।
प्रेस कांफ्रेंस में यह रहे उपिस्थत
प्रेसवार्ता में जिला पंचायत अध्यक्ष रामखेलावन कोल, उपाध्यक्ष सुष्मिता सिंह परिहार, सभापति महेंद्र सिंह पिथैपुर, ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू, तारा विजय पटेल, हरीशकांत त्रिपाठी, रमाकांत पयासी, संजय सिंह कछवाह,देवदत्त सोनी, पूजा गुप्ता, सुभाषचंद्र बुनकर सहित सभी सदस्य उपस्थित रहे।
हैरानी की बात यह कि जिला पंचायत से लेकर लेकर प्रदेश व देश में भाजपा की सरकारें हैं। जिपं अध्यक्ष भी भाजपा समर्थित माने जाते हैं। सांसद-मंत्री के करीबी भी हैं। इसके बावजूद उनकी सुनवाई नहीं होती। अध्यक्ष ही नहीं ज्यादातर सदस्यों ने भी अफसरशाही हावी होने का आरोप लगाया है। हालांकि, जिला पंचायत सीईओ डॉ. परीक्षित झाड़े ने सभी आरोपों को निराधार बताया। कहा, कुछ सदस्य नियम विरुद्ध काम कराना चाहते हैं। मना करने पर दबाव बनाते हैं।
सदन संचालन में अनावश्यक हस्ताक्षेप करते हैं। जानबूझकर ऐसे मुद्दे प्रस्ताव लाए जाते हैं, जिसे नियमानुसार पूरा कर पाना संभव नहीं होता। किसी पंचायत में भ्रष्टाचार हो रहा है तो सदस्य इसकी जानकारी हमें दें। हम जांच कर दंडात्मक कार्रवाई करेंगे। सदस्य हर निर्माण कार्य की जांच के लिए अशासकीय जांच समिति गठित करने का प्रस्ताव देते हंै। जिला पंचायत में ऐसा कोई नियम नहीं हैं, इसलिए यह प्रस्ताव नहीं माना गया।
मनमानी से आहत
जिला पंचायत सदस्यों ने शुक्रवार को आयोजित जिला पंचायत के दूसरे सामान्य सम्मिलन का बहिष्कार कर दिया। सदस्यों ने एक स्वर में जिला पंचायत के कार्यपालन अधिकारी डॉ. परीक्षित पर तानाशाही एवं बार-बार सदस्यों को अपमानित करने के गंभीर आरोप लगाए। बैठक का बहिष्कार करने के बाद जिपं सदस्यों ने प्रेस कांफ्रेस करते हुए सीईओ पर जमकर हमला बोला ,सदस्यों ने एक स्वर में कहा कि जिला पंचायत भ्रष्टाचार का कल्पवृक्ष बन चुका है। जिपं कर्मचारी इसकी जड़, सीइओ तना, जनपद सीइओ डाली और पंचायत कर्मचारी इसके फूल और फल हैं। जिला पंचायत में व्याप्त भ्रष्टाचार के कारण ग्राम विकास की योजनाओं को पलीता लग रहा है। इसकी शिकायत करने पर अधिकारी जांच का झुनझुना पकड़ा देते हैं। ग्राम पंचायतों में वित्तीय अनियमिताओं की सैकड़ों शिकायतें जिला पंचायत में जांच के नाम पर दख ली गई है आज तक एक भी दोषी पर कार्रवाई नहीं की गई। सम्मिलन में किए गए अपमान से बिफरे सदस्यों ने कहा की जिला पंचायत का सदन सीइओ की मर्जी से नहीं चलेगा। यदि उन्हें यहां दिक्कत हो रही है तो वह अपना स्थानांतरण करा दूसरा जिला देखे। जिपं सभागार में आयोजित प्रेसवार्ता में जिलाध्यक्ष रामखेलावन कोल सहित सभी सभापति एवं सदस्य उपिस्थत रहे।
मुख्यमंत्री से करेंगे शिकायत
जिप सदस्यों ने जिला पंचातय के अधिकारियों पर तानाशाही का आरोप लगाते हुए कहा, वह सदस्य तो दूर अध्यक्ष की बात भी नहीं सुनते उनके इस रवैए से सभी सदस्य आहत है। ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू ने कहा कि जल्द ही जिपं के सभी सदस्य मुख्यमंत्री से मुलाकात कर जिला पंचायत की स्थिति से उन्हें अवगत कराएंगे। यदि इसके बाद भी स्थिति नहीं बदली तो सभी सदस्य सामूहिक रूप से इस्तीफा दे देंगे।
इसलिए बैठक का बहिष्कार
जिला पंचायत सदस्यों ने आरोप लगाया कि समान्य सम्मिलन की बैठक का एजेंडा उन्हें कम से कम तीन दिन पहले मिल जाना चाहिए। लेकिन सदस्यों को एजेंडे का फोल्डर शुक्रवार को सदन में बैठक के दौरान उपलब्ध कराया गया। सदस्यों ने इसका विरोध करते हुए एजेंडे पर चर्चा करने से मना कर दिया। अध्यक्ष की अनुमति से सदस्यों एजेंडे अलग अपनी बात रखी। जिसका सीइओ ने विरोध किया तो सदस्यों ने बैठक का बहिस्कार करते हुए सदन से बाहर आ गए।
सदस्य व सीइओ भिड़े
जिपं सदस्यों ने आरोप लगाया कि जब हम लोग सदन छोड़कर बाहर आने लगे तो सीइओ ने कहा की आज के सम्मिलन की बैठक नहीं होगी। इस पर आपत्ति दर्ज कराते हुए सदस्यों ने कहा की जिपं की बैठक बुलाने और एजेंडा तैयार कराने का अधिकार जिला पंचायत अध्यक्ष को है सीइओ सिर्फ सचिव है उन्हें सदन में बोलने का अधिकार ही नहीं हैं। इसके बावजदू उन्होंने सभापति ज्ञानेन्द्र सिंह को सदन से बाहर जाने को कहा। इससे सदस्य आक्रोशित हो गए ओर सदन से बाहर सीइओ एवं सभापति इसी बात को लेकर फिड गए। दोनों के बीच लगभग दो मिनट तक जमकर कहा सुनी हुई।
प्रेस कांफ्रेंस में यह रहे उपिस्थत
प्रेसवार्ता में जिला पंचायत अध्यक्ष रामखेलावन कोल, उपाध्यक्ष सुष्मिता सिंह परिहार, सभापति महेंद्र सिंह पिथैपुर, ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू, तारा विजय पटेल, हरीशकांत त्रिपाठी, रमाकांत पयासी, संजय सिंह कछवाह,देवदत्त सोनी, पूजा गुप्ता, सुभाषचंद्र बुनकर सहित सभी सदस्य उपस्थित रहे।