satna: मार्कफेड ने सोसायटियों संग साजिश रच पैदा किया खाद का कृत्रिम संकट | satna: Markfed and societies created artificial crisis of manure | Patrika News

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satna: मार्कफेड ने सोसायटियों संग साजिश रच पैदा किया खाद का कृत्रिम संकट | satna: Markfed and societies created artificial crisis of manure | Patrika News

समिति सदस्य बनवाते थे फुटकर लाइसेंस पत्रिका के पास मौजूद दस्तावेजों से जिले में बड़े पैमाने पर होने वाले खाद के खेल का खुलासा हो रहा है। इस पूरे खेल को अंजाम दे रही थीं सहकारी सोसायटी अधिनियम 1960 तथा नियम 1962 के तहत गठित 19 सामान्य सोसायटियां। विपणन संघ के अधिकारियों से स्त्रोत प्रमाण पत्र (ओ फार्म) प्राप्त कर पहले इन सोसायटियों ने उर्वरक लाइसेंस प्राप्त किए। इसके बाद इन्ही सामान्य सोसायटियों से संबंधित सदस्यों, अध्यक्षों और सचिवों ने अलग से निजी उर्वरक थोक और फुटकर लाइसेंस प्राप्त किये। इसके बाद इन सामान्य समितियों ने सहकारी सोसायटी अधिनियम के सहारे विपणन संघ के गोदाम प्रभारियों से सांठगांठ कर उर्वरकों की अति आवश्यक अवधि में अधिक से अधिक मात्रा में उर्वरक प्राप्त कर लेते थे। फिर सामान्य सोसायटियों की आड़ में अपने निजी संस्थानों से उर्वरक की कालाबाजारी करते थे। इस वजह से शासन से पर्याप्त खाद की आपूर्ति के बाद भी किसानों को आवश्यकतानुसार खाद समय पर नहीं मिल पाती थी।

इस तरह होता है खेल जिले में खरीफ में 2.70 लाख हैक्टेयर में धान और रबी मौसम में 3.20 लाख हैक्टेयर में गेहूं बोया जाता है। इसके लिये बोनी से गभोट तक किसान खाद की मांग करते हैं। जिसा फायदा विपणन संघ के गोदाम प्रभारियों व सामान्य सोसायटियों द्वारा उठाया जाता रहा है। अधिकतम मांग की समयावधि को ध्यान में रखते हुए इनके द्वारा कालाबाजारी की जाती रही है। शासन के तय फार्मूले 70:30 के तहत क्रमश: विपणन संघ और निजी थोक खाद विक्रेताओं को उर्वरक प्रदान किया जाता है। लेकिन जिला विपणन अधिकारी की उदासीनता या मिलीभगत के चलते निजी क्षेत्र की सामान्य समितियों को रेक हेड से ही नियम विरुद्ध सीधे खाद का आवंटन कर दिया जाता है।

दस्तावेजों से खुला राज दस्तावेज बताते हैं कि सामान्य समितियों के सचिव, अध्यक्ष व सदस्यों के द्वारा अपने नामों से निजी उर्वरक के थोक व फुटकर लाइसेंस लिये गये। मसलन मां शारदा रासायनिक खाद क्रय विक्रय सहकारी समिति मर्या. हरनामपुर के प्रबंधक दीपक पाण्डेय हैं। मार्कफेड के डबल लॉक केन्द्र मैहर से 50 मीटर दूर संचालित थोक व फुटकर खाद विक्रय प्रतिष्ठान मे. शुभम ट्रेडर्स के प्रोपराइटर भी दीपक पाण्डेय हैं। इनके द्वारा सामान्य सोसायटी के नाम पर सतना रैक हेड से मैहर डबल लॉक के द्वारा समिति के नाम खाद आवंटित करवा कर मे. शुभम ट्रेडर्स में खाद का भंडारण कराया जाता रहा। जिला विपणन अधिकारी सतना कार्यालय के दस्तावेजों के अनुसार इसके बाद खाद आवश्यकता के पीक सीजन में मैहर डबल लॉक 3-4 ट्रक खाद मां शारदा रासायनिक खाद क्रय विक्रय सहकारी समिति मर्या. के नाम पर आवंटित करवा लेते थे। इसके बाद कालाबाजारी का खेल शुरू होता था। इस मामले में विपणन संघ प्रभारी की सफाई है कि किसानों की भीड़ नियंत्रित करने ऐसा किया जाता है। जबकि यह खाद का कृत्रिम संकट पैदा करने का खेल था। इस तरह का खेल अन्य सामान्य सोसायटियों में भी विपणन संघ के अधिकारियों की मिली भगत से हो रहा था।

अगर ऐसा हो रहा है तो यह गंभीर मामला है। इसकी जांच कराई जाएगी। इसमें जो भी दोषी होगा उस पर कार्यवाही की जाएगी। ” – अनुराग वर्मा, कलेक्टर





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