satna: पालन बने नगर निगम के स्पीकर, कांग्रेस पार्षद की क्रास वोटिंग | satna: Palan became the speaker of the municipal corporation | Patrika News

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satna: पालन बने नगर निगम के स्पीकर, कांग्रेस पार्षद की क्रास वोटिंग | satna: Palan became the speaker of the municipal corporation | Patrika News


satna: पालन बने नगर निगम के स्पीकर, कांग्रेस पार्षद की क्रास वोटिंग | satna: Palan became the speaker of the municipal corporation | Patrika News

नगर निगम अध्यक्ष पद के लिये तय समय पर निर्वाचन प्रक्रिया प्रारंभ हुई। भाजपा से राजेश चतुर्वेदी पालन ने तथा कांग्रेस से रावेन्द्र सिंह मिथलेश ने नामांकन भरा। पीठासीन अधिकारी कलेक्टर अनुराग वर्मा ने नामांकन प्रक्रिया पूरी होने के बाद मतदान के लिये मतपत्र निर्मित करवाए। इसके बाद मतदान प्रक्रिया प्रारंभ की गई। लगभग 2 बजे से मतदान की प्रक्रिया प्रारंभ हुई। मतदानके लिये कांग्रेस खेमे के पार्षद काफी पहले से मतदान कक्ष में पहुंच चुके थे। वोटिंग प्रारंभ होने के कुछ देर बाद एक मिनी बस में भाजपा खेमे के पार्षद नगर निगम परिसर पहुंचे। इस वाहन को अंतिम बैरिकेडिंग के भी अंदर ले जाने को लेकर कांग्रेस और भाजपा खेमें में झूमा झटकी की स्थिति बन गई। इस दौरान भाजपा खेमे की पेशानी पर तब बल पड़ गये जब उसने पाया कि भाजपा पार्षद नम्रता सिंह नहीं पहुंची है। हालांकि कुछ ही देर में जब वे पहुंची तो भाजपा खेमे ने राहत की सांस ली। जब परिणाम आए तो भाजपा प्रत्याशी राजेश चतुर्वेदी को 28 वोट, कांग्रेस प्रत्याशी रावेन्द्र सिंह को अपनी पार्टी के कुल 19 पार्षदों से एक कम 18 वोट मिले। इस तरह भाजपा के राजेश 10 वोट से जीत हासिल कर अध्यक्ष निर्वाचित घोषित किए गए।

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हाईजैक कर लिया था भाजपा ने कांग्रेस का एक पार्षद कांग्रेस ने अलग से शपथ ली थी। शपथ के बाद भी कांग्रेस खेमा जब कलेक्ट्रेट से निकलने लगा तो अचानक वहां पर भाजपा खेमे के एक व्यक्ति ने कांग्रेस पार्षद अच्छेलाल कोल को अपने वाहन में जबरिया बैठा कर वहां से निकल भागा। इसके बाद कांग्रेसियों ने उसकी तमाम तलाश की लेकिन वो कांग्रेस के हाथ नहीं आया। हालांकि रविवार को कांग्रेस खेमे को अच्छेलाल की सतना में लोकेशन मिल गई। जिसके साथ वो था उससे बात भी की गई। जहां से आश्वस्त कराया गया कि अच्छेलाल आएगा और कांग्रेस के पक्ष में ही रहेगा। लेकिन मतदान के दिन जब अच्छेलाल नहीं पहुंचा तो कांग्रेस खेमा सचेत हो गया। इधर मतदान की प्रक्रिया प्रारंभ हो चुकी थी और अच्छेलाल गायब थे। मौके की नजाकत को समझते हुए निगम परिसर की अंतिम बैरिकेटिंग के पास सभी कांग्रेसी इक्कठा हो गया। रणनीति यह थी कि जैसे ही अच्छेलाल आएगा उसे वे अपने कब्जे में ले लेंगे। इस दौरान यहां विधायक सिद्धार्थ कुशवाहा, पूर्व महापौर पुष्कर सिंह, राजदीप सिंह सहित अन्य लोग मौजूद थे। इसी दौरान भाजपा पार्षदों को लेकर मिनी बस पहुंची। जैसे बैरीकेट के अंदर बस ले जाने बैरीकेट खोला गया उसके साथ ही कांग्रेस के केके सिंह बस के आगे बैठ गए। इन्होंने कहा कि जब कांग्रेस पार्षदों के वाहनों को इसके अंदर नहीं जाने दिया गया तो यह वाहन भी नहीं जाएगा। इसी दौरान पुष्कर सिंह ने कहा कि अच्छेलाल को नीचे उतारो। बस इसके साथ ही यहां हंगामा खड़ा हो गया। भाजपा की ओर से मोर्चा गगनेन्द्र प्रताप सिंह और लालन चतुर्वेदी ने संभाला और अन्य भाजपाई भी आ गए। स्थिति झूमाझटकी तक की बन गई। बमुश्किल पुलिस ने इस वाहन को अंदर कराया। जैसे ही यह वाहन अंदर गया और लोग अपास में उलझे रहे इसके ठीक पीछे एक स्कार्पियो तेजी से अंदर पहुंची। जब तक कांग्रेसी समझ पाते तब तक भाजपा के कृष्णा पाण्डेय व अन्य लोग इस वाहन से अच्छेलाल को उतार कर तेजी से मतदान कक्ष की ओर लेकर दौड़ लगा दिए। इस तरह से इस हाईजैक का पटाक्षेप हुआ।
satna: पालन बने नगर निगम के स्पीकर, कांग्रेस पार्षद की क्रास वोटिंग
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काम पूरा होते ही तल्खी खत्म, मिले गले इधर अच्छेलाल के अंदर जाते ही बाहर दोनों पक्षों ने एक दूसरे के गले मिल पूरे विवाद को आपस में ही खत्म किया। पहले जहां पुष्कर सिंह और गगनेन्द्र सिंह के बीच तीखी हॉट टॉक हुई वहीं बाद में दोनों ने गले मिल राजनीतिक कटुता खत्म की। हालांकि इस घटनाक्रम को लेकर कांग्रेस ने सरकारी मशीनरी पर भाजपा के लिये काम करने का आरोप लगाया। कहा, पुलिस के देखते हुए कांग्रेस के पार्षद को भाजपाई अपने कब्जे में करके अंदर ले गये और विरोध के बाद भी पुलिस मूक दर्शक बनी रही।

दो दिन में ही कांग्रेस से मोह भंग 19 पार्षदों वाली कांग्रेस ने अध्यक्ष पद के लिये दो निर्दलीय पार्षदों को अपने खेमे में लाते हुए कमलनाथ से सदस्यता दिलाई। इसमें सुषमा लोधी और संजू यादव शामिल थे। जबलपुर में कांग्रेस की सदस्यता दिलाने के बाद शपथ ग्रहण के लिये विधायक के साथ दोनों पार्षद शपथ लेने पहुंचे थे। इस दौरान एक पार्षद को लेकर भाजपा खेमे से विधायक सिद्धार्थ की विवाद की भी स्थिति बन गई थी। लेकिन वोटिंग के दिन भाजपा का खेल ऐसा रहा एक दिन पहले कांग्रेस की सदस्यता लेने वाले दोनों पार्षदों ने कांग्रेस का दामन छोड़ भाजपा के प्रत्याशी पर भरोसा जता दिया। हालांकि इस मामले में हार्स ट्रेडिंग की बाते भी सामने आ रही हैं।

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महापौर ने भी किया मतदान आम तौर पर पहले महापौर का वोट सुप्रीम वोट माना जाता था। उनके द्वारा तब वोटिंग की जाती थी जब दोनों पक्ष टाई हो जाते थे। तब महापौर के मत से फैसला होता था। लेकिन अब आयोग ने निर्वाचन नियमों में बदलाव कर दिया है। अध्यक्ष पद के निर्वाचन के लिये कहा गया है कि महापौर और पार्षद मिलकर वोट करेंगे। लिहाजा इस बार महापौर योगेश ताम्रकार ने भी वोट किया। मतदान की शुरुआत ही महापौर के वोट डालने से हुई। स्वाभाविक तौर पर उनका वोट भाजपा के खाते में माना जा रहा है। इस चुनाव में महापौर के वोट को मिलाकर कुल 46 वोट पड़े।

निर्विरोध निर्वाचित हुई अपील समिति अध्यक्ष के निर्वाचन के बाद निगम की अपील समिति के लिये चुनाव हुआ। इस समिति के अध्यक्ष महापौर होते हैं। इसमें अध्यक्ष के अलावा 4 सदस्य होते हैं। नामांकन के दौरान कुल 4 नामांकन ही आए। जिसमें से दो भाजपा और दो कांग्रेस खेमे से थे। लिहाजा इन्हें निर्विरोध निर्वाचित घोषित किया गया। भाजपा से मंजू यादव सुमन बाल्मीकि तथा कांग्रेस से मनीष टेकवानी और कृष्णकुमार सिंह निर्वाचित हुए। अगर निर्विरोध की स्थिति नहीं बनती तो इसका निर्वाचन काफी अलग तरीके से होता। इसके लिये सभी पार्षदों ने प्राथमिकता में नाम लिये जाते। जिसके लिये प्राथमिकता ज्यादा होती उसे तय वेटेज के आधार पर निर्वाचित घोषित किया जाता।

…और भाजपा ने इस तरह खोला लिफाफा अध्यक्ष पद के प्रत्याशी के लिये पूरी रात मशक्कत के बाद प्रत्याशी के नाम पर मुहर लगाने के बाद लिफाफा बंद किया गया। सुबह 10 बजे सभी भाजपा पार्षदों को बुलाया गया। यहां प्रभारी विनोद गोंटिया को लिफाफा खोल कर नाम की घोषणा करना था लेकिन उन्होंने ऐसा न करते हुए सांसद को लिफाफा दे दिया। लिफाफा खोलने से पहले सांसद ने बोला कि इसमें हमारा योगदान नहीं है। यह अधिकार गोटिया जी का ही है। फिर उन्होंने लिफाफे से पर्चा निकाला। जिसमें राजेश चतुर्वेदी प्रत्याशी घोषित हुए। इसके साथ ही अध्यक्ष पद के दावेदार रहे अभिषेक तिवारी अंशु ने खुद को प्रस्तावक के तौर पर प्रस्तुत किया। इधर घोषणा के बाद एक खेमे के पार्षद यहां से चले गये। हालांकि वे बाद में आने की बात कहकर गये थे। लेकिन उनके आने तक भाजपा की सांसे ऊपर नीचे थीं।

इसलिये कांग्रेस ने प्रॉक्सी का किया विरोध कांग्रेस ने मतदान के पहले ही प्राक्सी वोटिंग को लेकर आवेदन दिया और कहा कि सिर्फ अनपढ़ को ही प्राक्सी वोटिंग का अधिकार दिया जाए। हालांकि कलेक्टर ने पहले ही किसी को प्राक्सी वोटिंग की अनुमति नहीं दी थी। इस संबंध में कांग्रेस अंदरखाने से पता चला है कि भाजपा को अपने खेमे में भी क्रास वोटिंग का अंदेशा था। एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने पांच वोट के लिये प्राक्सी की बात की थी। जिसे एक पार्षद ने तल्खी से इंकार कर दिया था। यह मामला भाजपा खेमे से ही कांग्रेस के संज्ञान में आ गया था। लिहाजा मतदान के पहले ही आवेदन दे दिया गया था।





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