satna: गलती बैंकों की और शिकायत फोर्स क्लोज हो रही किसानों की | Mistake of banks and complaints of farmers getting force closing | Patrika News
बैंकों ने किसानों की राशि काटी लेकिन फसल बीमा कंपनी में जमा नही कराया
अब लाभ पाने से वंचित रह गये किसान हो रहे परेशान
सतना
Published: April 18, 2022 12:29:03 pm
सतना. प्रदेश के मुखिया किसानों के हित के लिये लगातार प्रयासरत हैं। फसल नुकसानी से परेशान किसानों को राहत देने के लिए मुख्यमंत्री ने सिंगल क्लिक के जरिये किसानों के खाते में राशि ट्रांसफर भी की। लेकिन सतना जिले में काफी संख्या में हितग्राही किसान ऐसे हैं जिनके खाते में फसल बीमा की राशि नहीं पहुंची। परेशान किसानों ने जब सीएम हेल्पलाइन में शिकायत की तो पता चला कि बैंको ने किसानों की फसल बीमा का प्रीमियम तो काट लिया था लेकिन उसे बीमा कंपनी को नहीं दिया। नतीजा उन्हें बीमा का लाभ नहीं मिलेगा। यह तथ्य सामने आने के बाद अब बैंकों पर बिना कोई कार्रवाई किये या किसानों को बिना राहत दिलाए इन शिकायतों को फोर्स क्लोज करने का प्रस्ताव भेज दिया गया है।
Mistake of banks and complaints of farmers getting force closing
किसानों से धोखाधड़ी सतना जिले के किसानों के साथ बैंक धोखाधड़ी कर रहे हैं। स्थिति यह है कि किसानों द्वारा फसल बीमा प्रीमियम की राशि बैंक में जमा करने के बाद भी उसे बीमा कंपनी को नहीं दे रहे हैं। नतीजा किसानों को फसल नुकसानी के बाद भी बीमा का लाभ नहीं मिल रहा है। अब जब किसान इस मामले की शिकायत सीएम हेल्प लाइन में कर रहे हैं तो बैंक बड़ी चतुराई वाला जवाब देकर अपना पल्ला झाड़ रहे हैं। उनके द्वारा बड़ी मासूमियत से बता दिया जाता है कि किसी कारण वश प्रीमियम राशि किसानों के खाते में वापस कर दी गई थी। इसके बाद किसान को न्याय मिलने की जगह उस शिकायत को फोर्स क्लोज करने के लिये भेज दिया जाता है। जबकि किसान सीएम हेल्प लाइन में अंसुष्टि के साथ खुद से हुए छल की गुहार लगाता रह जाता है।
कई मामले ऐसे सामने आए इस तरह के काफी संख्या में मामले सामने आ चुके हैं जिसमें किसान ने बैंक में प्रीमियम जमा किया लेकिन उसे बैंक द्वारा बीमा कंपनी को राशि जमा नहीं करने पर बीमा का लाभ नहीं मिला। रामपुर बाघेलान तहसील के किसान की शिकायत क्रमांक 7775275 में पाया गया कि इंडियन बैंक ने जुलाई 2016 में प्रीमियम की राशि काटी थी। लेकिन बाद में किसी कारणवश (क्या कारण था बताया नहीं) वापस किसान के खाते में वापस कर दिया। अब शिकायत को फोर्स क्लोज कर दिया गया है। ऐसा ही मामला शिकायत क्रमांक 12716070 सहित दर्जन भर शिकायतों में पाया गया है। इसी तरह किसान क्रेडिट कार्डधारी किसानों की प्रीमियम बैंकों को काट कर बीमा कंपनी को देना होता है। लेकिन बैंक इसमें भी लापरवाही कर रहे है। नतीजा किसान को लाभ नहीं मिल रहा है। ऐसा मामला रामपुर का ही शिकायत क्रमांक 8412881 में सामने आया है। इसमें बैंक ने स्वीकार किया है कि किसान की प्रीमियम राशि नहीं काटी गई है।
तो बैंकों पर कार्रवाई क्यों नहीं इस मामले में भाजपा किसान मोर्चा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष कृष्णा पाण्डेय कहते हैं कि जब स्पष्ट है कि ऋणी किसानों का फसल बीमा बीमा प्रीमियम बैंकों को जमा कराना है उसके बाद बैंक ऐसा नहीं कर रहे हैं तो वे दोषी है। इसी तरह अगर किसान का प्रीमियम काटा गया है तो उसे बीमा कंपनी को देना अनिवार्य है। ये तो बहानेबाजी है कि राशि वापस उसके खाते में वापस कर दी गई। यह अमानत में ख्यानत का मामला है। इस पर बैंकों पर कार्रवाई होनी चाहिए।
कृषि विभाग सामने ला चुका है मामला इस मामले में उप संचालक कृषि केसी अहिरवार से बात की गई तो उनका कहना है कि उन्होंने ऐसे मामले डीएलसीसी बैठक में सामने रखे थे। अब इस पर कार्रवाई वरिष्ठ स्तर पर हो सकती है। जो भी मामले सामने आते हैं उन्हें कलेक्टर और एलडीएम को लगातार अवगत कराया जा रहा है।
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बैंकों ने किसानों की राशि काटी लेकिन फसल बीमा कंपनी में जमा नही कराया
अब लाभ पाने से वंचित रह गये किसान हो रहे परेशान
सतना
Published: April 18, 2022 12:29:03 pm
सतना. प्रदेश के मुखिया किसानों के हित के लिये लगातार प्रयासरत हैं। फसल नुकसानी से परेशान किसानों को राहत देने के लिए मुख्यमंत्री ने सिंगल क्लिक के जरिये किसानों के खाते में राशि ट्रांसफर भी की। लेकिन सतना जिले में काफी संख्या में हितग्राही किसान ऐसे हैं जिनके खाते में फसल बीमा की राशि नहीं पहुंची। परेशान किसानों ने जब सीएम हेल्पलाइन में शिकायत की तो पता चला कि बैंको ने किसानों की फसल बीमा का प्रीमियम तो काट लिया था लेकिन उसे बीमा कंपनी को नहीं दिया। नतीजा उन्हें बीमा का लाभ नहीं मिलेगा। यह तथ्य सामने आने के बाद अब बैंकों पर बिना कोई कार्रवाई किये या किसानों को बिना राहत दिलाए इन शिकायतों को फोर्स क्लोज करने का प्रस्ताव भेज दिया गया है।
Mistake of banks and complaints of farmers getting force closing
किसानों से धोखाधड़ी सतना जिले के किसानों के साथ बैंक धोखाधड़ी कर रहे हैं। स्थिति यह है कि किसानों द्वारा फसल बीमा प्रीमियम की राशि बैंक में जमा करने के बाद भी उसे बीमा कंपनी को नहीं दे रहे हैं। नतीजा किसानों को फसल नुकसानी के बाद भी बीमा का लाभ नहीं मिल रहा है। अब जब किसान इस मामले की शिकायत सीएम हेल्प लाइन में कर रहे हैं तो बैंक बड़ी चतुराई वाला जवाब देकर अपना पल्ला झाड़ रहे हैं। उनके द्वारा बड़ी मासूमियत से बता दिया जाता है कि किसी कारण वश प्रीमियम राशि किसानों के खाते में वापस कर दी गई थी। इसके बाद किसान को न्याय मिलने की जगह उस शिकायत को फोर्स क्लोज करने के लिये भेज दिया जाता है। जबकि किसान सीएम हेल्प लाइन में अंसुष्टि के साथ खुद से हुए छल की गुहार लगाता रह जाता है।
कई मामले ऐसे सामने आए इस तरह के काफी संख्या में मामले सामने आ चुके हैं जिसमें किसान ने बैंक में प्रीमियम जमा किया लेकिन उसे बैंक द्वारा बीमा कंपनी को राशि जमा नहीं करने पर बीमा का लाभ नहीं मिला। रामपुर बाघेलान तहसील के किसान की शिकायत क्रमांक 7775275 में पाया गया कि इंडियन बैंक ने जुलाई 2016 में प्रीमियम की राशि काटी थी। लेकिन बाद में किसी कारणवश (क्या कारण था बताया नहीं) वापस किसान के खाते में वापस कर दिया। अब शिकायत को फोर्स क्लोज कर दिया गया है। ऐसा ही मामला शिकायत क्रमांक 12716070 सहित दर्जन भर शिकायतों में पाया गया है। इसी तरह किसान क्रेडिट कार्डधारी किसानों की प्रीमियम बैंकों को काट कर बीमा कंपनी को देना होता है। लेकिन बैंक इसमें भी लापरवाही कर रहे है। नतीजा किसान को लाभ नहीं मिल रहा है। ऐसा मामला रामपुर का ही शिकायत क्रमांक 8412881 में सामने आया है। इसमें बैंक ने स्वीकार किया है कि किसान की प्रीमियम राशि नहीं काटी गई है।
तो बैंकों पर कार्रवाई क्यों नहीं इस मामले में भाजपा किसान मोर्चा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष कृष्णा पाण्डेय कहते हैं कि जब स्पष्ट है कि ऋणी किसानों का फसल बीमा बीमा प्रीमियम बैंकों को जमा कराना है उसके बाद बैंक ऐसा नहीं कर रहे हैं तो वे दोषी है। इसी तरह अगर किसान का प्रीमियम काटा गया है तो उसे बीमा कंपनी को देना अनिवार्य है। ये तो बहानेबाजी है कि राशि वापस उसके खाते में वापस कर दी गई। यह अमानत में ख्यानत का मामला है। इस पर बैंकों पर कार्रवाई होनी चाहिए।
कृषि विभाग सामने ला चुका है मामला इस मामले में उप संचालक कृषि केसी अहिरवार से बात की गई तो उनका कहना है कि उन्होंने ऐसे मामले डीएलसीसी बैठक में सामने रखे थे। अब इस पर कार्रवाई वरिष्ठ स्तर पर हो सकती है। जो भी मामले सामने आते हैं उन्हें कलेक्टर और एलडीएम को लगातार अवगत कराया जा रहा है।
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