Sardarshahar Election Result: राजस्थान में भाजपा को तगड़ा झटका, पढ़ें सरदारशहर उपचुनाव में हार का वसुंधरा राजे फैक्टर

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Sardarshahar Election Result: राजस्थान में भाजपा को तगड़ा झटका, पढ़ें सरदारशहर उपचुनाव में हार का वसुंधरा राजे फैक्टर

Sardarshahar Election Result: राजस्थान में भाजपा को तगड़ा झटका, पढ़ें सरदारशहर उपचुनाव में हार का वसुंधरा राजे फैक्टर

जयपुर: राजस्थान विधानसभा के सरदारशहर विधानसभा उपचुनाव परिणााम (shardarshahar-Election Result 2022) में राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी भारतीय जनता पार्टी को तगड़ा झटका लगा है। बता दें कि यहां कांग्रेस ने 26852 मतों से बीजेपी को शिकस्त दी है। कांग्रेस के अनिल शर्मा ने 90915 वोट हासिल कर बीजेपी के अशोक पींचा (64219) को पछाड़ा है। इस हार के साथ ही पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनियां (Dr Satish Poonia) और विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ (Rajendra Rathore), दोनों की प्रतिष्ठा को भी धक्का पहुंचा है। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भी अब तक हुए सभी उपचुनाव से दूरी बनाए रखकर यह साबित करने की कोशिश मैं सफल रही हैं कि उनके बिना राजस्थान में भाजपा का पार पाना मुश्किल है। हालांकि यह बात दीगर है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे (Vasundhra Raje) के साल 2013 से 2018 के कार्यकाल में हुए 8 उपचुनाव में से उस समय की विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने 4 विधानसभा और 2 लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी। उसी का परिणाम यह रहा था कि 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सत्तारूढ़ हुई थी।
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गहलोत सरकार ने 4 साल में बरकरार रखा जलवा, भाजपा के लिए सबक

गहलोत सरकार के अपने 4 साल के शासन के बाद और विधानसभा चुनाव 2023 से 1 साल पहले हुए उपचुनावों में गहलोत ने अपना जलवा बरकरार रखा है। महज राजसमंद उपचुनाव में भाजपा बस अपनी सीट बरकरार रख पाई है। वहीं धरियावद विधानसभा उपचुनाव में तो कांग्रेस ने यह सीट भाजपा से छीन ली थी। अब सरदारशहर विधानसभा उपचुनाव का परिणाम भी भाजपा के लिए सबक है। केंद्रीय नेतृत्व को यह सोचने पर मजबूर कर देने वाला है कि क्या साल 2023 के राजस्थान विधानसभा चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को दूर रखना नुकसान का सौदा तो नहीं होगा?
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वसुंधरा का प्रभाव, कांग्रेस ने भांपा तो राहुल को हाड़ौती लाए

उधर, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का राजस्थान में आज भी जलवा बरकरार है। धार्मिक यात्राओं के बहाने राजस्थान के विभिन्न स्थानों पर जाकर वह अपनी लोकप्रियता कई बार प्रमाणित भी कर चुकी हैं। इसी कारण मध्य प्रदेश से राजस्थान में प्रवेश हुई राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का रूट भी कांग्रेस ने झालावाड़ और कोटा होकर रखा गया। क्योंकि कांग्रेस यह अच्छी तरह जानती है कि वसुंधरा राजे का राजस्थान के हाड़ौती क्षेत्र में व्यापक प्रभाव है। और उसे कम करने के लिए कांग्रेस ने राहुल गांधी की यात्रा का सबसे ज्यादा फोकस इसी क्षेत्र में किया है।
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राजे को को दूर रख कर बीजेपी को क्या हासिल?
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब राजस्थान की कांग्रेस और इसके नेता साल 2023 के विधानसभा आम चुनाव में मुख्य चुनौती वसुंधरा राजे से मान रहे हैं। ऐसे में भारतीय जनता पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व राजे को को दूर रख कर क्या हासिल कर पाएगा? क्योंकि भारतीय जनता पार्टी के राजस्थान के वर्तमान नेतृत्व चाहे गहलोत के 4 साल के शासनकाल में हुए उपचुनाव में कुछ विशेष नहीं कर पाया। फिर चाहे प्रदेशाध्यक्ष डॉक्टर सतीश पूनियां हो या राजेंद्र सिंह राठौड़ हो। चित्तौड़गढ़ के सांसद सीपी जोशी हो या नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया हो या फिर केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत। सभी मिलकर भी गहलोत के सामने भाजपा के लिए कुछ विशेष नहीं कर पाए। और पार्टी को उपचुनाव में मुंह की खानी पड़ी।

गहलोत सराकर के खिलाफ जन आक्रोश को वोट में नहीं बदल पाई पार्टी

भाजपा का अब तक के सभी उप चुनावों में गहलोत सरकार के खिलाफ प्रदर्शन खराब रहा है। पार्टी के सरकार के खिलाफ मुख्य मुद्दे कानून व्यवस्था, अपराध दर, बेरोज़गारी भत्ता और किसान कर्जमाफी ही रहे। लेकिन भाजपा केवल अपने प्रचार में ही गहलोत सरकार के खिलाफ जन आक्रोश पैदा कर पाई, इसे वोट में तब्दील करने में वह पूरी तरह से फेल रही है।

किस चेहरे के साथ राजस्थान विधानसभा के आम चुनाव में उतरेगी बीजेपी?
अब यह देखना रुचिकर होगा कि क्या भाजपा बिना किसी मुख्यमंत्री के चेहरे को सामने रखें राजस्थान विधानसभा के आम चुनाव में उतरेगी? या केवल प्रधानमंत्री मोदी के सहारे या फिर अपने इस निर्णय पर एक बार फिर पुनर्विचार करेगी? क्योंकि पार्टी के वरिष्ठ नेता ओम प्रकाश माथुर सहित सभी यह साफ कर चुके हैं। यह बताया जा चुका है कि साल 2023 का राजस्थान विधानसभा का चुनाव भारतीय जनता पार्टी बिना किसी मुख्यमंत्री के चेहरे को आगे किए, नरेंद्र मोदी के नाम पर लड़ेगी।
रिपोर्ट-प्रमोद तिवारी

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