Sanjeevani Scam Case: SOG की चार्जशीट में कौन हैं दोषी? अशोक गहलोत और गजेंद्र शेखावत आए आमने-सामने

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Sanjeevani Scam Case: SOG की चार्जशीट में कौन हैं दोषी? अशोक गहलोत और गजेंद्र शेखावत आए आमने-सामने

Sanjeevani Scam Case: SOG की चार्जशीट में कौन हैं दोषी? अशोक गहलोत और गजेंद्र शेखावत आए आमने-सामने


जयपुर: संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटी घोटाले (Sanjeevani Scam case) को लेकर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और केंद्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत आमने-सामने हैं। पिछले कई महीनों से सीएम गहलोत संजीवनी घोटाले को लेकर केंद्रीय मंत्री पर करोड़ों रुपए के गबन के आरोप लगाते रहे हैं। पिछले दिनों गहलोत ने यह भी कहा कि इस घोटाले में जो आरोपी गिरफ्तार होकर जेल गए हैं, एसओजी की जांच में केंद्रीय मंत्री भी दोषी हैं। गजेन्द्र सिंह शेखावत, उनकी पत्नी और परिवार के अन्य सदस्य भी उन्हीं धाराओं के तहत दोषी हैं। इस बयान के बाद गजेंद्र शेखावत ने दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट में मानहानि का केस दर्ज कराया। इधर, एसओजी में केस दर्ज होने के बावजूद संजीवनी घोटाले के कई पीड़ितों ने जोधपुर के अलग-अलग पुलिस थानों में मुकदमे दर्ज कराए हैं। पिछले 3 दिन में 17 केस दर्ज किए जा चुके हैं।

तीन चार्जशीट पेश, गजेंद्र सिंह सीधे तौर पर आरोपी नहीं

राजस्थान पुलिस की स्पेशल विंग एसओजी (स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप) की ओर से संजीवनी कॉ-ऑपरेटिव सोसायटी घोटाले की जांच की जा रही है। इस मामले में अब तक तीन चार्जशीट पेश की जा चुकी है। एसओजी की ओर से पेश की गई तीनों ही चार्जशीट में केंद्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत सीधे तौर पर आरोपी नहीं है। ना ही उनके खिलाफ जांच लंबित है। जिनके खिलाफ चार्जशीट पेश की गई उनमें 10 से ज्यादा लोगों को सीधे तौर पर आरोपी बनाया गया। 10 से ज्यादा फर्मों के खिलाफ धोखाधड़ी के आरोप हैं। इन फर्मों में एक फर्म नवप्रभा बिल्डटेक प्राइवेट लिमिटेड भी है। जिनके शेयरहोल्डर केंद्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत और उनके परिवार के सदस्य हैं। इन शेयर्स को संजीवनी क्रेडिट सोसायटी के अध्यक्ष को ट्रांसफर कर दिए गए थे।

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शेखावत का नाम ना FIR में, ना ही चार्जशीट में

संजीवनी क्रेडिट कॉ-ऑपरेटिव सोसायटी घोटाले में देश के हजारों लोगों के करोड़ों रुपए निवेश हैं। मोटे मुनाफे का झांसा लेकर लोगों से रुपये निवेश करवाए गए। मुनाफा तो दूर हजारों लोगों की मूल रकम भी डूब गई। पीड़ितों की ओर से दर्ज कराई गई एफआईआर में केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत का नाम नहीं है। भले ही शेखावत पर करोड़ों रुपए के गबन के आरोप लगे हों लेकिन एसओजी की ओर से पेश की गई चार्जशीट में भी उनका नाम नहीं है।

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शेखावत का नाम लेकर झांसे में लिया – पीड़ित

एसओजी की जांच के दौरान पीड़ितों ने जो बयान दिए उनमें केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत के नाम का जिक्र है। इस केस में गवाह प्रॉपर्टी कारोबारी पारसमल जैन का कहना है कि एजेंट पदमचंद भंसाली ने कहा था कि संजीवनी में पैसा सुरक्षित है। जोधपुर सांसद गजेन्द्र सिंह उनके साथ हैं। वार्षिक समारोह में संजीवनी क्रेडिट सोसायटी के सीएमडी विक्रम सिंह बताते थे कि शेखावत उनके साथ हैं। बेफिक्र रहिए, कोई दिक्कत नहीं आएगी। अगर कोई दिक्कत आ भी गई तो मानजी हत्था वाली 16 मंजिला इमारत आनंदा को बेचकर पैसे चुकाए जाएंगे।

बाड़मेर जिले के सिवाना निवासी किराना व्यवसायी साबूसिंह भी इस केस में गवाह हैं। साबू सिंह का कहना है कि वे पहले विक्रम सिंह से मसाले लेते थे। साल 2008 में विक्रम सिंह ने कहा था कि वे और गजेन्द्र सिंह शेखावत मिलकर संजीवनी सोसायटी खोल रहे हैं। आप भी इससे जुड़िए, अच्छा मुनाफा मिलेगा। साबूसिंह ने अपने बयानों में कहा कि उन्होंने 50 से ज्यादा लोगों को सोसायटी से जोड़ा और निवेश करवाए। साबू सिंह के मुताबिक विक्रम सिंह और गजेंद्र सिंह मीटिंग में आते थे। वे कहते थे कि इसमें पैसा नहीं डूबेगा।

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गजेंद्र सिंह भी मीटिंग में शामिल होते थे- गवाह

संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटी में निवेश करने वाली सविता भाटी भी इस केस में गवाह है। भाटी ने अपने बयानों में कहा था कि एजेंट सुरेंद्र देवड़ा के कहने पर उन्होंने रिटायर्मेंट के 7 लाख रुपए संजीवनी क्रेडिट सोसायटी में निवेश किए थे। भाटी के मुताबिक, देवड़ा कहते थे कि संजीवनी सोसायटी गजेन्द्र सिंह शेखावत की है, उन पर भरोसा नहीं है क्या? इस केस में अन्य गवाह शशि बरड़िया का कहना है कि एजेंट उम्मेदचंद दावा करता था कि सोसायटी में गजेद्र सिंह पार्टनर है। सोसायटी के वार्षिक समारोह में गजेन्द्र सिंह भी शामिल होते थे। बरड़िया और उनके साथियों ने साढ़े 9 करोड़ रुपए निवेश किए थे।

शेखावत ने शेयर देकर संजीवनी से 100 करोड़ लिए- एके जैन

संजीवनी पीड़ित संघ के एडवोकेट एके जैन का कहना है कि गजेन्द्र सिंह की कंपनी नवप्रभा बिल्डटेक में गजेन्द्र सिंह, उनकी पत्नी नौनंद कंवर और अन्य की शेयरहोर्डिंग थी। इन्होंने कंपनी के शेयर संजीवनी के सीएमडी विक्रम सिंह और उनकी पत्नी विनोद कंवर के नाम ट्रांसफर किए थे। शेयर खरीदने के लिए संजीवनी से लोन लिया जो कि निवेशकों की राशि थी। इस तरह गजेन्द्र सिंह शेखावत ने संजीवनी को शेयर ट्रांसफर करके 100 करोड़ रुपए लिए थे।
रिपोर्ट – रामस्वरूप लामरोड़, जयपुर

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