S-400 India News: यूक्रेन युद्ध से रूसी हथियारों की सप्लाई पर असर नहीं, पुतिन ने भारत को S-400 की दूसरी रेजीमेंट भेज दुनिया को दिया संदेश
मॉस्को: यूक्रेन से जारी युद्ध (Russia Ukraine Latest News) के बीच रूस ने भारत को एस-400 मिसाइल सिस्टम (S-400 Missile System) की दूसरी रेजीमेंट भेज दी है। जिसके बाद यह सुनिश्चित हो गया है कि यूक्रेन युद्ध का असर रूसी हथियारों की सप्लाई (Rusian Arms Export 2022) पर नहीं पड़ा है। पहले यह दावा किया गया था कि इस युद्ध के कारण रूसी सेना के पास खुद के हथियारों (S-400 Missile System India) की कमी हो गई है। लेकिन, भारत को एस-400 मिसाइल सिस्टम जैसे ताकतवर हथियार को निर्यात करके रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने दुनियाभर के आलोचकों का मुंह बंद कर दिया है। रूस ने एस-400 (News about S-400 India and Russia) की पहली रेजिमेंट को दिसंबर 2021 में भारत को सौंप दिया था।
रूसी हथियारों को लेकर क्या दावा किया गया था
पश्चिमी मीडिया में दावा किया गया था कि यूक्रेन युद्ध के कारण रूसी सेना हथियारों की भारी कमी से जूझ रही है। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि व्लादिमीर पुतिन ने 24 फरवरी को यूक्रेन पर हमला करते समय सोचा था कि उनकी सेना दो दिनों में राजधानी कीव पर कब्जा कर लेगी, लेकिन ऐसा हो नहीं सका। किसी भी देश के पास अधिकतम 1 महीने तक युद्ध करने के लिए गोला-बारूद का स्टोर होता है, लेकिन इस युद्ध को 50 दिन से ऊपर हो चुके हैं। ऐसे में रूसी सेना के पास हथियारों की भारी कमी है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया था कि रूस पर प्रतिबंधों के कारण हथियार निर्माता कंपनियों के पास कच्चे माल की भी भारी कमी है। ऐसे में हथियार निर्माण का काम काफी धीमा है।
रूस ने भारत को दिया था भरोसा
भारत में रूस के नवनियुक्त राजदूत डेनिस अलीपोव ने 2 मार्च को कहा था कि भारत के लिए सैन्य हार्डवेयर और स्पेयर पार्ट्स से संबंधित किसी भी लेनदेन पर पश्चिमी प्रतिबंधों का असर नहीं होगा। उन्होंने बताया कि इन प्रतिबंधों को बेअसर करने के लिए दोनों देशों के बीच वित्तीय तंत्र मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि मुझे भारत को एस-400 मिसाइल सिस्टम की आपूर्ति के संबंध में कोई बाधा नहीं दिखती है। हमारे पास तंत्र है और बिना किसी अड़चन के सौदे को जारी रखेंगे। रूस पर लगे प्रतिबंध किसी भी तरह से भारत और रूस के डिफेंस डील को प्रभावित नहीं करेंगे, चाहें वो नए हों या पुराने।
रूसी राजदूत ने प्रतिबंधों के असर को किया था खारिज
अलीपोव ने प्रतिबंधों के खिलाफ आक्रामर रुख दिखाते हुए कहा कि रूस हमेशा राख से उठा है, यह फिर से उठेगा। मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है। हमने खुद को पूरी तरह से सुरक्षित करने के लिए कदम उठाए हैं। हमारी अर्थव्यवस्था स्थिर है और वह वर्तमान या भविष्य के दवाबों के दौरान भी खड़ी रहेगी। रूसी राजनयिक ने बताया कि रूस और भारत के बीच प्रतिबंधों को टालने के लिए पश्चिमी देशों के साधनों के अलावा भी तंत्र मौजूद हैं। उन्होंने यह भी कहा कि हमें इसके बारे में चिंता नहीं है। यह वर्तमान और भविष्य की स्थिति को एडजेस्ट करने का सवाल है। यह करना आसान है।
भारत को पहले ही दे चुका है एस-400 की 2 यूनिट
भारत और रूस ने 2016 में एस-400 मिसाइल सिस्टम की डील को साइन किया था। 5.43 बिलियन डॉलर की इस डील को लेकर अमेरिका ने कई बार प्रतिबंधों की चेतावनी भी दी थी। इसके बावजूद भारत अड़ा रहा और रूस ने पिछले साल एस-400 की डिलीवरी भी शुरू कर दी थी। रूस ने अपने एस-400 और एस-300 मिसाइल सिस्टम को और घातक बनाने का काम शुरू कर दिया है। इस सिस्टम में रूस नई तरह की कई मिसाइलों को शामिल करने जा रहा है जो दुश्मन के किसी भी मिसाइल को मार गिराने में सक्षम होंगी।
क्या है S-400 डिफेंस सिस्टम?
यह एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम है, जो दुश्मन के एयरक्राफ्ट को आसमान से गिरा सकता है। S-400 को रूस का सबसे अडवांस लॉन्ग रेंज सर्फेस-टु-एयर मिसाइल डिफेंस सिस्टम माना जाता है। यह दुश्मन के क्रूज, एयरक्राफ्ट और बलिस्टिक मिसाइलों को मार गिराने में सक्षम है। यह सिस्टम रूस के ही S-300 का अपग्रेडेड वर्जन है। इस मिसाइल सिस्टम को अल्माज-आंते ने तैयार किया है, जो रूस में 2007 के बाद से ही सेवा में है। यह एक ही राउंड में 36 वार करने में सक्षम है।
एक साथ 300 टारगेट को कर सकता है ट्रैक
S-400 का जलवा यह है कि इसके रडार 100 से 300 टारगेट ट्रैक कर सकते हैं। 600 किमी तक की रेंज में ट्रैकिंग कर सकता है। इसमें लगी मिसाइलें 30 किमी ऊंचाई और 400 किमी की दूरी में किसी भी टारगेट को भेद सकती हैं। मन करे, तो इससे ज़मीनी ठिकानों को भी निशाना बनाया जा सकता है। सबसे तगड़ी चीज़ यह कि एक ही समय में यह 400 किमी तक 36 टारगेट को एक साथ मार सकती है। इसमें 12 लॉन्चर होते हैं, यह तीन मिसाइल एक साथ दाग सकता है और इसे तैनात करने में पांच मिनट लगते हैं।
रूसी हथियारों को लेकर क्या दावा किया गया था
पश्चिमी मीडिया में दावा किया गया था कि यूक्रेन युद्ध के कारण रूसी सेना हथियारों की भारी कमी से जूझ रही है। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि व्लादिमीर पुतिन ने 24 फरवरी को यूक्रेन पर हमला करते समय सोचा था कि उनकी सेना दो दिनों में राजधानी कीव पर कब्जा कर लेगी, लेकिन ऐसा हो नहीं सका। किसी भी देश के पास अधिकतम 1 महीने तक युद्ध करने के लिए गोला-बारूद का स्टोर होता है, लेकिन इस युद्ध को 50 दिन से ऊपर हो चुके हैं। ऐसे में रूसी सेना के पास हथियारों की भारी कमी है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया था कि रूस पर प्रतिबंधों के कारण हथियार निर्माता कंपनियों के पास कच्चे माल की भी भारी कमी है। ऐसे में हथियार निर्माण का काम काफी धीमा है।
रूस ने भारत को दिया था भरोसा
भारत में रूस के नवनियुक्त राजदूत डेनिस अलीपोव ने 2 मार्च को कहा था कि भारत के लिए सैन्य हार्डवेयर और स्पेयर पार्ट्स से संबंधित किसी भी लेनदेन पर पश्चिमी प्रतिबंधों का असर नहीं होगा। उन्होंने बताया कि इन प्रतिबंधों को बेअसर करने के लिए दोनों देशों के बीच वित्तीय तंत्र मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि मुझे भारत को एस-400 मिसाइल सिस्टम की आपूर्ति के संबंध में कोई बाधा नहीं दिखती है। हमारे पास तंत्र है और बिना किसी अड़चन के सौदे को जारी रखेंगे। रूस पर लगे प्रतिबंध किसी भी तरह से भारत और रूस के डिफेंस डील को प्रभावित नहीं करेंगे, चाहें वो नए हों या पुराने।
रूसी राजदूत ने प्रतिबंधों के असर को किया था खारिज
अलीपोव ने प्रतिबंधों के खिलाफ आक्रामर रुख दिखाते हुए कहा कि रूस हमेशा राख से उठा है, यह फिर से उठेगा। मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है। हमने खुद को पूरी तरह से सुरक्षित करने के लिए कदम उठाए हैं। हमारी अर्थव्यवस्था स्थिर है और वह वर्तमान या भविष्य के दवाबों के दौरान भी खड़ी रहेगी। रूसी राजनयिक ने बताया कि रूस और भारत के बीच प्रतिबंधों को टालने के लिए पश्चिमी देशों के साधनों के अलावा भी तंत्र मौजूद हैं। उन्होंने यह भी कहा कि हमें इसके बारे में चिंता नहीं है। यह वर्तमान और भविष्य की स्थिति को एडजेस्ट करने का सवाल है। यह करना आसान है।
भारत को पहले ही दे चुका है एस-400 की 2 यूनिट
भारत और रूस ने 2016 में एस-400 मिसाइल सिस्टम की डील को साइन किया था। 5.43 बिलियन डॉलर की इस डील को लेकर अमेरिका ने कई बार प्रतिबंधों की चेतावनी भी दी थी। इसके बावजूद भारत अड़ा रहा और रूस ने पिछले साल एस-400 की डिलीवरी भी शुरू कर दी थी। रूस ने अपने एस-400 और एस-300 मिसाइल सिस्टम को और घातक बनाने का काम शुरू कर दिया है। इस सिस्टम में रूस नई तरह की कई मिसाइलों को शामिल करने जा रहा है जो दुश्मन के किसी भी मिसाइल को मार गिराने में सक्षम होंगी।
क्या है S-400 डिफेंस सिस्टम?
यह एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम है, जो दुश्मन के एयरक्राफ्ट को आसमान से गिरा सकता है। S-400 को रूस का सबसे अडवांस लॉन्ग रेंज सर्फेस-टु-एयर मिसाइल डिफेंस सिस्टम माना जाता है। यह दुश्मन के क्रूज, एयरक्राफ्ट और बलिस्टिक मिसाइलों को मार गिराने में सक्षम है। यह सिस्टम रूस के ही S-300 का अपग्रेडेड वर्जन है। इस मिसाइल सिस्टम को अल्माज-आंते ने तैयार किया है, जो रूस में 2007 के बाद से ही सेवा में है। यह एक ही राउंड में 36 वार करने में सक्षम है।
एक साथ 300 टारगेट को कर सकता है ट्रैक
S-400 का जलवा यह है कि इसके रडार 100 से 300 टारगेट ट्रैक कर सकते हैं। 600 किमी तक की रेंज में ट्रैकिंग कर सकता है। इसमें लगी मिसाइलें 30 किमी ऊंचाई और 400 किमी की दूरी में किसी भी टारगेट को भेद सकती हैं। मन करे, तो इससे ज़मीनी ठिकानों को भी निशाना बनाया जा सकता है। सबसे तगड़ी चीज़ यह कि एक ही समय में यह 400 किमी तक 36 टारगेट को एक साथ मार सकती है। इसमें 12 लॉन्चर होते हैं, यह तीन मिसाइल एक साथ दाग सकता है और इसे तैनात करने में पांच मिनट लगते हैं।