Russia Ukraine War : ‘मैं मरना नहीं चाहता’, मलबे में फंसे 5 साल के यूक्रेनी बच्चे की चीख… रूसी हमले के बाद मारियुपोल थिएटर का भयानक मंजर h3>
कीव : यूक्रेन के शहर मारियुपोल को रूसी सेना ने पूरी तरह बर्बाद कर दिया है। बीते दिनों हवाई हमलों से बचने के लिए महिलाओं और बच्चों सहित सैकड़ों लोग एक थिएटर में छिप गए थे। खबरों के मुताबिक सोवियत काल की इस बिल्डिंग में करीब 1200 लोग छिपे थे। इस इमारत के बाहर बड़ा-बड़ा ‘बच्चे’ लिखा था लेकिन पिछले बुधवार को रूस ने यहां बम गिराया और यह बंकर मलबे में बदल गया। यह नहीं पता चल पाया है कि इस हमले में कितने लोगों की मौत हुई है लेकिन इससे बचकर निकले लोगों ने बम गिरने के बाद के भयानक मंजर को बयां किया है।
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक हमले वाले दिन रोज की तरह रूसी लड़ाकू विमान आसमान में गरज रहे थे। 27 साल की टीचर मारिया रोडियोनोवा 10 दिनों से इस थिएटर में रह रही थीं। युद्ध शुरू होने के बाद वह अपने दो कुत्तों के साथ यहां आ गई थीं। मारिया का कैंप बिल्डिंग के पिछले हिस्से में स्टेज के पास लगा हुआ था। पिछले बुधवार को सुबह 10 बजे वह अपने कुत्तों को खाना खिला रही थीं। जैसे ही वह पानी लेने के लिए मुख्य द्वार की तरफ बढ़ी बम गिर गया।
‘मुझे लगा कान का पर्दा फट गया है’
बम गिरने से बहुत तेज और भयानक आवाज पैदा हुई। इसके बाद शीशे टूटने की आवाज आई। महिला के पीछे से एक आदमी आया और उसे दीवार की तरफ धक्का दिया और अपने शरीर से उसका बचाव किया। धमाका इतना तेज था कि महिला को अपने एक कान में तेज दर्द महसूस हुआ। उसे लगा कि उसके कान का पर्दा फट गया है। लेकिन महिला को चारों तरफ से लोगों की चीखें सुनाई दे रही थीं, लिहाजा उसके कान के पर्दे दुरुस्त थे। तेज धमाके से एक शख्स खिड़की से जा टकराया और जमीन पर गिर गया। उसके चेहरे में टूटे हुए कांच के टुकड़े धंसे हुए थे।
दो घंटे के लिए सदमे में चली गई महिला
एक घायल महिला उस शख्स के पास गई और उसके चेहरे से कांच निकालने लगी। यह देखकर मारिया ने आवाज लगाई, ‘उसे मत छुओ, पहले मैं अपना फर्स्ट ऐड किट लेकर आती हूं तुम दोनों के लिए।’ लेकिन उसका किट मुख्य इमारत के भीतर था जो अब मलबा बन चुकी थी। मारिया ने बीबीसी को बताया, ‘दो घंटे तक मैं कुछ नहीं कर सकी। मैं सदमे में थी।’ 27 साल के व्लादिस्लाव भी उस दिन थिएटर में मौजूद थे।
‘मैं मरना नहीं चाहता’
व्लादिस्लाव के कुछ दोस्त इस बंकर में रह रहे थे और वह उनसे मिलने के लिए गए थे। जब धमाका हुआ तब वह मुख्य द्वार के पास थे। धमाके के बाद वह बाकी लोगों के साथ बेसमेंट की तरफ भागे और 10 मिनट बाद उन्हें पता चला कि इमारत में आग लग गई है और वह बुरी तरह फंस चुके हैं। उन्होंने कहा, ‘उस दिन भयानक चीजें हो रही थीं।’ उन्होंने देखा कि बड़ी संख्या में लोग घायल हैं और उनके घाव से खून बह रहा है। एक मां उस मलबे में अपने बच्चों को ढूंढ़ रही थी। एक पांच साल का बच्चा चीख रहा था कि मैं मरना नहीं चाहता हूं। यह वाकई दिल दहला देने वाला था।
मारियुपोल पर रूस के हमले जारी (Reuters)
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक हमले वाले दिन रोज की तरह रूसी लड़ाकू विमान आसमान में गरज रहे थे। 27 साल की टीचर मारिया रोडियोनोवा 10 दिनों से इस थिएटर में रह रही थीं। युद्ध शुरू होने के बाद वह अपने दो कुत्तों के साथ यहां आ गई थीं। मारिया का कैंप बिल्डिंग के पिछले हिस्से में स्टेज के पास लगा हुआ था। पिछले बुधवार को सुबह 10 बजे वह अपने कुत्तों को खाना खिला रही थीं। जैसे ही वह पानी लेने के लिए मुख्य द्वार की तरफ बढ़ी बम गिर गया।
‘मुझे लगा कान का पर्दा फट गया है’
बम गिरने से बहुत तेज और भयानक आवाज पैदा हुई। इसके बाद शीशे टूटने की आवाज आई। महिला के पीछे से एक आदमी आया और उसे दीवार की तरफ धक्का दिया और अपने शरीर से उसका बचाव किया। धमाका इतना तेज था कि महिला को अपने एक कान में तेज दर्द महसूस हुआ। उसे लगा कि उसके कान का पर्दा फट गया है। लेकिन महिला को चारों तरफ से लोगों की चीखें सुनाई दे रही थीं, लिहाजा उसके कान के पर्दे दुरुस्त थे। तेज धमाके से एक शख्स खिड़की से जा टकराया और जमीन पर गिर गया। उसके चेहरे में टूटे हुए कांच के टुकड़े धंसे हुए थे।
दो घंटे के लिए सदमे में चली गई महिला
एक घायल महिला उस शख्स के पास गई और उसके चेहरे से कांच निकालने लगी। यह देखकर मारिया ने आवाज लगाई, ‘उसे मत छुओ, पहले मैं अपना फर्स्ट ऐड किट लेकर आती हूं तुम दोनों के लिए।’ लेकिन उसका किट मुख्य इमारत के भीतर था जो अब मलबा बन चुकी थी। मारिया ने बीबीसी को बताया, ‘दो घंटे तक मैं कुछ नहीं कर सकी। मैं सदमे में थी।’ 27 साल के व्लादिस्लाव भी उस दिन थिएटर में मौजूद थे।
‘मैं मरना नहीं चाहता’
व्लादिस्लाव के कुछ दोस्त इस बंकर में रह रहे थे और वह उनसे मिलने के लिए गए थे। जब धमाका हुआ तब वह मुख्य द्वार के पास थे। धमाके के बाद वह बाकी लोगों के साथ बेसमेंट की तरफ भागे और 10 मिनट बाद उन्हें पता चला कि इमारत में आग लग गई है और वह बुरी तरह फंस चुके हैं। उन्होंने कहा, ‘उस दिन भयानक चीजें हो रही थीं।’ उन्होंने देखा कि बड़ी संख्या में लोग घायल हैं और उनके घाव से खून बह रहा है। एक मां उस मलबे में अपने बच्चों को ढूंढ़ रही थी। एक पांच साल का बच्चा चीख रहा था कि मैं मरना नहीं चाहता हूं। यह वाकई दिल दहला देने वाला था।
मारियुपोल पर रूस के हमले जारी (Reuters)