Russia Crude Oil: दुनिया की धमकी से बेअसर, रूस से जमकर तेल खरीद रहा है भारत, जानिए क्या है वजह

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Russia Crude Oil: दुनिया की धमकी से बेअसर, रूस से जमकर तेल खरीद रहा है भारत, जानिए क्या है वजह

Russia Crude Oil: दुनिया की धमकी से बेअसर, रूस से जमकर तेल खरीद रहा है भारत, जानिए क्या है वजह

नई दिल्ली: रूस यूक्रेन संकट पर रूस को पश्चिमी देश तेल प्रतिबंधों की मदद से घेरने की कोशिश कर रहे हैं। पश्चिमी देश लगातार रूस से कारोबार नहीं करने का दबाव भी बना रहे हैं। लेकिन दुनिया की धमकी से बेअसर भारत रूस से जमकर तेल (Russia Crude Oil) खरीद रहा है। भारत (India) रूस से लगातार तेल (Russia Crude Oil) की खरीद बढ़ा रहा है। बीते दिनों पश्चिम देशों ने कहा था कि भारत और चीन की वजह से ही रूस पर इन प्रतिबंधों का असर नहीं पड़ा है। अमेरिका भारत पर दबाव बनाता रहा है कि वो रूस से तेल (Russia Crude Oil) की खरीद रोके. लेकिन भारत ने साफ कर दिया था कि उसके लिए भारत के नागरिकों के हित सबसे पहले हैं।

रूसी तेल का आयात 18 फीसदी तक बढ़ा
ऊर्जा कार्गो ट्रैकर वोर्टेक्स के मुताबिक, भारत में सितंबर माह में रूसी तेल का आयात अगस्त से दो महीने तक गिरने के बाद 18.5 फीसदी तक बढ़ गया है। इसके चलते यह सऊदी अरब के बाद देश का दूसरा सबसे बड़ा कच्चे तेल का आपूर्तिकर्ता बन गया है। आंकड़े बताते हैं कि सितंबर में 879,000 बैरल प्रति दिन (बीपीडी) रूसी तेल का आयात जून के 933,000 बीपीडी के बाद भारत के लिए एक महीने में दूसरा सबसे अधिक है। इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत इस तिमाही में और ज्यादा रूसी क्रूड आयात करने पर विचार कर सकता है, क्योंकि घरेलू मांग में मौसमी वृद्धि और यूरोप से उच्च निर्यात मांग को पूरा करने के लिए रिफाइनर तेजी से बढ़ते हैं।

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यूक्रेन युद्ध के बाद बढ़ा है आयात
यूक्रेन युद्ध की शुरुआत से पहले रूसी तेल में भारत के आयात का लगभग 1% शामिल था क्योंकि माल ढुलाई ने इसे अप्रतिस्पर्धी बना दिया था, लेकिन अब यह 21% तक चढ़ गया है। रूसी क्रूड के लिए भारतीय रिफाइनर का आकर्षण यूक्रेन युद्ध की शुरुआत के बाद बढ़ गया। इसकी वजह है कि व्यापारियों ने ज्यादा छूट की पेशकश की, जो कि डिलीवरी के आधार पर लगभग 5-6 डॉलर प्रति बैरल हो गई है।

इन देशों का बढ़ेगा नुकसान
बढ़ते रूसी आयात का मतलब अमेरिका, इराक और संयुक्त अरब अमीरात जैसे अन्य प्रमुख निर्यातकों के लिए बाजार हिस्सेदारी का नुकसान है। रिपोर्ट के मुताबिक, सितंबर में, सऊदी अरब भारत के लिए शीर्ष आपूर्तिकर्ता था जबकि इराक और संयुक्त अरब अमीरात क्रमशः तीसरे और चौथे स्थान पर थे। पांचवें सबसे बड़े आपूर्तिकर्ता अमेरिका के पास अब भारतीय बाजार का लगभग 4% हिस्सा है, जो एक साल पहले के 10% से कम है। भारत ने रूसी उत्पादों की खरीद में भी वृद्धि की है, ईंधन तेल आयात सितंबर में प्रति दिन 100,000 बैरल के करीब पहुंच गया है, जो 2022 की पहली तिमाही में लगभग 60,000 बीपीडी के औसत से ऊपर है। देश को अपना पहला 90,000 टन रूसी भी प्राप्त हुआ है।

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यूरोप में रूसी कच्चे तेल का आयात आधा हुआ
समुद्री रूसी कच्चे तेल का चीनी आयात 7% महीने-दर-महीने बढ़कर 1 मिलियन बैरल प्रति दिन हो गया, जबकि यूरोपीय आयात 16% बढ़कर 950,000 बीपीडी हो गया। वर्ष की शुरुआत के बाद से यूरोप में समुद्री रूसी कच्चे तेल का आयात आधा हो गया है। चीन और यूरोप पाइपलाइनों के माध्यम से रूसी कच्चे तेल की एक बड़ी मात्रा का आयात करते हैं। अगर यूरोपीय संघ दिसंबर से रूसी कच्चे तेल के आयात पर प्रतिबंध लगाने का अपना वादा रखता है तो भारतीय कच्चे तेल के बाजार में रूस की हिस्सेदारी और बढ़ सकती है। बाजार में कम खरीदारों के साथ रूसी कच्चे तेल पर छूट बढ़ने की उम्मीद है।

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