RPSC Bribe Case: कुमार विश्वास की पत्नी मंजू शर्मा को हो रही फंसाने की साजिश ? ACB के बयानों के मायने समझिए h3>
एसीबी ने मंजू शर्मा का नाम एफआईआर में किया शामिल
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16 जुलाई को एसीबी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह बताया था कि ओएमआर शीट बदलवाने और परिवादी को पास करवाने के लिए इस परीक्षा में घूस मांगी गई थी। परिवादी की ओर से बताया गया है कि गोपाल केसावत ने उनसे मंजू शर्मा के नाम पर ही रिश्वत मांगी थी। लिहाजा शक में घेरे में आने के बाद भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने उनका नाम भी एफआईआर में दर्ज कर लिया है। परिवादी के बयान के आधार पर मंजू शर्मा और आरपीएससी की एक और महिला सदस्य संगीता आर्य का नाम एफआईआर में रखा गया है। इसी आधार पर एसीबी आगे जांच कर रही है।
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FIR में नाम शामिल करने के बाद ACB अब कर रही है बचाव
मंजू शर्मा का नाम ईओ परीक्षा के घूसकांड में सामने आने के बाद अब एसीबी ने अभी फिलहाल मौखिक रूप से उन्हें क्लीन चिट दे दी है। एसीबी के कार्यवाहक डीजी हेमंत प्रियदर्शी का कहना है कि गोपाल केसावत का अभी तक आरपीएससी के किसी भी सदस्य से कोई संपर्क सामने नहीं आया है। ऐसे में यह मामला ठगी का भी सकता है। पूरे मामले की विस्तृत जांच की जा रही है। इसके बाद ही स्थितियां साफ हो पाएंगी। डीजी प्रियदर्शी का यह भी कहना है कि अभी तक ऐसा लग रहा है कि बिचौलिए ने शिकायतकर्ता को विश्वास में लेने के लिए कुमार विश्वास की पत्नी मंजू शर्मा का नाम लिया है।
सरकार भी उतरी मंजू शर्मा के समर्थन में
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RPSC ईओ परीक्षा रिश्वतकांड के खुलासे के बाद इस पर राजनीति तेज है। बीजेपी प्रवक्ता का कहना है कि आखिर राजस्थान की कांग्रेस सरकार की कौन सी मजबूरी है, जो पहले कुमार विश्वास की पत्नी को आयोग की सदस्य बनाया। वहीं अब सरकार इस मामले में सफाई दे रही है। वहीं गहलोत सरकार के मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने मंजू शर्मा के समर्थन में बयान दिया है। उन्होंने कहा कि आरोप लगाने से कोई दोषी नहीं बनता। अभी एसीबी की जांच जारी है, जांच पूरी होने के बाद ही कुछ टिप्पणी की जा सकती है।
जानिए कैसे आया परीक्षा में रिश्वत का मामला
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ईओ परीक्षा में रिश्वत की बात 7 जुलाई को सामने आई थी। परिवादी ने इस संबंध में सीकर एसीबी को शिकायत दी थी। इसमें बताया था कि ईओ भर्ती परीक्षा में अभ्यर्थी विकास को मेरिट में लाने के लिए डील की गई थी। अनिल कुमार नाम के व्यक्ति ने आरपीएससी सदस्य मंजू शर्मा और आरपीएससी चेयरमैन के नाम से 40 लाख रुपए मांगे थे। 25 लाख रुपए पहले और शेष 15 लाख रुपए बाद में लेने का सौदा हुआ।
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एसीबी ने मंजू शर्मा का नाम एफआईआर में किया शामिल
16 जुलाई को एसीबी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह बताया था कि ओएमआर शीट बदलवाने और परिवादी को पास करवाने के लिए इस परीक्षा में घूस मांगी गई थी। परिवादी की ओर से बताया गया है कि गोपाल केसावत ने उनसे मंजू शर्मा के नाम पर ही रिश्वत मांगी थी। लिहाजा शक में घेरे में आने के बाद भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने उनका नाम भी एफआईआर में दर्ज कर लिया है। परिवादी के बयान के आधार पर मंजू शर्मा और आरपीएससी की एक और महिला सदस्य संगीता आर्य का नाम एफआईआर में रखा गया है। इसी आधार पर एसीबी आगे जांच कर रही है।
FIR में नाम शामिल करने के बाद ACB अब कर रही है बचाव
मंजू शर्मा का नाम ईओ परीक्षा के घूसकांड में सामने आने के बाद अब एसीबी ने अभी फिलहाल मौखिक रूप से उन्हें क्लीन चिट दे दी है। एसीबी के कार्यवाहक डीजी हेमंत प्रियदर्शी का कहना है कि गोपाल केसावत का अभी तक आरपीएससी के किसी भी सदस्य से कोई संपर्क सामने नहीं आया है। ऐसे में यह मामला ठगी का भी सकता है। पूरे मामले की विस्तृत जांच की जा रही है। इसके बाद ही स्थितियां साफ हो पाएंगी। डीजी प्रियदर्शी का यह भी कहना है कि अभी तक ऐसा लग रहा है कि बिचौलिए ने शिकायतकर्ता को विश्वास में लेने के लिए कुमार विश्वास की पत्नी मंजू शर्मा का नाम लिया है।
सरकार भी उतरी मंजू शर्मा के समर्थन में
RPSC ईओ परीक्षा रिश्वतकांड के खुलासे के बाद इस पर राजनीति तेज है। बीजेपी प्रवक्ता का कहना है कि आखिर राजस्थान की कांग्रेस सरकार की कौन सी मजबूरी है, जो पहले कुमार विश्वास की पत्नी को आयोग की सदस्य बनाया। वहीं अब सरकार इस मामले में सफाई दे रही है। वहीं गहलोत सरकार के मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने मंजू शर्मा के समर्थन में बयान दिया है। उन्होंने कहा कि आरोप लगाने से कोई दोषी नहीं बनता। अभी एसीबी की जांच जारी है, जांच पूरी होने के बाद ही कुछ टिप्पणी की जा सकती है।
जानिए कैसे आया परीक्षा में रिश्वत का मामला
ईओ परीक्षा में रिश्वत की बात 7 जुलाई को सामने आई थी। परिवादी ने इस संबंध में सीकर एसीबी को शिकायत दी थी। इसमें बताया था कि ईओ भर्ती परीक्षा में अभ्यर्थी विकास को मेरिट में लाने के लिए डील की गई थी। अनिल कुमार नाम के व्यक्ति ने आरपीएससी सदस्य मंजू शर्मा और आरपीएससी चेयरमैन के नाम से 40 लाख रुपए मांगे थे। 25 लाख रुपए पहले और शेष 15 लाख रुपए बाद में लेने का सौदा हुआ।