निजता का अधिकार मौलिक अधिकार है- सुप्रीम कोर्ट

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सर्वोच्च न्यायालय ने निजता के अधिकार पर बड़ा फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार करार दिया है। 9 जजों की बेंच से सर्वसम्मति से ये फैसला दिया है। इस फैसले के बाद देश के किसी भी नागरिक की निजी जानकारी सार्वजनिक नहीं की जा सकेगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ‘निजता’ की सीमा तय करना संभव है। वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद केन्द्र सरकार को झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने ये फैसला आधार योजना के खिलाफ दायर याचिका पर दी है। निजता के अधिकार का मामला सामने तब आया जब कई सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए सरकार ने आधार कार्ड को अनिवार्य कर दिया था। याचिका में आधार योजना की वैधता को इस आधार पर चुनौती दी गई थी कि यह निजता के अधिकार का उल्लंघन है।  इस फैसले का सोशल नेटवर्क व्हाट्सएप की नई निजता नीति पर भी असर पड़ेगा। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद आधार, पैन, क्रेडिट कार्ड में दी गई जानकारी को सार्वजनिक नहीं किया जा सकेगा। बता दें कि संविधान ने निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार नहीं माना है।

कांग्रेस ने गुरुवार को निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार बताने वाले सर्वोच्च न्यायालय के फैसले की सराहना करते हुए कहा कि शीर्ष अदालत के फैसले से नरेंद्र मोदी सरकार के निजता के अधिकार को कम करने के प्रयासों पर पानी फिर गया है। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट कर कहा, “निर्णायक एवं प्रभावशाली फैसला। स्वतंत्रता की बड़ी जीत। सर्वोच्च न्यायालय ने निजता के अधिकार को कम करने के मोदी सरकार के प्रयासों को खारिज कर दिया।”

दिल्ली उच्च न्यायालय ने 23 सितंबर, 2016 को दिए अपने आदेश में व्हाट्सएप को नई निजता नीति लागू करने की इजाजत दी थी, हालांकि अदालत ने व्हाट्सएप को 25 सितंबर, 2016 तक इकट्ठा किए गए अपने यूजर्स का डेटा एक अन्य सोशल नेटवर्किं ग कंपनी फेसबुक या किसी अन्य कंपनी को देने पर पाबंदी लगा दी थी। दिल्ली उच्च न्यायालय के इस आदेश को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी।