Report: रात में नींद पूरी नहीं, ऑफिस ऑवर्स में झेल रहे Sleep Attack | According To Great Indian Sleep Scorecard Report People Are Facing Sleep Attacks During Office Hours | News 4 Social
Sleep Attack: जानबूझकर या मजबूरन टाले जाने वाली नींद लोगों की सेहत से बड़ी खिलवाड़ कर रही। जहां इंसोमेनिया की समस्या बेहद आम हो गयी है ,वहीँ अब लोग स्लीप अटैक से भी जूझ रहे है। स्लीप अटैक यानी नींद का दौरा पड़ना। यह उस अवस्था में होता है जब व्यक्ति की नींद पूरी नहीं हो पाती है।
जयपुर। Sleep Attack: जानबूझकर या मजबूरन टाले जाने वाली नींद लोगों की सेहत से बड़ी खिलवाड़ कर रही। जहां इंसोमेनिया की समस्या बेहद आम हो गयी है ,वहीँ अब लोग स्लीप अटैक से भी जूझ रहे है। स्लीप अटैक यानी नींद का दौरा पड़ना। यह उस अवस्था में होता है जब व्यक्ति की नींद पूरी नहीं हो पाती है। ग्रेट इंडियन स्लीप स्कोरकार्ड की एक रिपोर्ट के अनुसार 67 फीसदी महिलाएं एवं 56 फीसदी पुरुषों को दफ्तर में काम के दौरान नींद आती है। 21 %लोगों ने यह भी माना की उन्हें रात में नहीं ,दिन के समय गहरी नींद आती है और वे काम -काज पर ध्यान नहीं दे पाते है। देर तक काम में उलझे रहना ,देर रात तक जागना , परेशानियों में उलझे रहना ,अत्यधिक स्क्रीन टाइम देना इसके कारणों में शामिल है। इस वजह से नींद पूरी नहीं हो पाती है जहां एक स्वस्थ जीवनशैली के लिए 8 घंटों की नींद जरूरी है वहां औसतम लोगों ने माना रात में केवल 4 से 5 घंटे नींद ले पाते है। नींद पूरी ना होने से लोगों की वर्क लाइफ पर भी बुरा असर हो रहा है ,काम के दौरान हमेशा थका हुआ महसूस , दफ्तर में सही तौर पर कार्य नहीं कर पा रहे है। राजधानी के मनोरोग विशेषज्ञों के पास 10 फीसदी मामलें
स्लीप अटैक की दिक्कत से तनाव ,स्ट्रेस में होती है बढ़ोतरी
मनोरोग विशेषज्ञ रोमा चेलानी ने बताया कि व्यक्ति की रात की नींद पूरी नहीं होने पर उसके अगले दिन पर इसका असर दिखाई देता है। देर रात तक अनावश्यक तौर पर जागना ,सोने से पहले लगातार फोन में आंखें गड़ाएं रखना , देर रात तक लाइट्स ऑन रखना नींद चक्र को प्रभावित करता है। स्लीप अटैक को मेडिकल साइंस की भाषा में नार्कोलेप्सी कहते है। यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें दिन के समय अचानक तेज नींद आने लगती है। व्यक्ति चाह कर भी नींद पर काबू नहीं कर पाता है। स्लीप अटैक के कारण ऑफिस में सही तौर पर कामों में ध्यान केंद्रित नहीं करने पर तनाव ,स्ट्रेस का स्तर बढ़ जाता है।नींद बनाने वाले हार्मोन मेलेटोनिन की कमी के कारण स्लीप अटैक की समस्या पैदा होती है। नींद के दौरे बिना किसी चेतावनी के कभी भी आ सकते है ।
इस प्रकार के मामलें आ रहे है सामने
समस्या इतनी बढ़ी की जॉब से लिया ब्रेक
28 वर्षीय किशनपोल निवासी युवक ने बताया कि पिछले 6 महीने से उनका नींद चक्र बिगड़ा हुआ था। पारिवारिक कलह के चलते उन्हें देर रात तक नींद नहीं आती थी। सुबह वे दफ्तर में काम नहीं कर पाते थे ,उन्हीं स्लीप अटैक की दिक्कत होने लगी। काम समय पर पूरा ना करने पर ऑफिस में भी उन्हें तनाव होने लगा। यह देखते हुए उन्होंने अभी अपनी नौकरी से ब्रेक लिया है। अपने नींद चक्र को सुधार रहे है ,तनाव कम ले रहे हैं ,थैरेपी भी चल रही है।
मोबाइल एडिक्शन का कर रही हूं नियंत्रण
जवाहर नगर 20 वर्षीय युवती ने बताय कि कोविड के बाद से उन्हें नींद नहीं आने की समस्या रहने लगी। उस दौरान उन्हें देर रात तक जागने ,मोबाइल देखने की आदत लग गयी थी। स्थिति इतनी बिगड़ी की उन्हें कॉलेज में नींद आने लगी ,कक्षा में वे ध्यान केंद्रित नहीं कर पाती थी। मनोरोग चिकित्सक से परामर्श लेने पर पता चला कि उन्हें नार्कोलेप्सी की समस्या है। फिलहाल वे अपने दिनचर्या में सुधार कर रही है।
ऐसे करें बचाव
स्क्रीन टाइम का करे नियंत्रण
थोड़ा समय योग ,एक्सरसाइज के लिए निकाले
सोने से पहले कैफीन या कोई भी हैवी भोजन ना ले
तनाव ,स्ट्रेस कम ले