आरजेडी में बगावत की आहट, रघुवंश का वंशवाद पर प्रहार?

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आरजेडी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह के एक बयान ने पार्टी की एकजुटता और आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के परिवार के प्रति समर्पण के भाव की हवा निकाल दी है। रघुवंश सिंह ने कहा कि पार्टी में संगठात्मक चुनाव दिखाने के लिए है। ये पहले से तय रहता है कि किसको किस पद पर बैठाना है।

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बता दें कि रघुवंश प्रसाद सिंह आरजेडी के वरिष्ठ नेता हैं। वह खरी और साफ बातों के लिए जाने जाते हैं। ऐसे में उनका यह बयान पार्टी के लिए काफी मायने रखता है। बुधवार को आरजेडी ने अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव की अनुपस्थिति में पार्टी के विधायकों सांसदों और जिलाध्यक्षों की बैठक बुलाई।

इसके दो उद्देश्य हैं कि आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव और प्रतिपक्ष के नेता पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को सीबीआई ने पूछताछ के लिए बुलाया है। इस विकट परिस्थिति में भी पार्टी एकजुट है। दूसरा लालू प्रसाद यादव के बाद अध्यक्ष कौन, इसको लेकर पार्टी में मंथन शुरू हो गया है। क्योंकि लालू प्रसाद यादव पर चारा घोटाले के साथ-साथ अब रेलवे टेंडर के मामले में भी सीबीआई पूछताछ कर रही है।

20 नवंबर को होगा पार्टी का संगठात्मक चुनाव

गौरतलब है कि पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के नेतृत्व में यह बैठक बुलाई गई। जिसमें उनके बेटे तेजप्रताप यादव भी मौजूद रहे। इस आपात बैठक में यह फैसला लिया गया कि पार्टी का संगठात्मक चुनाव 20 नवंबर को  होंगा। हांलाकि 2016 में यह चुनाव हो चुके थे और इसका कार्यकाल 2019 तक था। लेकिन आपात परिस्थियों में पार्टी ने फिर से चुनाव कराने का फैसला किया है। जिसके तहत हो सकता है कि पार्टी में नए कार्यकारी अध्यक्ष का ऐलान हो। माना जा रहा है कि लालू प्रसाद यादव तेजस्वी यादव को कार्यकारी अध्यक्ष घोषित कर सकते हैं। हांलाकि यह काफी कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि सीबीआई के पास तेजस्वी यादव के खिलाफ कितना पुख्ता सबूत हैं।

वैसे पार्टी के वरिष्ठ नेता जगदानंद सिंह का कहना है कि संगठात्मक चुनाव कराने के पीछे 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव की तैयारी है। उन्होंने कहा कि हालांकि संगठन के चुनाव जनवरी 2019 में होने चाहिए लेकिन बेहतर तैयारी हो इसलिए पार्टी ने पहले से रणनीति बनानी शुरू कर दी है। 20 नवंबर को आरजेडी के राष्ट्रीय कार्यकारणी की बैठक भी होगी। उसी दिन अध्यक्ष का चुनाव होगा जिसमें लालू प्रसाद यादव का चुना जाना तय है। लेकिन रघुवंश प्रसाद सिंह के इस बयान ने पार्टी के दलीलों की हवा निकाल दी।