Ramcharitmanas Row: रामचरितमानस पर UP में ‘महाभारत’… स्वामी मौर्य के बोल पर अखिलेश का ऐक्शन, समीकरण साधने की कोशिश

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Ramcharitmanas Row: रामचरितमानस पर UP में ‘महाभारत’… स्वामी मौर्य के बोल पर अखिलेश का ऐक्शन, समीकरण साधने की कोशिश

Ramcharitmanas Row: रामचरितमानस पर UP में ‘महाभारत’… स्वामी मौर्य के बोल पर अखिलेश का ऐक्शन, समीकरण साधने की कोशिश


लखनऊ: बिहार की सियासी जमीन से उठा रामचरितमानस विवाद का तूफान उत्तर प्रदेश आते-आते गहरा गया है। विवाद को हवा सीनियर नेता और पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान ने दी है। बिहार में राष्ट्रीय जनता दल के सीनियर नेता और प्रदेश के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर यादव ने रामचरितमानस पर विवादित बयान दिया। बयानों के बाद असहज राजद के सीनियर नेता इस विवाद में दो ध्रुव पर जाते नजर आए। सीएम नीतीश कुमार तक को शिक्षा मंत्री को धर्म के मामले में बयान देने को लेकर नसीहत दी गई। लेकिन, रामचरितमानस अब बिहार की सीमा को लांघता हुआ उत्तर प्रदेश पहुंच गया है। समाजवादी पार्टी के सीनियर नेता और पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस को विवादित चीजों का संकलन करार दिया। इसे देश में बैन किए जाने की मांग कर डाली। स्वामी प्रसाद मौर्य का बयान सामने आते ही विवाद गहरा गया। सवाल सीधे समाजवादी पार्टी पर उठने लगे। सवाल यह कि क्या सपा भी स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान से इत्तेफाक रखती है? अगर नहीं तो स्वामी मौर्य पर किस प्रकार की कार्रवाई की जा रही है? इन तमाम बयानों से इतर यूपी के सियासी मैदान में रामचरितमानस विवाद ने एक अलग ही माहौल बनाना शुरू कर दिया है। अखिलेश यादव पिछले दिनों लगातार जातीय आरक्षण की बात करते रहे हैं। जाति आधारित जनगणना की बात कर रहे हैं। आबादी के आधार पर आरक्षण की वकालत करते दिखते हैं। ऐसे में स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान का असर व्यापक दिख सकता है। जातीय समीकरण को साधने की कोशिश करते अखिलेश यादव के सामने चुनौती काफी बड़ी हो गई है।

क्या फंस गए अखिलेश?

समाजवादी पार्टी की रणनीति इन दिनों माय (Muslim + Yadav) समीकरण को साधने की है। इसको लेकर वे यादवलैंड में पिछले दिनों खासे सक्रिय नजर आए हैं। लेकिन, रामचरितमानस का मुद्दा ऐसा है, जो जातीय दायरे से ऊपर है। इस मामले को लेकर भाजपा आक्रामक हो गई है। अब तक अखिलेश यादव पिछड़ा वर्ग को साधने के लिए तरह-तरह की बात करते दिखते हैं। निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण का मामला उन्होंने जोरदार तरीके से उठाया है। लेकिन, जैसे ही मामला जाति से निकलकर धर्म तक पहुंचता है, फायदे में भाजपा आने लगती है। वर्ष 2024 के आम चुनाव से पहले ऐसे बयानों से अलग राजनीतिक माहौल बनने की संभावना दिखने लगी है। भाजपा फायदे वाले मुद्दों को भुनाने की पूरी कोशिश करेगी। रामचरितमानस पर दिए गए बयान को भाजपा की ओर से तुष्टीकरण की राजनीति के रूप में पेश किया जाना शुरू कर दिया गया है। हालांकि, सपा नेता शिवपाल यादव ने इस पूरे बयान से पार्टी को अलग कर लिया है। उन्होंने कहा है कि हम राम और कृष्ण के आदर्श पर चलने वाले लोग हैं।

माय समीकरण को साधने के लिए बिहार की राजद और यूपी में समाजवादी पार्टी के स्तर पर प्रयास किए जाने की बात कही जा रही है। ऐसे में अखिलेश यादव की चुनौती बड़ी हो गई है। वे मुस्लिम वोट बैंक को साधकर हिंदू वोट बैंक के बीच अपनी पहुंच बढ़ाने की कोशिश करते दिख रहे हैं। अब स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान के बाद एकजुट होते हिंदू वोट बैंक को अपने पक्ष में मोड़ने की कोशिश कैसे करते हैं, देखना दिलचस्प होगा। अगर ऐक्शन नहीं होता है तो इस पर भाजपा की राजनीति गरमाने की आशंका है।

क्या है स्वामी प्रसाद मौर्य का बयान?

यूपी विधान परिषद के सदस्य और सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने देश में रामचरितमानस को बैन करने की मांग की है। उन्होंने रामचरितमानस की एक चौपाई ‘ढोल-गंवार-शूद्र-पशु-नारी, ये सब ताड़न के अधिकारी’ का जिक्र करते हुए इसकी अपने शब्दों में व्याख्या की है। स्वामी प्रसाद मौर्य ने इसे जातीय आधार पर जोड़ते हुए कहा कि इस तरह की पुस्तकों को मान्यता कैसे दे दी गई? इस प्रकार की पुस्तक को तो जब्त किया जाना चाहिए। इसे नष्ट कर देना चाहिए। स्वामी मौर्य ने आगे कहा कि महिलाएं सभी वर्ग की हैं। क्या उनकी भावनाएं आहत नहीं हो रही हैं? रामचरितमानस की इस चौपाई से महिलाओं और दलितों का अपमान होता है। उन्होंने कहा कि एक तरफ आप कहेंगे कि यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता। दूसरी ओर तुलसी बाबा से गाली दिलवाकर उनको कहोगे कि नहीं, इन पर डंडा बरसाइए। मारिए-पीटिए। अगर यही धर्म है, तो ऐसे धर्म से हम तौबा करते हैं।

स्वामी मौर्य ने कहा कि रामचरितमानस की कुछ पंक्तियों में जाति, वर्ण और वर्ग के आधार पर यदि समाज के किसी वर्ग का अपमान हुआ है तो वह निश्चित रूप से धर्म नहीं है। मौर्य ने कहा कि रामचरितमानस की कुछ पंक्तियों में तेली और ‘कुम्हार’ जैसी जातियों के नामों का उल्लेख है जो इन जातियों के लाखों लोगों की भावनाओं को आहत करती हैं। उन्होंने मांग की कि पुस्तक के ऐसे हिस्से, जो किसी की जाति या ऐसे किसी चिह्न के आधार पर किसी का अपमान करते हैं, पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए।

मौर्य के बयान पर महाभारत

स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान के बयान पर महाभारत मच गया है। सपा नेता की टिप्पणी पर भाजपा हमलावर हो गई है। अयोध्या के भाजपा नेता रजनीश सिंह ने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को श्रीरामचरितमानस की एक प्रति डाक से भेजी है। उन्हें रामचरितमानस को पढ़ने की बात कही है। रजनीश सिंह ने कहा कि मैंने श्रीरामचरितमानस की एक प्रति अखिलेश यादव को इस अनुरोध के साथ भेजी है कि वह इसे पढ़ें। अगर वह इसे नहीं समझ पा रहे हैं तो मैं अयोध्या से संतों को भेज सकता हूं। वे उन्हें रामचरितमानस के बारे में समझा सकते हैं। उन्होंने कहा कि अगर सपा नेता इस तरह की अशोभनीय टिप्पणी कर रहे हैं तो यह उनकी धार्मिक ग्रंथ के प्रति अनभिज्ञता को भी दर्शाता है।

वहीं, भाजपा नेता अशोक कुमार पांडेय ने सीएम योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर आईपीसी की धारा 295ए (किसी भी वर्ग की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के उद्देश्य से जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कार्य) के तहत मामला दर्ज करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। अगर अब नहीं रोका गया तो सस्ते प्रचार के लिए ऐसे नेता हिंदुत्व के खिलाफ बयानबाजी करते रहेंगे। इसके कारण राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ सकती है।

अखिल भारत हिंदू महासभा के प्रदेश अध्यक्ष ऋषि कुमार त्रिवेदी ने रामचरितमानस पर विवादित बयान देने के आरोप में स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ मामला दर्ज करने की मांग को लेकर राजधानी के हजरतगंज थाने में अर्जी दी है। यूपी कांग्रेस प्रवक्ता अशोक सिंह ने कहा कि किसी व्यक्ति की धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाने का अधिकार किसी व्यक्ति को नहीं है। देश में रहने वाले सभी धर्म के लोगों को सम्मान दिया जाना चाहिए। वहीं, हिंदू संगठनों ने भी उनके बयान का विरोध शुरू कर दिया है।

आगरा में तो स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान को लेकर उनका अर्थी जुलूस निकाला गया। अखिल भारतीय हिंदू महासभा इस पूरे विवाद पर गंभीर है। महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संजय जाट का कहना है कि स्वामी प्रसाद मौर्य बसपा में रहकर जय भीम बोलते थे। भाजपा में आने पर उन्होंने रामचरितमानस को सीने से लगाया और जय श्रीराम का नारा लगाया। अब सपा में जाने के बाद इनकी विचारधारा बदल गयी है। वहीं, लखनऊ के हजरतगंज थाने में स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ महासभा की ओर से शिकायत दी गई है। महासभा के प्रदेश अध्यक्ष ऋषि कुमार त्रिवेदी ने एक पत्र में कहा है कि स्वामी मौर्य के हिंदू धर्मग्रंथ की आलोचना करने और उस पर प्रतिबंध लगाने की मांग करने वाले बयान से लाखों हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंची है।

सपा में भी हो रहा है विरोध

श्रीरामचरितमानस पर स्वामी प्रसाद मौर्य की टिप्पणी का विरोध समाजवादी पार्टी में भी हो रहा है। राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के समक्ष मामले को उठाया गया है। उनके स्तर पर मामला संज्ञान में लिए जाने की बात कही गई है। विधानसभा में सपा के मुख्य सचेतक मनोज पांडेय ने कहा कि श्रीरामचरितमानस एक ऐसा ग्रंथ है, जिसे भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी लोग पढ़ते हैं। इसका अनुसरण करते हैं। रायबरेली के ऊंचाहार विधायक मनोज पांडेय ने कहा कि श्रीरामचरितमानस हमें नैतिक मूल्यों और भाइयों, माता-पिता, परिवार और अन्य लोगों के साथ संबंधों के महत्व को सिखाती है। हम न केवल रामचरितमानस बल्कि बाइबिल, कुरान और गुरुग्रंथ साहिब का भी सम्मान करते हैं। वे सभी हमें सबको साथ लेकर चलना सिखाते हैं।

सपा नेताओं का कहना है कि केवल मनोज पांडेय नहीं, बल्कि अन्य सपा नेताओं की भी भावनाएं आहत हुई हैं। एक विधायक ने कहा कि फिलहाल हम मीडिया में कुछ भी साझा नहीं करने जा रहे हैं। अखिलेश यादव इस मामले में उचित निर्णय लेंगे और ऐसे बयानों से सख्ती से निपटा जाना चाहिए। सपा विधायक रविदास मेहरोत्रा ने भी कहा है कि स्वामी प्रसाद मौर्य का बयान पार्टी के विचारों के अनुरूप नहीं है। यह उनकी निजी राय हो सकती है। उन्होंने कहा कि हर किसी को इस तरह के बयानों से बचना चाहिए। यह उनका निजी बयान हो सकता है, लेकिन पार्टीलाइन नहीं है।

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