Ramcharitmanas Controversy: रामचरित मानस की 1975 में जलाई थी होली, प्रदेश सरकार में रहे थे वित्त मंत्री

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Ramcharitmanas Controversy: रामचरित मानस की 1975 में जलाई थी होली, प्रदेश सरकार में रहे थे वित्त मंत्री

Ramcharitmanas Controversy: रामचरित मानस की 1975 में जलाई थी होली, प्रदेश सरकार में रहे थे वित्त मंत्री


Kanpur Dehat: रामचरित मानस पर विवाद नया नहीं है। इससे पहले भी ये विवाद उठता रहा है। 1975 में विधायक रहे रामस्वरूप ने रामचरित मानस की होली जलाई थी।

 

हाइलाइट्स

  • विधायक समेत 129 लोगों पर दर्ज हुई थी धार्मिक ग्रंथ जलाने की एफआईआर
  • अर्जक संघ की स्थापना कर धर्म की आड़ में पाखंड करने वालों का किया विरोध
  • 20 करोड़ लाभ का बजट पेश किया था रामस्वरुप वर्मा ने
कानपुर देहात: रामचरित मानस पर बहस छिड़ी हो और विधायक रामस्वरूप वर्मा का जिक्र न आए, ऐसा नहीं हो सकता है। हालांकि, रामचरित मानस को लेकर आए विवादित बयानों की बात करें तो इसके पहले भी माननीय इस ग्रंथ को लेकर बखेड़ा खड़ा करते रहे हैं। राजपुर से विधायक रहे रामस्वरूप वर्मा ने तो अपने समर्थकों के साथ मिलकर करीब पांच सौ प्रतियां एकत्र कर रामचरित मानस की होली जलाई थी। इस घटना की चर्चा पूरे देश में हुई थी। विधायक और उनके 129 समर्थकों पर पुलिस ने एफआईआर भी दर्ज की थी।

डेरापुर के रहने वाले वकील राजा सिंह यादव बताते हैं कि रामचरित मानस पर जब भी बहस होगी तो रामस्वरूप वर्मा का जिक्र हमेशा आएगा। दरअसल, वह अपने जमाने के चर्चित विधायक रहे हैं। वह कई बार भोगनीपुर फिर राजपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए। परिसीमन के बाद अब राजपुर विधानसभा खत्म होकर सिकंदरा हो गई है। राजा सिंह बताते हैं कि विधायक रामस्वरूप वर्मा कहते थे कि रामचरित मानस की चौपाई (ढोल गंवार शूद्र पशु नारी, सकल ताड़ना के अधिकारी) ने संपूर्ण नारी समाज के साथ समाज के एक बड़े तबके का अपमान किया है। इसके साथ ही कई अन्य चौपाई सामाज में भेदभाव का भाव पैदा कर रही हैं। वह धर्म के नाम पर पाखंड करने वालों के भी सख्त खिलाफ थे। एक जून 1975 को विधायक रामस्वरूप वर्मा ने अपने विधानसभा क्षेत्र के दयानतपुर कांधी गांव के एक बाघ में रामचरित मानस की करीब पांच सौ प्रतियां एकत्र की, इसके बाद उनकी होली जला दी। ये घटना पूरे देश में चर्चा बन गई। विधायक और उनके सहयोगी रहे राधेश्याम कटियार, विश्राम स्वरूप सेंगर, सीताराम कटियार, रामआसरे समेत 129 लोगों पर धार्मिक ग्रंथ जलाने की एफआईआर हुई। वकील राजा सिंह बताते हैं कि मामला कोर्ट में चार साल तक चला, लेकिन आरोप तय नहीं हो सके। इससे मुकदमा खत्म हो गया।

लाभ का बजट पेश कर आए थे चर्चा में

रामस्वरूव वर्मा समाजवादी नेता थे। 22 अगस्त 1923 को उनका जन्म राजपुर क्षेत्र के गौरीकरन गांव में हुआ था। 18 अगस्त 1998 को उनकी मौत हो गई। वह लगातार पचास साल तक राजनीति में सक्रिय रहे। उन्होंने ही अर्जक संघ की स्थापना की थी। वह कहते थे कि समाज में समानता लाने के लिए अर्जक संघ काम करेगा। नारी, पिछड़े, शोषित और उपेक्षित समाज को समानता का भाव दिलाने के लिए अर्जक संघ संघर्ष जारी रखेगा। 1967 में उत्तर प्रदेश सरकार में वित्तमंत्री रहे। तब उन्होंने 20 करोड़ लाभ का बजट पेश किया था।

कहा था कि किसान से अच्छा कोई अर्थशास्त्री नहीं

अर्थशस्त्री कहते हैं कि एक बार सरकार घाटे में जाने के बाद उसे फायदे में नहीं लाया जा सकता है। अधिक प्रयास के बाद केवल राजकोष का घाटा कम किया जा सकता है, लेकिन रामस्वरूप वर्मा ने वित्तमंत्री रहते हुए इस मिथक को भी तोड़ दिया था। उन्होंने 20 करोड़ के फायदे का बजट पेश कर दुनिया के आर्थिक जगत को चकित कर दिया था। विश्व की मीडिया ने उनका साक्षात्कार किया तो उन्होंने सिर्फ एक ही बात कही कि किसान से अच्छा अर्थशास्त्री कोई और नहीं हो सकता है। हानि की स्थिति में लोग अपना व्यवसाय बदल लेते हैं, लेकिन किसान खेती करना नहीं छोड़ता है। वह हर स्थिति से निपटने के लिए अर्थनीति निर्धारित करता रहता है।
रिपोर्ट- गौरव राठौर

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