रहमतों-बरकतों का महीना है रमजान, जानें क्यों है इतना महत्व ?

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मुसलमानों के लिए पाक महीना, यानी रमज़ान का महीना 7 मई से शुरू हो चुका है और 4 जून को ईद-उल-फितर है। इस महीने को रहमतों और बरकतों का महीना माना जाता है क्योंकि इस महीने में मुसलमानों के सारे पाप धुल जाते हैं। आख़िरकार, मुस्लिम समुदाय में इस महीने का इतना महत्व क्यों है ? आइये नीचे जानते हैं।

दुनियाभर में जहां भी इस्लाम को मानने वाले रहते हैं वे पहली बार क़ुरान के उतरने की याद में रमज़ान के पूरे महीने में रोज़े रखते हैं। इस्लामी कैलेंडर के मुताबिक़, नौवां महीना रमज़ान का होता है जिसे अरबी भाषा में रमादान कहते हैं। रमादान शब्द ‘रमाधा’ से आया है जिसका मतलब होता है कि ‘सूरज की गर्मी।’ इस महीने को ये नाम इसलिए दिया गया था क्योंकि इस महीने में ‘मुसलमानों के पाप जल जाते हैं।’

दरअसल, रमजान में क्या होता है?

iftar time -

मुसलमानों महीने भर सुबह से लेकर सूरज छिपने तक बिना खाए पिए रहना होता हैं। इस दौरान संयम का सिद्धांत लागू हो जाता है। जो मुसलमान रोज़े रखते हैं, वे बहुत जल्दी उठ जाते हैं और सुबह से पहले ही खा लेते हैं जिसे सहरी कहते हैं। इसके बाद शाम को वे इफ्तार के साथ अपना रोज़ा खोलते हैं। रोज़े के ये घंटों की बात करें तो ये दुनिया भर के देशों में अलग-अलग होते हैं। जहां भारत में रोज़ा लगभग 15 घंटे का होता है, वहीं ऑस्ट्रेलिया की बात जाए तो वहां ये सिर्फ 11 घंटे का होता है।