Rajasthan Chunav 2023: राजस्थान चुनाव में क्यों खास है बांसवाड़ा, उदयपुर और डूंगरपुर, राहुल गांधी की रैली से पहले समझें राजनीतिक समीकरण
Rajasthan Assembly Election जयपुर : राजस्थान के आदिवासी इलाकों में बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही राजनीतिक दलों ने जान फूंक दी है। बीजेपी और कांग्रेस के राष्ट्रीय नेता लगातार दक्षिण राजस्थान के आदिवासी क्षेत्र का दौरा कर रहे हैं। अधिक से अधिक आदिवासियों को साधने के लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। पूर्व में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आदिवासी जिले बांसवाड़ा में चुनावी सभा कर चुके हैं और कांग्रेस नेता राहुल गांधी दूसरी बार आदिवासियों के बीच आ रहे हैं। आइये जानते हैं राजस्थान के आदिवासी जिलों का चुनावी हाल।
उदयपुर की 7 विधानसभा सीटें
उदयपुर जिले में 7 विधानसभा सीटें हैं। इनमें से 5 सीटें बीजेपी के पास है। सलूम्बर से अमृतलाल मीणा, आसपुर से गोपीचंद मीणा, मावली से धर्म नारायण जोशी, गोगुंदा से प्रताप भील और झाड़ोल से बाबूलाल विधायक हैं। शेष 2 सीटों पर कांग्रेस काबिज है। खैरवाड़ा से कांग्रेस के दयाराम परमार और वल्लभ नगर से कांग्रेस की प्रीति गजेन्द्र सिंह शक्तावत विधायक है। पिछले विधानसभा चुनावों यानी साल 2013 के चुनावों में भी 7 में से 5 सीटें बीजेपी के पास थी जबकि बीजेपी के पास सिर्फ 1 सीट थी। एक सीट पर निर्दलीय की जीत हुई थी।
बांसवाड़ा की 5 में से 2-2 सीट बीजेपी और कांग्रेस के पास
बांसवाड़ा जिले में पांच विधानसभा सीटें हैं। इन 5 में 2 सीटें बीजेपी के पास है जबकि 2 सीटें कांग्रेस के पास है। घाटोल से भाजपा के हरेन्द्र निनामा और गढी से भाजपा के कैलाशचंद्र मीणा विधायक हैं जबकि बागीदौरा से कांग्रेस के महेन्द्र जीत सिंह मालवीय और बांसवाड़ा से अर्जुन लाल बामणिया विधायक हैं। एक सीट कुशलगढ से कांग्रेस समर्थित रमिला खड़िया विधायक हैं। वर्ष 2013 के चुनावों में बांसवाड़ा जिले की 5 में से 4 सीटें बीजेपी के पास थी। घाटोल, कुशलगढ, बांसवाड़ा और गढी सीटें बीजेपी के कब्जे थी। केवल बागीदौरा से कांग्रेस के महेन्द्र सिंह मालवीय चुनाव जीते थे।
डूंगरपुर और प्रतापगढ में बीजेपी को नुकसान
वर्ष 2018 के विधानसभा चुनावों में डूंगरपुर और प्रतापगढ जिले में बीजेपी को भारी नुकसान हुआ। इन दोनों जिलों की पांचों विधानसभा सीटों पर बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा। वर्ष 2013 के विधानसभा में डूंगरपुर की तीनों विधानसभा सीटों चौरासी, सागवाड़ा और डूंगरपुर के साथ प्रतापगढ जिले की दोनों विधानसभा सीटों प्रतापगढ और धरियावद सीटों पर बीजेपी चुनाव जीता था। यानी इन दोनों जिलों की सभी पांचों विधानसभा सीटों पर बीजेपी का कब्जा था। वर्ष 2018 के चुनाव में बीजेपी की झोली से ये सभी पांचों सीटे निकल गई। दोनों जिलों की पांचों सीटों पर बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा।
बीटीपी की एंट्री और कांग्रेस की वापसी
वर्ष 2018 के चुनावों में डूंगरपुर जिले में भारतीय ट्राइबल पार्टी की एंट्री हुई। डूंगरपुर जिले की 3 विधानसभा सीटों में से 2 सीटों चौरासी और सागवाड़ा पर बीटीपी के प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की। चौरासी से बीटीपी के राजकुमार रोत और सागवाड़ा से रामप्रसाद ने चुनाव जीता। डूंगरपुर जिले की तीसरी सीट डूंगरपुर से कांग्रेस के गणेश घोघरा ने जीत दर्ज की। इसी तरह वर्ष 2018 के विधानसभा चुनावों में प्रतापगढ जिले की दोनों सीटें बीजेपी के हाथ से छूटकर कांग्रेस के पास चली गई। धरियावद से कांग्रेस के नगराज मीणा और प्रतापगढ से रामलाल मीणा कांग्रेस पार्टी के बेनरतले विधायक बने।रिपोर्ट – रामस्वरूप लामरोड
राजस्थान की और समाचार देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – Rajasthan News
उदयपुर की 7 विधानसभा सीटें
उदयपुर जिले में 7 विधानसभा सीटें हैं। इनमें से 5 सीटें बीजेपी के पास है। सलूम्बर से अमृतलाल मीणा, आसपुर से गोपीचंद मीणा, मावली से धर्म नारायण जोशी, गोगुंदा से प्रताप भील और झाड़ोल से बाबूलाल विधायक हैं। शेष 2 सीटों पर कांग्रेस काबिज है। खैरवाड़ा से कांग्रेस के दयाराम परमार और वल्लभ नगर से कांग्रेस की प्रीति गजेन्द्र सिंह शक्तावत विधायक है। पिछले विधानसभा चुनावों यानी साल 2013 के चुनावों में भी 7 में से 5 सीटें बीजेपी के पास थी जबकि बीजेपी के पास सिर्फ 1 सीट थी। एक सीट पर निर्दलीय की जीत हुई थी।
बांसवाड़ा की 5 में से 2-2 सीट बीजेपी और कांग्रेस के पास
बांसवाड़ा जिले में पांच विधानसभा सीटें हैं। इन 5 में 2 सीटें बीजेपी के पास है जबकि 2 सीटें कांग्रेस के पास है। घाटोल से भाजपा के हरेन्द्र निनामा और गढी से भाजपा के कैलाशचंद्र मीणा विधायक हैं जबकि बागीदौरा से कांग्रेस के महेन्द्र जीत सिंह मालवीय और बांसवाड़ा से अर्जुन लाल बामणिया विधायक हैं। एक सीट कुशलगढ से कांग्रेस समर्थित रमिला खड़िया विधायक हैं। वर्ष 2013 के चुनावों में बांसवाड़ा जिले की 5 में से 4 सीटें बीजेपी के पास थी। घाटोल, कुशलगढ, बांसवाड़ा और गढी सीटें बीजेपी के कब्जे थी। केवल बागीदौरा से कांग्रेस के महेन्द्र सिंह मालवीय चुनाव जीते थे।
डूंगरपुर और प्रतापगढ में बीजेपी को नुकसान
वर्ष 2018 के विधानसभा चुनावों में डूंगरपुर और प्रतापगढ जिले में बीजेपी को भारी नुकसान हुआ। इन दोनों जिलों की पांचों विधानसभा सीटों पर बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा। वर्ष 2013 के विधानसभा में डूंगरपुर की तीनों विधानसभा सीटों चौरासी, सागवाड़ा और डूंगरपुर के साथ प्रतापगढ जिले की दोनों विधानसभा सीटों प्रतापगढ और धरियावद सीटों पर बीजेपी चुनाव जीता था। यानी इन दोनों जिलों की सभी पांचों विधानसभा सीटों पर बीजेपी का कब्जा था। वर्ष 2018 के चुनाव में बीजेपी की झोली से ये सभी पांचों सीटे निकल गई। दोनों जिलों की पांचों सीटों पर बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा।
बीटीपी की एंट्री और कांग्रेस की वापसी
वर्ष 2018 के चुनावों में डूंगरपुर जिले में भारतीय ट्राइबल पार्टी की एंट्री हुई। डूंगरपुर जिले की 3 विधानसभा सीटों में से 2 सीटों चौरासी और सागवाड़ा पर बीटीपी के प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की। चौरासी से बीटीपी के राजकुमार रोत और सागवाड़ा से रामप्रसाद ने चुनाव जीता। डूंगरपुर जिले की तीसरी सीट डूंगरपुर से कांग्रेस के गणेश घोघरा ने जीत दर्ज की। इसी तरह वर्ष 2018 के विधानसभा चुनावों में प्रतापगढ जिले की दोनों सीटें बीजेपी के हाथ से छूटकर कांग्रेस के पास चली गई। धरियावद से कांग्रेस के नगराज मीणा और प्रतापगढ से रामलाल मीणा कांग्रेस पार्टी के बेनरतले विधायक बने।रिपोर्ट – रामस्वरूप लामरोड