Rajasthan : अब 2 नहीं वर्ष में तीन बार मनेगी दिवाली, जानें क्या है माजरा | Rajasthan Banswara Now Diwali will be celebrated three times a year not two know what is matter | News 4 Social

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Rajasthan : अब 2 नहीं वर्ष में तीन बार मनेगी दिवाली, जानें क्या है माजरा | Rajasthan Banswara Now Diwali will be celebrated three times a year not two know what is matter | News 4 Social

Rajasthan : अब 2 नहीं वर्ष में तीन बार मनेगी दिवाली, जानें क्या है माजरा | Rajasthan Banswara Now Diwali will be celebrated three times a year not two know what is matter | News 4 Social

अयोध्या में रामलला प्रतिमा प्रतिष्ठा के बाद नया इतिहास बन गया है। अब दो नहीं, वर्ष में तीन बार दिवाली मनेगी।

सदियों से वर्ष के उत्तरार्ध में मनाए जाने वाले दीपावली के त्योहार और फिर छोटी दिवाली के बाद अब अयोध्या रामोत्सव के उपरांत जन समुदाय तीन दिवाली मनाएगा। 22 जनवरी के ऐतिहासिक कदम से अब वर्ष के पूर्वार्ध में इस दिन वर्षगांठ दीपोत्सव और देवालयों में आयोजनों के साथ मनेगी। टेंट से रामलला के विग्रह और नवीन प्रतिमा प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के दिन सुबह से रात तक उमंग और उल्लास का अद्भुत आनंद हर व्यक्ति ने महसूस किया। उससे तय है कि देश-दुनिया के साथ वागड़ में नई शुरुआत हो चुकी है और आनंद यात्रा अनंत वर्षों तक चलेगी। इस बारे में चर्चा पर संत-महात्मा मंदिरों के महंत और ट्रस्ट भी एकमत हैं। उससे संदेह नहीं कि भविष्य में नगर निकाय भी जनजुड़ाव के दृष्टिगत 22 जनवरी को आयोजन की निरंतरता रखेगा।

रामोत्सव की विशिष्टता : स्वेच्छा से हर वर्ग की है सहभागिता स्वेच्छा

रामोत्सव की विशिष्टता यह भी रही कि इसमें हर वर्ग की सहभागिता स्वेच्छा से सामने आई। मंदिर, बाजार और सार्वजनिक स्थान या घर, लोग साज-सज्जा, रोशनी के साथ भोजन-भजन का प्रबंध करने में जुटे दिखे। इससे संदेह नहीं है कि किसी एक पर आर्थिक भार के बगैर मिल-जुलकर वर्ष का तीसरा दीपोत्सव सब मनाएंगे।

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संगत और पंगत साथ, ऐतिहासिक दिन

केंद्रीय सहमंत्री विश्व हिंदू परिषद रामस्वरूप महाराज ने बताया कि, 500 वर्ष से अधिक समय के बाद यह दिन आया। जब तक देश में संगत और पंगत चलती रहेगी। कोई हिंदू समाज की एकजुटता पर प्रभाव नहीं डाल सकता है। गुरुनानक देवजी की यह वाणी गांव-शहर हर जगह 22 जनवरी को चरितार्थ होती दिखी। अब इस ऐतिहासिक दिन हर वर्ष दिवाली मनाई जाएगी।

वर्षों के संघर्ष का फल है 22 जनवरी की दिवाली

बड़ा रामद्वारा संत रामप्रकाश ने बताया कि 22 जनवरी का दीपोत्सव वर्षों के संघर्ष और हजारों के बलिदान के प्रतिफल है। यह महज प्रतिमा प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव नहीं, करोड़ों भारतीयों के आस्था का आयोजन था। जिसका उत्साह पूरे विश्व में छाया रहा। अब यह अंतरराष्ट्रीय वार्षिकोत्सव के रूप में मनाया जाएगा।

नवयुग का प्रमाण है रामोत्सव

महंत ब्रह्मा धाम छींच घनश्यामदास महाराज ने कहा अयोध्या का रामोत्सव नवयुग का प्रमाण है। पूरा विश्व दर्शन मात्र से स्तब्ध रहा। भारत ही नहीं, सभी देशों में इस अवसर पर आयोजन हुए। इस अद्वितीय आध्यात्मिक. सांस्कृतिक क्षणों का आनंद हर वर्षगांठ पर सदियों तक दिवाली के रूप में मनाते हुए लिया जाएगा।

आगे श्रृंखला जारी रखे

नगर परिषद सभापति जैनेंद्र त्रिवेदी ने कहा, अयोध्या में प्रभु श्रीराम की प्रतिमा प्रतिष्ठा के अवसर पर शहर राममयी रहा। हर व्यक्ति स्वेच्छा से जुड़ा और दिवाली मनाई। नगर परिषद ने भी ऐतिहासिक आयोजन को धूमधाम से मनाने की जिम्मेदारी निभाई। आगे कोई भी बोर्ड में रहेए आयोजन की शृंखला जारी रखी जानी चाहिए।

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