Raj Thackeray: बिलखते हुए राज ठाकरे के बगल में संजय राउत…क्या है तस्वीर का पूरा किस्सा, जानिए

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Raj Thackeray: बिलखते हुए राज ठाकरे के बगल में संजय राउत…क्या है तस्वीर का पूरा किस्सा, जानिए

Raj Thackeray: बिलखते हुए राज ठाकरे के बगल में संजय राउत…क्या है तस्वीर का पूरा किस्सा, जानिए

मुंबई:राज ठाकरे की पहचान एक फायरब्रैंड नेता के रूप में रही है। 16 साल पहले शिवसेना से अलग होकर राज ठाकरे ने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के नाम से अपनी नई पार्टी बनाई। लाउडस्पीकर पर अजान का विरोध और मस्जिदों के बाहर हनुमान चालीसा पढ़ने के ऐलान को लेकर हाल ही में राज ठाकरे चर्चा में रहे थे। अब तक के सियासी सफर में सार्वजनिक रूप से ऐसे गिने-चुने मौके ही दिखे होंगे, जब राज ठाकरे भावुक नजर आए हों। उनकी एक तस्वीर काफी चर्चा में रही थी। इस तस्वीर में राज ठाकरे रोते हुए दिख रहे हैं। उनके बगल शिवसेना के प्रवक्ता संजय राउत हैं, जो इस समय पात्रा चॉल जमीन घोटाले के मामले में जेल में बंद हैं। आइए जानते हैं इस तस्वीर की पूरी कहानी।

राज ठाकरे के परिवार में कौन-कौन
राज ठाकरे की यह तस्वीर दस साल पुरानी है। शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे का 17 नवंबर 2012 को निधन हुआ था। उनका अंतिम संस्कार मुंबई के शिवाजी पार्क में किया गया था। तस्वीर पर बात करने से पहले बाल ठाकरे और राज ठाकरे के पारिवारिक रिश्तों को जानते हैं। एक दौर में राज ठाकरे को ही बालासाहेब की विरासत का उत्तराधिकारी माना जा रहा था। राज ठाकरे बालासाहेब के भतीजे हैं। 14 जून 1968 को मराठी कायस्थ परिवार में राज का जन्म हुआ। उनके पिता श्रीकांत केशव ठाकरे, बाल ठाकरे के छोटे भाई थे। वहीं मां कुंदा ठाकरे, बालासाहेब की पत्नी मीना ठाकरे (मीनाताई के नाम से चर्चित) की छोटी बहन हैं। राज के पिता श्रीकांत एक संगीतकार, कार्टूनिस्ट और शेरो शायरी के शौकीन थे। दिसंबर 2003 में उनका निधन हो गया था। राज की पत्नी शर्मिला मशहूर मराठी रंगमंच अभिनेता और फिल्म निर्देशक मोहन वाघ की बेटी हैं। राज ठाकरे के बेटे अमित ठाकरे और बेटी उर्वशी ठाकरे हैं।

बाल ठाकरे के अंतिम संस्कार में राज ठाकरे

17 नवंबर 2012 को बालासाहेब का निधन
उद्धव ठाकरे के शिवसेना में बढ़ते कद से असंतुष्ट राज ठाकरे ने 2005 में शिवसेना छोड़ दी। 9 मार्च 2006 को उन्होंने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना का गठन किया। हालांकि राज ठाकरे ने हमेशा बाल ठाकरे को ही अपना आदर्श माना। 2010 के बाद बालासाहेब की सेहत गिर रही थी। 25 जुलाई 2012 को मुंबई के लीलावती अस्पताल में उन्हें भर्ती कराया गया। बिगड़ती सेहत के बीच 14 नवंबर 2012 को उन्होंने भोजन भी त्याग दिया। इसके बाद उन्हें अस्पताल से मातोश्री लाकर ऑक्सिजन सपोर्ट पर रखा गया। हृदयगति बंद होने से 17 नवंबर 2012 को बालासाहेब का निधन हो गया। इसके बाद उनके अंतिम संस्कार के लिए शिवाजी पार्क को चुना गया।

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मुंबई की सड़कों पर 20 लाख का हुजूम उमड़ पड़ा
बालासाहेब की अंतिम यात्रा में मानो पूरी मुंबई सड़कों पर उमड़ पड़ी थी। अंतिमयात्रा में मायानगरी थम गई थी। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बालासाहेब की अंतिम यात्रा में तकरीबन 20 लाख लोग शामिल हुए थे। बताया जाता है कि मुंबई पुलिस पर व्यवस्था को संभालने के लिए ऐसा प्रेशर था कि उस वक्त मुंबई पुलिस कमिश्नर रहे सत्यपाल सिंह (अब बागपत से बीजेपी सांसद) ने अपनी बेटी की शादी का रिसेप्शन रद्द कर दिया था। मातोश्री से शुरू हुई अंतिम यात्रा में लौट आओ बालासाहेब के नारे लग रहे थे। मातोश्री से शिवाजी पार्क की दूरी करीब 10 किलोमीटर है। बाल ठाकरे की अंतिम यात्रा में यह दूरी तय करने में आठ घंटे लग गए थे। शिवाजी पार्क में 20 हजार लोगों की मौजूदगी में उद्धव ठाकरे ने बालासाहेब की चिता को मुखाग्नि दी थी। अंतिम संस्कार के दौरान राज ठाकरे भी बार-बार भावुक हो जा रहे थे। इस दौरान उनके अंदर भावनाओं का ज्वार उमड़ पड़ा था। राज ठाकरे अपने आदर्श नेता को याद करके बार-बार बिलख पड़े थे। इस तस्वीर में राज के बगल संजय राउत दिख रहे हैं। फिलहाल पात्रा चॉल स्कैम में वो मुंबई की ऑर्थर रोड जेल में बंद हैं।

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वॉल्ट डिज्नी के लिए काम करना चाहते थे राज ठाकरे
राज ठाकरे की संवाद अदायगी अपने चाचा बालासाहेब से मिलती थी। एक वक्त उनमें लोग बाल ठाकरे का अक्स देखने लगे थे। बालासाहेब की पहचान एक कार्टूनिस्ट के रूप में भी थी। वह फ्री प्रेस जर्नल के लिए कार्टून बनाते थे। राज ठाकरे ने मुंबई के प्रतिष्ठित जेजे कॉलेज ऑफ आर्ट से स्नातक की पढ़ाई की थी। अपने पिता और चाचा की तरह राज ठाकरे भी अच्छे कार्टूनिस्ट थे। राज ने कभी वॉल्ट डिज्नी स्टूडियो के लिए काम करने की इच्छा जाहिर की थी। एक इंटरव्यू में राज ठाकरे से पूछा गया कि अगर वह राजनीति में ना होते तो क्या करते? इस पर राज ने जवाब दिया था- राजनीति में आने से पहले मैं कार्टून भी बनाता था। कॉलेज लाइफ में वॉल्ट डिज्नी स्टूडियो के लिए काम करना चाहता था। फिल्म बनाना भी मेरे लिए एक जुनून की तरह था। अगर राजनीति में ना होता तो मैं यही सब कर रहा होता।

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