Raghuram Rajan News: श्रीलंका-पाक नहीं बनेगा भारत… अर्थजगत के जेम्‍स बॉन्‍ड रघुराम राजन की भविष्‍यवाणी के क्‍या हैं मायने?

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Raghuram Rajan News: श्रीलंका-पाक नहीं बनेगा भारत… अर्थजगत के जेम्‍स बॉन्‍ड रघुराम राजन की भविष्‍यवाणी के क्‍या हैं मायने?

Raghuram Rajan News: श्रीलंका-पाक नहीं बनेगा भारत… अर्थजगत के जेम्‍स बॉन्‍ड रघुराम राजन की भविष्‍यवाणी के क्‍या हैं मायने?

नई दिल्‍ली: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन (Raghuram Rajan) को अक्‍सर वर्ल्‍ड इकनॉमी (World Economy) का ‘जेम्‍स बॉन्‍ड’ कहा जाता है। उन्‍होंने अमेरिका में आर्थिक मंदी (Economic Recession) आने की भविष्‍यवाणी तब कर दी थी जब कोई इसके बारे में सोच भी नहीं सकता था। वह अपनी बेबाकी के लिए जाने जाते हैं। उनका कहा शायद ही गलत निकलता है। उन्‍होंने हाल में भारत की अर्थव्‍यवस्‍था के बारे में भी कुछ ऐसा कहा जिसका जिक्र बाद में वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने संसद में किया। रघुराम राजन ने कह दिया है कि भारत श्रीलंका और पाकिस्‍तान की राह पर नहीं जाएगा। देश की माली हालत मजबूत है। किसी तरह की बड़ी फिक्र का कारण नहीं बनता है। राजन का यह बोलना ही काफी है। इसे एक तरह की गारंटी के साथ लिया जा सकता है। कारण है कि वह कुछ भी ऐसे ही नहीं बोलते हैं। उसके पीछे उनकी गहरी समझ होती है।

रघुराम राजन बाजार से कहीं आगे रहते हैं। उन्‍हें ‘आउट ऑफ बॉक्‍स’ सोचने के लिए जाना जाता है। पहली बार रघुराम राजन तब सुर्खियों में आए जब उन्‍होंने 2005 में अमेरिका में मंदी आने की भविष्‍यवाणी कर दी थी। अपनी किताब ‘फॉल्ट लाइंस’ में रघुराम राजन ने बताया दिया था कि कैसे मंदी दुनिया की अर्थव्‍यवस्‍थाओं पर असर डालेगी। आगे चलकर ठीक वैसा ही हुआ, जैसा उन्‍होंने बोला था। इस घटना ने उन्‍हें दुनिया के टॉप विश्‍लेषकों में खड़ा कर दिया था।

भारत के बारे में क्‍या बोले हैं राजन?
श्रीलंका के डूबने, पाकिस्‍तान की अर्थव्‍यवस्‍था चरमराने और अमेरिका में मंदी के बीच रघुराम रजन ने भारत के लिए हाल में बड़ी बात कही। वह बोले कि भारतीय रिजर्व बैंक ने विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ाने में अच्‍छा काम किया है। भारत को श्रीलंका और पाकिस्‍तान जैसी आर्थिक समस्‍याओं का सामना नहीं करना पड़ेगा। देश पर विदेशी कर्ज कम है। महंगाई को लेकर भी उन्‍होंने अहम बात कही। वह बोले कि इस समय पूरी दुनिया में महंगाई है। रिजर्व बैंक की ओर से नीतिगत दरों में बढ़ोतरी से महंगाई का दबाव कम होगा। देश के आर्थिक हालात पर उनका यह कहना काफी है। कारण है कि वह वही बोलते हैं जो उनका मन कहता है।

रघुराम राजन देश के 23वें आरबीआई गवर्नर थे। उनका कार्यकाल 4 सितंबर 2013 से 4 सितंबर 2016 तक का था। उन्‍होंने मनमोहन और मोदी दोनों सरकारों के साथ काम किया। हालांकि, वह कभी किसी दबाव में नहीं आए। उन्‍हें अर्थव्‍यवस्‍था के लिए जो ठीक लगा वही उन्‍होंने किया। राजन ने कभी परवाह नहीं कि उनके बारे में क्‍या सोचा और बोला जा रहा है। उन्‍हें रुपये को वापस डॉलर के मुकाबले स्‍वीकार्य स्‍तर पर लाने का श्रेय दिया जाता है। आरबीआई गवर्नर की कुर्सी संभालते ही उन्‍हें सिस्‍टम की खामियों को दूर करना शुरू कर दिया था। वह देश में बैंकिंग रेवॉल्‍यूशन भी लाए जिसने भविष्‍य में अर्थव्‍यवस्‍था का रफ्तार देने के लिए रास्‍ता खोला। ऐसे में भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था के बारे में उनकी कॉमेंट्री के मायने बढ़ जाते हैं।

‘टू द पॉइंट’ बोलने के लिए जाने जाते हैं पूर्व आरबीआई गवर्नर
सीधे और सपाट अंदाज में बोलने के कारण ही रघुराम राजन कई तरह के विवादों में पड़े। लेकिन, उन्‍होंने कभी मन की बात बोलना नहीं छोड़ा। ‘मेक इन इंडिया’ कैंपन से लेकर सरकार की कई दूसरी पॉलिसियों की वह खुलकर आलोचना कर चुके हैं। उनके कहे बयानों को उठाकर विपक्ष सरकार पर हमला भी करता रहा है। लेकिन, हाल में भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था के बारे में राजन के राय जाहिर करने के बाद सरकार ने वही हथियार विपक्ष पर चला दिया। हाल में संसद में जब महंगाई पर चर्चा हुई तो सीतारमण ने रघुराम राजन के बयान का जिक्र करके विपक्ष की बोलती बंद कर दी। सीतारमण भी जानती हैं कि रघुराम राजन अर्थ जगत की दुनिया में ऐसा नाम हैं जिनकी राय पर सवाल खड़े करना मुश्किल है। जब राजन बोलते हैं कि भारत मजबूत स्थिति में है तो वह है।

रघुराम राजन आईआईटी (दिल्‍ली) और आईआईएम (अहमदाबाद) के पढ़े हैं। वह आरबीआई के सबसे युवा गवर्नरों में से एक थे। राजन देश के इन दोनों शीर्ष संस्‍थानों के गोल्‍ड मेडलिस्‍ट थे। अमेरिका के प्रतिष्ठित मेसाचुसेट्स इंस्‍टीट्यूट ऑफ टेक्‍नोलॉजी के स्‍लोआन स्‍कूल ऑफ मैनेजमेंट से उन्‍होंने डॉक्‍ट्रेट किया। आरबीआई का गवर्नर पद संभालने से पहले वह सरकार के चीफ इकनॉमिक एडवाइजर थे। 2003 से 2007 के बीच वह अंतरराष्‍ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) में चीफ इकनॉमिस्‍ट थे। वह यह पद संभालने वाले सबसे युवा और पहले गैर-पश्चिमी व्‍यक्ति थे।

राजन की भविष्‍यवाणी के मायने
दुनिया आज बेहद मुश्किल दौर से गुजर रही है। भारत का पड़ोसी देश श्रीलंका अपनी आजादी के बाद सबसे बुरे आर्थ‍िक संकट से रूबरू है। पाकिस्‍तान में भी हालात बेहद खराब है। रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के कारण यूरोप में खाद्य वस्‍तुओं की सप्‍लाई बाधित हुई है। इससे यूरोप में भी इन वस्‍तुओं के दाम बढ़े हैं। अमेरिका में मंदी ने दस्‍तक दे दी है। ऐसे हालात में जब रघुराम राजन भारत की मजबूत आर्थिक स्थिति की बात कहते हैं तो भरोसा बढ़ता है। यह महंगाई और ग्रोथ को लेकर हल्‍ला मचाने की बेवजह की कोशिशों को भी रोकता है।

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