राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग स्थापना का उद्देश्य और महत्व

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मानवाधिकार आयोग
मानवाधिकार आयोग

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ( National Human Rights Commission- NHRC ) एक स्वतंत्र संस्था है. इसकी स्थापना का उद्देश्य देश के नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करना है. इसकी स्थापना मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के प्रावधानों के तहत 12 अक्टूबर , 1993 में की गई थी. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में 9 सदस्य होते हैं. 1 अध्यक्ष , 4 पदेन सदस्य तथा नियुक्त 4 सदस्य होते हैं. इसके अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में बनी उच्च स्तरीय कमेटी द्वारा की जाती है.

मानवाधिकार आयोग

वर्तमान में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में 13 सदस्य होते हैं. 1 अध्यक्ष , 7 पदेन सदस्य तथा नियुक्त 5 सदस्य होते हैं. पहले इसका अध्यक्ष सिर्फ सुप्रीम कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश ही हो सकता था, लेकिन 2018 में इसमें बदलाव करके अब इसमें सुप्रीम कोर्ट के अन्य न्यायाधीश भी हो सकते हैं. इसका कार्यका 3 वर्ष कर दिया गया जो स्थापना के समय यह 5 वर्ष था.

राष्ठीय मानवाधिकार आयोग

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का अपना एक विशेष महत्व है. व्यक्ति के संपूर्ण विकास के लिए उसके पास कुछ अधिकार होने जरूरी होते हैं और मानवाधिकार आयोग उन्ही अधिकारों की रक्षा करता है. अगर हम हमारे संविधान में देखें तो उसमें भी हमारे लिए मौलिक अधिकारों का उल्लेख किया गया है. जैसे- जीवन का अधिकार , स्वतंत्रता का अधिकार.

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NHRC के पास सिविल न्यायालय की शक्तियां हैं. यह लोगों को विभिन्न माध्यमों से अपने अधिकारों के लिए जागरूक करता है. यदि किसी के मानवाधिकारों का हनन होता है, तो वह मानवाधिकार आयोग में शिकायत कर सकता है. जिस पर मानवाधिकार आयोग को जांच करने का पूरा अधिकार होता है. समय समय पर जेलों का दौरा कर के भी यह आयोग जांच करता है कि कहीं कैदियों के मानवाधिकारों का हनन तो नहीं हो रहा. ह यह आयोग मानवाधिकार के उल्लंघन पर सभी न्यायिक मामलों में हस्तक्षेप का अधिकार रखता है.