Punjab Congress: पंजाब में कांग्रेस ने बदला सरकार का ‘कैप्टन’, नवजोत सिद्धू का लिटमस टेस्ट अभी बाकी है!

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Punjab Congress: पंजाब में कांग्रेस ने बदला सरकार का ‘कैप्टन’, नवजोत सिद्धू का लिटमस टेस्ट अभी बाकी है!

Compiled by | टाइम्स न्यूज नेटवर्क | Updated: Sep 20, 2021, 3:44 PM

Punjab Dalit CM News पंजाब राज्य के गठन के 55 साल के इतिहास में पहली बार दलित सीएम बना है। 32 प्रतिशत दलित मतदाता वाले राज्य में चरणजीत सिंह चन्नी (Charanjit Singh Channi) को सीएम बनाकार कांग्रेस ने बड़ा दांव खेला है। लेकिन असली चुनौती नवजोत सिद्धू (Navjot Sidhu) के लिए है।

 

चंडीगढ़
पंजाब में चले सियासी ड्रामे का अंत चरणजीत सिंह चन्नी को सीएम की कुर्सी देने के साथ हुआ। 55 साल में पहली बार किसी दलित चेहरे को सीएम बनाना कांग्रेस का साहसिक कदम माना जा रहा है। राज्य में कांग्रेस को कैप्टन अमरिंदर सिंह की नाराजगी से जूझना है। साथ ही एक कामचलाऊ चेहरे के साथ अगले साल विधानसभा चुनाव में उतरने की कहीं उसे कीमत ना चुकानी पड़े।

सिद्धू के चेहरे पर चुनाव लड़ेगी कांग्रेस?
एक बार जब सियासी ड्रामे से उभरा तूफान शांत हो जाएगा तो कांग्रेस सुनिश्चित करना चाहेगी कि पिछले कुछ महीने से चल रही उठापटक का द एंड हो गया है। कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी चुनौती पार्टी को एकजुट रखना है। जिस तरह से पिछले कुछ अरसे से कैप्टन अमरिंदर सिंह पर पार्टी विधायकों ने हमले किए, उसके बाद पंजाब कांग्रेस में दरार चौड़ी हो गई है। इस दरार को सुनील जाखड़ के ट्वीट से भी समझा जा सकता है। जाखड़ ने हरीश रावत के उस बयान पर सवाल उठाए जिसमें उन्होंने कहा था कि सिद्धू के चेहरे पर चुनाव लड़ा जाएगा।

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सत्ता परिवर्तन का साइड इफेक्ट दिखना शुरू
सत्ता परिवर्तन का साइड इफेक्ट भी अब साफ दिखने लगा है। सुनील जाखड़ का नाम सीएम पद की रेस में सबसे आगे था लेकिन कांग्रेस ने चन्नी के रूप में दलित सीएम का दांव खेला है। अब सुनील जाखड़ के भतीजे और पंजाब किसान आयोग के अध्यक्ष अजय वीर जाखड़ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। अजय वीर जाखड़ ने ट्वीट करते हुए कहा, ‘राज्य में बदली हुई परिस्थितियों को देखते हुए मैंने पंजाब किसान व खेत मजदूर आयोग के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है।’

महत्वाकांक्षी नेताओं का समूह बनी पंजाब कांग्रेस!
पंजाब कांग्रेस इस वक्त महत्वाकांक्षी नेताओं के एक समूह जैसी दिख रही है और यह प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू पर निर्भर करेगा कि वह कैसे हालात को नियंत्रित करते हैं। सिद्धू के सामने एक चुनौती अमरिंदर के करीबियों को समायोजित करने की भी होगी। पार्टी के नेताओं का मानना है कि किसी भी तरह की उठापटक से दलित सीएम और संकट के खत्म होने का सकारात्मक प्रभाव बेकार हो सकता है।

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‘हर कोई साथ रहा तो संकट से उबर जाएंगे’
कांग्रेस के राज्यसभा सांसद अभिषेक मनु सिंघवी कहते हैं, ‘इस बात में कोई शक नहीं कि कैप्टन पंजाब के सबसे ऊंचे कद के मुख्यमंत्रियों में से एक थे। लेकिन वह विधायकों का भरोसा खो चुके थे। इन विरोधाभासों के साथ सामंजस्य स्थापित करना आसान नहीं है। अगर हर कोई साथ रहता है तो पार्टी इस हालात से तेजी से उबर जाएगी।’

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कमजोर-बंटी कांग्रेस आम आदमी पार्टी के खोलेगी दरवाजे
कांग्रेस के लिए और यह सुनिश्चित करना चुनौती होगा कि कहीं अमरिंदर सिंह लगातार पार्टी के खिलाफ और मुखर ना हो जाएं। नाराज अमरिंदर अगर भविष्य में ऐसा कुछ करते हैं तो कांग्रेस के लिए और मुश्किल हो सकती है। हालांकि पार्टी सूत्रों का कहना है कि एक हद के बाद अमरिंदर सिंह के आगे झुकने का कोई मूड नहीं है। अभी अमरिंदर के सुर कुछ अच्छे नहीं दिख रहे हैं। वह इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि गांधी परिवार ने उन्हें सत्ता से बेदखल किया है। कमजोर और बंटी हुई कांग्रेस मतदाताओं के बीच अच्छी छाप नहीं छोड़ पाएगी। ऐसे में आम आदमी पार्टी के लिए दरवाजा खुल सकता है। इसके साथ ही बहुकोणीय चुनाव की सूरत में गठबंधन के कठिन समीकरण बन सकते हैं।

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तो दलित सीएम का दांव पड़ सकता है उल्टा
चरणजीत सिंह चन्नी के रूप में दलित सीएम बनाकर कांग्रेस ने बड़ा दांव खेला है। पार्टी के नए झंडाबरदार नवजोत सिद्धू जाट सिख समुदाय पर असर डालने की कोशिश करेंगे। राज्य की सियासत में जाट सिख को सत्ता की चाबी के रूप में देखा जाता रहा है। साथ ही पार्टी को सावधान रहना होगा कि कहीं जनता के बीच यह संदेश ना जाए कि चन्नी सिर्फ सिद्धू की जगह कार्यवाहक प्रतिनिधि की भूमिका में हैं। इससे दलित सीएम बनाने का ट्रंप कार्ड हल्का पड़ सकता है और संभावित राजनीतिक लाभ से भी कांग्रेस वंचित रह सकती है।



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