President Election 2022: भारत को खामोश नहीं, बोलने वाला राष्‍ट्रपति चाहिए, लखनऊ में आकर यशवंत सिन्‍हा ने मांगा समर्थन

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President Election 2022: भारत को खामोश नहीं, बोलने वाला राष्‍ट्रपति चाहिए, लखनऊ में आकर यशवंत सिन्‍हा ने मांगा समर्थन

President Election 2022: भारत को खामोश नहीं, बोलने वाला राष्‍ट्रपति चाहिए, लखनऊ में आकर यशवंत सिन्‍हा ने मांगा समर्थन

लखनऊ: विपक्ष के राष्‍ट्रपति पद (President Election 2022) के संयुक्‍त उम्‍मीदवार यशवंत सिन्‍हा (yashwant sinha) गुरुवार को लखनऊ में थे। अखिलेश यादव (akhilesh yadav) ने उनकी अगवानी की, बाद में सपा के कार्यालय में यशवंत सिन्‍हा ने राष्‍ट्रपति पद के लिए समर्थन मांगा। यशवंत सिन्‍हा ने पूरा जोर इस बात पर दिया कि मौजूदा हालात में ऐसा राष्‍ट्रपति चाहिए जो सरकार को मनमानी करने से रोक सके। इस प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में अखिलेश के साथ आरएलडी के जयंत चौधरी भर थे। सपा के अन्‍य सहयोगी दलों में से कोई नहीं पहुंचा, न सुभासपा प्रमुख ओपी राजभर आए न प्रसपा के शिवपाल यादव।

यशवंत सिन्‍हा ने कहा, इस बार का राष्‍ट्रपति चुनाव असाधारण हालत में हो रहा है। इस बार परिस्थिति बहुत असाधारण है। ऐसा इसलिए क्‍योंकि पूरा समाज अशांत हो गया है। आपस में जो बातचीत होती थी वह खत्‍म हो गई है। कहीं कोई किसी को समझाने की हालत में नहीं है। बड़ी से बड़ी घटना हो जाती है तब भी मन की बात बोलने वाले पीएम चुप रह जाते हैं।

‘चुप हैं देश के प्रधानमंत्री’
सिन्‍हा आगे बोले, ‘हम सब चाहते हैं कि देश का प्रधानमंत्री बोलें तो उसका असर पडेगा। मामला शांत होने में मदद मिले, लेकिन पता नहीं क्‍यों वह बोलते नहीं। देश में असाधारण और अशांत हालत पैदा हो गए। इससे संविधान की मर्यादा खत्‍म हो गई है। संविधान के मूल्‍यों की रक्षा नहीं हो रही है केवल सरकारी पार्टी और सरकार मूल्‍यों की अवहेलना कर रही है। ऐसा चलता रहा तो एक दिन हम पाएंगे कि संविधान नष्‍ट हो गया है।’

‘कहीं भी इंसाफ नहीं मिल रहा’
आज के हालात पर यशवंत सिन्‍हा ने कहा, ‘संविधान की धाराओं का कोई महत्‍व नहीं रह गया। देश के नागरिक के पास ऐसा कोई मंच नहीं रहा जहां उसे इंसाफ मिल सके। लोग अपने क्षेत्र के जनप्रतिनिधि के पास जाते हैं, मंत्रियों, कोर्ट की शरण लेते हैं। लेकिन आज लगता है क‍ि कहीं इंसाफ नहीं मिल रहा है।’

कोर्ट के कामकाज पर भी सवाल
सिन्‍हा ने कोर्ट पर सवाल उठाते हुए कहा, ‘धारा 370 का मामला 2019 में सुप्रीम कोर्ट में गया आज 2022 है उसकी सुनवाई कब होगी किसी को नहीं पता। सीएए का कानून आया उसके खिलाफ लोग कोर्ट में गए कब सुनवाई होगी दूर-दूर तक कुछ पता नहीं। कुछ मामले तो बहत जल्‍दी कोर्ट सुन लेता है लेकन कुछ महत्‍वपूर्ण मामलों में बहुत विलंब होता है। हम सब जानते हैं कि देर से मिला न्‍याय न मिलने के बराबर है।’

‘हुकूमत चाहती है कि समाज बंटे’
बीजेपी सरकार पर आरोप लगाते हुए वह बोले, ‘ऐसा लगता है कि हुकूमत में बैठे लोग चाहते हैं कि समाज बंटे। क्‍योंकि एक बंटे हुए समाज से उन्‍हें वोट की आशा है। यह वोट की राजनीति को कहां तक ले जाना चाहते हैं। उन्‍हें देश की जरा भी चिंता नहीं है।’

‘ऐसा चाहिए राष्‍ट्रपति’
राष्‍ट्रपति चुनाव पर सिन्‍हा बोले, ‘इसीलिए मैं कह रहा था कि दो व्‍यक्तियों में से जो भी राष्‍ट्रपति भवन में जाएगा उसे हमेशा से कहीं ज्‍यादा इस समय अपने कर्तव्‍यों का निर्वहन करना पडेगा। उसके पास बहुत सी शक्तियां हैं। समय-समय पर ऐसे राष्‍ट्रपति बने हैं उन्‍होंने उनका इस्‍तेमाल भी किया है सरकार को परामर्श देने नियंत्रण में रखने के लिए।’

‘मैं चुना गया तो यह करूंगा’
अपने लिए समर्थन मांगते हुए यशवंत सिन्‍हा ने कहा, ‘आज ऐसा मौके पर मैं बताना चाहता हूं कि अगर मुझे चुना जाता है तो मैं क्‍या कंरूगा। अगर मैं राष्‍ट्रपत‍ि चुना जाता हूं तो संविधान के प्रति जवाबदेह होऊंगा, केवल संविधान के प्रति। इसका मतलब नहीं हुआ कि पीएम के साथ टकराव होगा। पीएम के साथ बैठकर बातचीत करके रास्‍ता निकाला जा सकता है।’

महाराष्‍ट्र, कर्नाटक, एमपी का दिया उदाहरण
अपनी उम्‍मीदवारी पर जोर देते हुए यशवंत सिन्‍हा ने कहा, ‘मैं राष्‍ट्रपति भवन में संविधान के संरक्षक के रूप में काम करूंगा। अगर मेरे ध्‍यान में यह बात आती है कि भारत की सरकार कुछ ऐसा कर रही है कि जिससे प्रजातंत्र का हनन या नुकसान हो रहा है जैसे चुनी हुई प्रदेश की सरकारों को गिराना। महाराष्‍ट्र, कर्नाटक, एमपी, गोवा, मेघालय में क्‍या हुआ। चुनी हुइ सरकारों को गिराया गया। तो अगर इस तरह की चीज होती है तो राष्‍ट्रपति का कर्तवय बनता है कि वह हस्‍तक्षेप करे। भारत को खामोश राष्टृपति नहीं चाहिए। भारत को बोलने वाला राष्टृपति चाहिए।

इससे पहले बीजेपी पर हमला करते हुए उन्‍होंने कहा, यह शहर अटल जी का रहा है। उन्‍होंने अपनी लोकसभा क्षेत्र के रूप में चुना था। अटल की सरकार में काम करने का मौका मिला। कभी कभी बहुत अफसोस और आश्‍चर्य होता है कि अटल जी की पार्टी कहां से कहां पहुंच गई।

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