Post Covid Issues: कोविड के बाद याददाश्त कम होने और कंफ्यूजन की बढ़ी समस्या, एक्सपर्ट्स ने कहा- गंभीर स्तर हैं ये बीमारियां

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Post Covid Issues: कोविड के बाद याददाश्त कम होने और कंफ्यूजन की बढ़ी समस्या, एक्सपर्ट्स ने कहा- गंभीर स्तर हैं ये बीमारियां

Post Covid Issues: कोविड के बाद याददाश्त कम होने और कंफ्यूजन की बढ़ी समस्या, एक्सपर्ट्स ने कहा- गंभीर स्तर हैं ये बीमारियां

विशेष संवाददाता, नई दिल्लीः कोविड भले ही अब नियंत्रण में हो, लेकिन इसके कारण कई तरह की दूसरी बीमारियां बढ़ी हैं और जो लोग पहले से बीमार थे, उनकी बीमारी गंभीर हो गई हैं। पोस्ट कोविड न्यूरोलॉजिकल समस्याएं भी काफी बढ़ी हैं। याददाश्त कम हो जाना, नींद नहीं आना, कंफ्यूजन में रहना, एंग्जायटी, स्ट्रोक का खतरा बढ़ना… ये सब आम परेशानियां हैं। न्यूरोलॉजी एक्सपर्ट्स का कहना है कि न केवल मामले बढ़े हैं, बल्कि कुछ में बीमारी की गंभीरता बढ़ी है, जिसकी वजह से दवाओं के डोज बढ़ाने पड़ रहे हैं।

​पोस्ट कोविड न्यूरो संबंधी दिक्कतें बढ़ीं

आकाश हॉस्पिटल के न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर मधुकर भारद्वाज ने कहा कि जिन्हें कोविड होता है, उनमें सूंघने (स्मेल) की क्षमता चली जाती है। यह बेहद कॉमन है। इसके अलावा कंफ्यूजन और सूजन की दिक्कत आती है। लेकिन पोस्ट-कोविड भी कई तरह की समस्याएं हो रही हैं और हम इतना जरूर कह सकते हैं कि पहले की तुलना में इस तरह के मरीजों की संख्या भी बढ़ी है। इसकी दो प्रमुख वजहें हैं। पहली, जो लोग न्यूरोलॉजिकल बीमारी से पहले से पीड़ित थे, उनका सही समय पर इलाज नहीं हुआ। दूसरी, जिन्हें रीहैब्लिटेशन की जरूरत थी वो नहीं मिली जिससे बीमारी बढ़ गई। ऐसे लोग इलाज के लिए आते हैं तो उसी बीमारी के लिए अब डबल डोज देनी पड़ रही है या पहले से ज्यादा डोज की जरूरत हो रही है।

​पोस्ट कोविड बुजुर्गों में बढ़ीं ये समस्याएं

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अपोलो हॉस्पिटल के न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर पी. एन. रंजन ने कहा कि पोस्ट-कोविड परेशानियां बुजुर्गों में बहुत ही कॉमन हैं। खासकर जो बुजुर्ग डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, मेमोरी लॉस, स्ट्रोक से पीड़ित थे, उनमें दिक्कतें काफी बढ़ गई हैं। पोस्ट कोविड बुजुर्गों में पार्किंसन की समस्या बढ़ी है। इसके अलावा नींद नहीं आ रही है, एंग्जायटी हो रही है, डिप्रेशन सता रहा है, थकान हो रही है और सबसे ज्यादा कंफ्यूजन की स्थिति देखी जा रही है। कुछ लोग तो पूरी तरह से कंफ्यूजन में चले जाते हैं, उन्हें दिन-रात में फर्क तक नहीं पता चलता। रोजमर्रा की चीजें भूल जाते हैं।

ऐसे करें मरीज की देखभाल

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डॉक्टर रंजन ने कहा कि कुछ लोगों में यह गंभीर होता है, तो अधिकतर में माइल्ड रहता है। ज्यादातर मामले में रिकवरी अपने आप हो जाती है। इसमें परिवार का योगदान बहुत अहम है। उन्हें इसे समझना चाहिए और मरीज के साथ सही व्यवहार करना चाहिए, उनकी परेशानी के अनुसार मदद करनी चाहिए तो रिकवरी और बेहतर होगी। वहीं अच्छी डाइट भी जरूरी है। पानी खूब पीएं, विटामिन ई, विटामिन सी और विटामिन डी का सेवन करें। ज्यादा बेचैनी होने पर ही डॉक्टर की सलाह पर माइल्ड दवा लें।

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