अभी परेशान करता रहेगा प्रदूषण, करोड़ों रुपये खर्च होने पर भी दिल्ली को नहीं मिली साफ हवा
खर्च हुए करोड़ों रुपये, लेकिन नहीं मिली साफ हवा
NCAP (नैशनल क्लीन एयर प्रोग्राम) को मंगलवार 10 जनवरी को चार साल पूरे हो गए हैं। इस दौरान 130 से अधिक शहरों से प्रदूषण को कम करने के लिए 6897.06 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। लेकिन दिल्ली में प्रदूषण की स्थिति में इस कार्यक्रम से मामूली सुधार ही दिख रहा है। दिल्ली के मुकाबले एनसीआर में पीएम 2.5 का स्तर करीब 20 से 30 प्रतिशत तक कम हुआ है। राजधानी दिल्ली में इस दौरान प्रदूषण में सिर्फ 7 प्रतिशत की गिरावट आई है। यह उम्मीद से काफी कम है। एनसीआर में इस दौरान दिल्ली से अधिक सुधार दर्ज हुआ है, हालांकि पीएम 10 को कम करने में एनसीआर भी नाकाम ही दिखा है। एनसीएपी ट्रैकर ने यह विश्लेषण जारी किया है।
सबसे प्रदूषित रही दिल्ली
एनसीएपी ट्रैकर के अनुसार, 2022 में राजधानी इन शहरों की लिस्ट में सबसे अधिक प्रदूषित रही। एनसीएपी में शामिल 10 सबसे अधिक प्रदूषित शहरों में अब भी तीन एनसीआर के हैं। हालांकि दिल्ली की तुलना में एनसीआर के दो सबसे अधिक प्रदूषित शहर गाजियाबाद और नोएडा में व्यापक सुधार हुए हैं। गाजियाबाद में पीएम 2.5 के स्तर में 22 प्रतिशत और नोएडा में 29.82 प्रतिशत की कमी आई है। क्लाइमेट ट्रेंड की डायरेक्टर आरती खोसला ने बताया कि रिपोर्ट बता रही है कि 2022 में मामूली सुधार दर्ज किया गया है। अब भी सबसे प्रदूषित शहरों की लिस्ट में दिल्ली-एनसीआर के शहर सबसे ऊपर हैं। दिल्ली में भी बहुत कम सुधार दर्ज हुआ है। ऐसे में हमें और ठोस प्लानिंग की जरूरत है। रेस्पिरर लिविंग साइंस के सीईओ रौनक सुतारिया ने कहा कि इस रिपोर्ट से यह साफ है कि जो शहर प्रदूषित हैं वहां इस पर काम हो रहा है। लेकिन, अभी काफी तेजी से काम करना होगा। पीएम 10 में भी अधिक कमी नहीं आई है। स्वास्थ्य के लिए सबसे अधिक नुकसानदेह पीएम 2.5 है। इसका मतलब यह है कि हमें महीन कणों के प्रदूषण पर काम की जरूरत है।