दिल्ली के ज्यादातर इलाकों में प्रदूषण ‘बेहद खराब’ स्तर पर रहा बरकरार, 294 दर्ज किया गया राजधानी का औसत AQI

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दिल्ली के ज्यादातर इलाकों में प्रदूषण ‘बेहद खराब’ स्तर पर रहा बरकरार, 294 दर्ज किया गया राजधानी का औसत AQI

दिल्ली के ज्यादातर इलाकों में प्रदूषण ‘बेहद खराब’ स्तर पर रहा बरकरार, 294 दर्ज किया गया राजधानी का औसत AQI

विशेष संवाददाता, नई दिल्ली: प्रदूषण में सोमवार को मामूली रूप से सुधार दर्ज किया गया है। यह कम होकर ‘खराब’ स्तर पर पहुंच गया। इसके बावजूद दिल्ली के ज्यादातर इलाके ‘बेहद खराब’ स्तर पर हैं। ऐसे में प्रदूषण को लेकर अभी सतर्क रहने की जरूरत है। पूर्वानुमान के अनुसार, अगले कुछ दिनों तक प्रदूषण खराब से बेहद खराब स्तर पर ही बना रहेगा। सीपीसीबी (सेंट्रल पल्यूशन कंट्रोल बोर्ड) के एयर बुलेटिन के अनुसार, सोमवार को राजधानी में प्रदूषण का स्तर 294 दर्ज हुआ। तीन दिन बाद प्रदूषण का स्तर खराब पर पहुंचा है। हालांकि अब भी राजधानी की ज्यादातर जगहों पर प्रदूषण बेहद खराब स्थिति में ही है।

राजधानी के अलीपुर में एक्यूआई 338, एनएसआईटी द्वारका में 335, पटपड़गंज में 323, सोनिया विहार में 325, जहांगीरपुरी में 337, नरेला में 353, बवाना में 340, मुंडका में 322, आनंद विहार में 370 और बुराड़ी में 349 रहा। आईआईटीएम पुणे के अनुसार, 15 नवंबर को प्रदूषण की स्थिति खराब रह सकती है। इसके बाद 16 अैर 17 नवंबर को भी यह बेहद खराब रह सकती है। इसके बाद अगले छह दिनों में यह खराब से बेहद खराब के बीच रहेगी। राजधानी में 15 और 16 नवंबर को उत्तर-पश्चिमी हवाएं चलेंगी। ये हवाएं अपने साथ पराली का धुआं लेकर आती हैं। सफर के अनुसार, अगले दो दिन हवाएं अपने साथ पराली का धुआं लेकर पहुंचेंगी। ऐसे में 15 और 16 नवंबर को प्रदूषण बेहद खराब स्थिति में रह सकता है। हवाओं की गति अच्छी रहेगी, इसलिए प्रदूषण बहुत अधिक नहीं बढ़ेगा।

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पराली प्रदूषण रहा महज 13 प्रतिशत
सोमवार को पराली प्रदूषण महज 13 प्रतिशत रहा है। सफर के अनुसार, दिल्ली में पीएम 2.5 का स्तर बढ़ाने में पराली के धुएं की हिस्सेदारी 13 प्रतिशत रही। वहीं इंडियन एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टिट्यूट के अनुसार, सोमवार को पराली जलाने के मामलों में आश्चर्यजनक रूप से कमी आई है। छह राज्यों में पराली जलाने के महज 756 मामले दर्ज हुए हैं। इनमें पंजाब में महज चार मामले हैं। रविवार को पंजाब में 2175 जगहों पर पराली जलाई गई थी। जबकि मध्य प्रदेश में सोमवार को 633 जगहों पर पराली जली।

अधिकारियों के अनुसार, पहाड़ों पर वेस्टर्न डिस्टरबेंस की वजह से पंजाब और हरियाणा पर बादल छाए हुए हैं। बादलों के समय सैटेलाइट सही तरीके से धुएं को पकड़ नहीं पाती और पराली जलाने के मामलों का सही आकलन नहीं हो पाता। यही वजह होगी कि पराली के मामलों में अचानक कमी आ गई है।

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