लोकतंत्र में राजनैतिक हठधर्मिता कहां तक सही ?

231
राजनैतिक हठधर्मिता
राजनैतिक हठधर्मिता

लोकतंत्र में राजनैतिक हठधर्मिता कहां तक सही ? ( To what extent is political dogma correct in a democracy ? )

हम बड़े गर्व से कहते हैं कि भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है. इस बात में सच्चाई भी है तथा इस बात पर गर्व करने का हमारा हक बनता है. लेकिन सवाल तब खड़ा होता है जब लोगों द्वारा चुनी हुई सरकार अपने हठ के कारण लोगों की आवाज को सुनना बंद कर दे. जब ऐसा होता है, तो लोकतांत्रिक देश में इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता होती है. वर्तमान परिदृश्य में कुछ ऐसा ही देखने को मिल रहा है. जब किसान आंदोलन लगभग 1 साल से कृषि कानूनों के विरोध में चल रहा है. इसके अलावा भी अगर विद्यार्थियों के मुद्दों पर बात करें, तो भी विद्यार्थियों को विश्वविद्यालय खोलने के लिए प्रदर्शन करना पड़ रहा है. जबकि कोरोना काल के बाद आम जन-जीवन लगभग सामान्य रूप में आ चुका है. बच्चों के स्कूल भी खोलने का फैसला लिया जा चुका है, लेकिन जब विश्वविद्यालय की बात आती है, तो सरकार की वहीं सुस्ती नजर आती है.

download 4 3 -
लोकतंत्र

खैर हमारे विषय को किसान आंदोलन से जोडकर देखें, तो यह बात बिल्कुल समझ से परे है कि सरकार किसके दबाव में या किस कारण से अपनी हठधर्मिता पर अड़ी है. आमतौर पर देखने को मिलता है कि उस समय सरकार के लिए निर्णय लेना मुश्किल हो जाता है , जब किसी फैसले के विरोध या समर्थन में दो पक्ष तैयार हो जाता है. लेकिन किसान आंदोलन की बात करें, तो सरकार के पास एक ही पक्ष है, जो विरोध कर रहा है, तो फिर सरकार को इस पर विचार करने में क्या बुराई नजर आती है ? इसे सरकार की क्यों ना हठधर्मिता कहा जाए ?

images 3 -
लोकतंत्र

कथिततौर पर कहा जाता है कि सरकार कुछ बड़े व्यापारियों को फायदा पहुंचाने के लिए ही इन कानूनों को लेकर आई है. इतने बड़े स्तर पर विरोध के बाद भी सरकार अपनी हठधर्मिता पर अड़ी है, तो ये बात संदेह पैदा करने के लिए काफी है. यहां तक की पीछले काफी लंबे समय से बातचीत का दरवाजा भी बंद ही पड़ा है. हालांकि इस पर किसान नेताओं और सरकार की तरफ से अलग अलग तर्क दिए जा रहे हैं. लेकिन एक बात साफ है कि बातचीत बंद हो चुकी है.

यह भी पढ़ें: डॉ. जाकिर हुसैन के जीवन का सबसे प्रेरक प्रसंग क्या ?

लोकतंत्र की सबसे बड़ी खुबशुरती बातचीत के द्वारा हल निकालना होता है. उसी का यहां हमें सबसे बड़ा अभाव दिखाई दे रहा है. लेकिन सवाल फिर भी वहीं खड़ा है कि क्या यह सरकार की हठधर्मिता का उदाहरण है और अगर है, तो फिर लोकतंत्र में राजनैतिक हठधर्मिता कहां तक सही ?

Today latest news in hindi के लिए लिए हमे फेसबुक , ट्विटर और इंस्टाग्राम में फॉलो करे | Get all Breaking News in Hindi related to live update of politics News in hindi , sports hindi news , Bollywood Hindi News , technology and education etc.