आरटीआई डालकर पूछा कब मिलेगा 15 लाख? पीएमओ के जवाब ने किया नि:शब्द

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2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान मोदी जी ने अपनी चुनावी रैलियों के दौरान कई जोशीले भाषण दिए थे और जनता का दिल जीता था। मोदी जी ने वादा किया था कि अगर उन्हें चुना गया तो वो देश की तस्वीर और तासीर बदल कर रख देंगे। लोगों को उनकी बातों पर विश्वास भी हुआ। लेकिन तब शायद पता नही था कि मोदी जी की हर बात विश्वासनीय नही है। दरअसल उसी दौरान कई रैलियों में मोदी जी ने कहा कहा था कि जब विदेशों से कालाधन वापस आएगा, प्रत्येक नागरिक को 15 लाख रुपये मिलेंगे।

2014 में हुए लोकसभा चुनाव के प्रचार में भाजपा के प्रधानमंत्री पद के दावेदार नरेन्द्र मोदी ने वादा किया था कि सबके बैंक खाते में 15 लाख रुपये आएंगे। तब नरेंद्र मोदी ने कहा था कि अगर हमारी सरकार बनी तो हम कालेधन पर ऐसी चोट करेंगे कि हर एक भारतीय के खाते में 15-15 लाख रुपए आ जाएंगे।

लेकीन आज जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नागरिकों के बैंक खातों में 15 लाख रुपये डालने का वादा पूरा करने की तारीख के बारे में पूछा गया तो उन्होंने जवाब दिया कि ये सवाल आरटीआई कानून के तहत सूचना के दायरे में नहीं आता। इसलिए इसका उत्तर नहीं दिया जा सकता। बता दें कि यह बात प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने केंद्रीय सूचना आयोग से कही है।

सूचना के अधिकार कानून (आरटीआई) के तहत मोहन कुमार शर्मा ने मोदी जी के प्रधानमंत्री बनने के दो साल बाद 26 नवंबर 2016 को आवेदन देकर उक्त जानकारी मांगी थी। बता दें कि 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से नोटबंदी का ऐलान किए जाने के 18 दिन बाद 26 नवंबर को एक जनहित याचिका दाखिल की गई कि मोदी ने हर नागरिकों को 15-15 लाख रुपये देने का जो वादा किया था, वो कब से शुरू होगा। इसमें अन्य बातों के अलावा तारीख के बारे में जानकारी मांगी गई कि मोदी जी के वादे के अनुसार कब प्रत्येक नागरिकों के खातों में 15 लाख रुपये डाले जाएंगे।

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सुनवाई के दौरान मोहन कुमार शर्मा ने मुख्य सूचना अधिकारी आरके माथुर को बताया कि इस शिकायत के संबंध में प्रधानमंत्री ऑफिस (पीएमओ) और रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया की ओर से विस्तृत जानकारी नहीं दी गई है। मुख्य सूचना अधिकारी माथुर ने जवाब में बताया, ‘पीएमओ की ओर से आवेदककर्ता को यह जानकारी दी गई कि उनकी ओर से आरटीआई के ज़रिए मांगी गई जानकारी आरटीआई कानून की धारा 2 (एफ) के तहत सूचना की परिभाषा के दायरे में नहीं आती।’

बता दें कि आरटीआई ऐक्ट के सेक्शन 2 (एफ) के तहत सूचना का मतलब कोई भी सामग्री होती है जो रिकॉर्ड, दस्तावेज, ज्ञापन, ई-मेल, प्रेस विज्ञप्ति सलाह, अनुबंध, रिपोर्ट, दस्तावेज, नमूना, लॉगबुक समेत किसी भी रूप में रखी सामग्री है। इसके अलावा किसी निजी संस्था से जुड़ी सूचनाएं भी होती हैं जो कानून के तहत सरकारी अथॉरिटी के दायरे में आती हो।

बता दें कि मुख्य सूचना अधिकारी माथुर ने निर्णय किया कि आरटीआई आवेदन के निपटान के संदर्भ में जवाब देने वाले दोनों पक्षों प्रधानमंत्री कार्यालय तथा रिज़र्व बैंक द्वारा उठाए गए कदम उपयुक्त है।