PM Gati Shakti: 100 ट्रिलियन रुपये वाली भारत की इस मेगा परियोजना से ड्रैगन के छूटे पसीने! चीन से इंडस्ट्री खींचेगा भारत

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PM Gati Shakti: 100 ट्रिलियन रुपये वाली भारत की इस मेगा परियोजना से ड्रैगन के छूटे पसीने! चीन से इंडस्ट्री खींचेगा भारत

PM Gati Shakti: 100 ट्रिलियन रुपये वाली भारत की इस मेगा परियोजना से ड्रैगन के छूटे पसीने! चीन से इंडस्ट्री खींचेगा भारत

नई दिल्ली: भारत की 100 ट्रिलियन रुपये (1.2 ट्रिलियन डॉलर) की मेगा परियोजना से ड्रैगन के पसीने छूट गए हैं। सरकार अपनी इस मेगा परियोजना के जरिए विदेशी कंपनियों को अपने यहां बुलाना चाहती है। सरकार चाहती है कि अब विदेशी कंपनियां चीन की जगह भारत में अपनी फैक्ट्रियां लगाएं। इससे देश की अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ेगी। देश में अगर विदेशी कंपनियां अपनी फैक्ट्रियां लगाएंगी तो इससे देश में युवाओं के लिए बड़ी संख्या में रोजगार भी मिलेगा। सरकार अपनी इस परियोजना को लेकर उत्साहित है।

ये है पीएम मोदी का मास्टरप्लान
अभी देश में आधे से ज्यादा इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट देरी से चल रहे हैं। इनमें से चार प्रोजेक्ट ऐसे हैं जो अपने बजट की अनुमानित लागत से ज्यादा पर चल रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मानना है कि इसका समाधान बस टेक्नोलॉजी के माध्यम से ही निकाला जा सकता है। टेक्नोलॉजी ही इन सब समस्याओं का समाधान है। इसीलिए सरकार अब डिजिटल इंडिया की ओर ज्यादा जोर दे रही है।

ये मोगा परियोजना पड़ेगी ड्रैगन पर भारी
सरकार की पीएम गति शक्ति परियोजना 100 ट्रिलियन रुपये (1.2 ट्रिलियन डॉलर) की है। यही वो मेगापरियोजना है जो ड्रैगन के लिए आने वाले समय में चुनौती बनने वाली है। दरअसल इस मेगापरियोजना के जरिए मोदी सरकार एक डिजिटल प्लेटफॉर्म बना रही है। ये डिजिटल प्लेटफॉर्म 16 मंत्रालयों को एक साथ जोड़ देगा। ये पोर्टल निवेशकों और कंपनियों के लिए बहुत फायदेमंद होगा। इस पोर्टल के माध्यम से निवेशकों और कंपनियों को परियोजनाओं के डिजाइन, बिना किसी झंझट के अप्रूवल और लागत के लिए एक ही स्थान पर समाधान मिल जाएगा।

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कंपनियां अपना रहीं चीन प्लस वन की नीति
फास्ट-ट्रैकिंग परियोजनाएं भारत को एक फायदा देंगी। चीन अभी भी बाहरी दुनिया के लिए काफी हद तक बंद है और कंपनियां तेजी से चीन-प्लस-वन नीति अपना रही हैं। कंपनियों का प्लान है कि चीन प्लस वन की नीति से अगर आने वाले समय में चीन में किसी तरह का झंझट हुआ तो वो दूसरे देश में अपनी फैक्ट्रियां लगा पाएं। भारत इस प्लान के जरिये कंपनियों को अपने यहां आने का मौका दे रहा है। इसके लिए सरकार अपने बुनियादी ढांचे को मजबूत करने में लगी हुई है।

भारत में बड़ी संख्या में उपलब्ध है सस्ती श्रम शक्ति
दुनिया के बाकी देशों की तुलना में भारत में अभी श्रम शक्ति काफी सस्ती है। यहां न केवल श्रम शक्ति सस्ती है बल्कि अंग्रजी बोलने वाले भी काफी लोग हैं। केर्नी इंडिया के पार्टनर अंशुमान सिन्हा के मुताबिक, “चीन के साथ प्रतिस्पर्धा करने का ये एकमात्र तरीका है। जितना हो सके उतना प्रतिस्पर्धी होना चाहिए।” गति शक्ति योजना देश की देश में व्यापार को आसान बनाने के बारे में है।

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देश में मजबूत किया जा रहा नेटवर्क
अंशुमान सिन्हा के मुताबिक, सरकार देश में नए उत्पादन समूहों की पहचान कर रही है। वहीं इस साइटों को देश के रेलवे नेटवर्क, बंदरगाहों और हवाई अड्डों से निर्बाध रूप से जोड़ रही है। इसके लिए लॉजिस्टिक्स नेटवर्क को भी मजबूत किया जा रहा है।

लालफीताशाही को कम करना जरूरी
भारत के लिए अपनी रुकी हुई बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को बंद करने के लिए प्रौद्योगिकी के माध्यम से लालफीताशाही को कम करना जरूरी है। सरकार इसी दिशा में लगी है। द टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, वर्तमान में गति शक्ति के पोर्टल की देखरेख वाली 1,300 परियोजनाओं में से लगभग 40% भूमि अधिग्रहण, वन और पर्यावरण मंजूरी से संबंधित मुद्दों के कारण विलंबित हैं, जिसके परिणामस्वरूप लागत में वृद्धि हुई है। अभी कम से कम 422 परियोजनाओं में कुछ मुद्दे थे और पोर्टल ने उनमें से कुछ 200 में समस्याओं का समाधान किया गया।

बुनियादी ढांचे को विकसित करने के लिए ज्यादा निवेश की जरूरत
रिपोर्ट के मुताबिक, पीएम मोदी ने बीते वर्ष एक कार्यक्रम के दौरान अपने भाषण में कहा था कि अभी देश में आधुनिक बुनियादी ढांचे को विकसित करने के लिए अधिक से अधिक निवेश करने के लिए प्रतिबद्ध है और यह सुनिश्चित करने के लिए हर कदम उठा रहा है कि परियोजनाओं को बाधाओं का सामना न करना पड़े और देरी न हो। कई आर्थिक गतिविधियों को शुरू करने और बड़े पैमाने पर रोजगार पैदा करने के लिए गुणवत्तापूर्ण बुनियादी ढांचा महत्वपूर्ण है। आधुनिक बुनियादी ढांचे के बिना भारत में सर्वांगीण विकास नहीं हो सकता।

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सरकार बुनियादी ढांचे को मजबूत करने पर काम कर रही
रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2014 में सत्ता में आने के बाद से, मोदी नई नौकरियों के सृजन के लिए बुनियादी ढांचे पर खर्च बढ़ा रहे हैं और एक ऐसी अर्थव्यवस्था को मजबूत कर रहे हैं जो कोविड -19 संक्रमण की आक्रामक लहर से प्रभावित थी। उसे कुछ शुरुआती सफलता मिली है।

ऐपल भी भारत में शुरू करने जा रही निर्माण
Apple Inc. अब चीन से बाहर निकलने के करीब दो महीने बाद भारत में iPhone 14 का निर्माण शुरू करने की योजना बना रही है, जबकि सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी ने साल 2018 में देश में दुनिया की सबसे बड़ी मोबाइल फोन फैक्ट्री खोली है। देश की ही ओला इलेक्ट्रिक मोबिलिटी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने दुनिया की सबसे ज्यादा इलेक्ट्रिक स्कूटर बनाने वाली फैक्टरी को स्थापित करने का लक्ष्य रखा है। सरकार लोगों को दूरदराज के इलाकों तक कनेक्टिविटी उपलब्ध कराने पर भी काम कर रही है। सड़क परिवहन मंत्रालय सरकार की 106 अरब डॉलर की भारतमाला योजना के तहत साल 2022 तक 83,677 किलोमीटर (52,005 मील) सड़कों के निर्माण के लिए 11 ग्रीनफील्ड परियोजनाओं को डिजाइन करने के लिए पोर्टल का इस्तेमाल कर रहा है।

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