PK ने दलित समाज से अध्यक्ष क्यों नहीं बनाया: उदय सिंह बोले–बिहार में जो किया देश में उसका उल्टा कर रहे हैं; RCP की बड़ी भूमिका होगी – Bihar News h3>
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प्रशांत किशोर ने भरोसा दिया था कि वे पार्टी में आबादी के हिसाब से हिस्सेदारी देंगे, लेकिन राष्ट्रीय अध्यक्ष पद में उन्होंने ये नियम क्यों नहीं माना? इस सवाल पर एक दिन पहले पार्टी के अध्यक्ष बने उदय सिंह ने कहा, ‘राज्य के स्तर पर जो सीढ़ी शुरू हुई है,
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NEWS4SOCIALसे एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में उन्होंने कहा, ‘अगर प्रदेश स्तर पर किसी दलित व्यक्ति को अध्यक्ष बनाया गया है, तो यहां सवर्ण समाज की बारी सबसे आखिर में आएगी। राष्ट्रीय स्तर पर हम सवर्ण से शुरू किए हैं, इसके बाद दलित की बारी आएगी। बिहार में जो हम कह रहे हैं, राष्ट्रीय स्तर पर उसका उल्टा होगा।’
साथ ही दो दिन पहले पार्टी जॉइन किए और कभी सीएम नीतीश कुमार के भरोसेमंद रहे RCP सिंह के बारे में उन्होंने बताया कि पार्टी में जल्द उन्हें बड़ी भूमिका दी जाएगी। पढ़िए और देखिए उदय सिंह का एक्सक्लूसिव इंटरव्यू…
सवाल- प्रशांत किशोर बोले थे, आबादी के हिसाब से पद देंगे, पर अब उन्होंने इस नियम को बदल दिया?
जवाब- राज्य के स्तर पर जो सीढ़ी शुरू हुई है, राष्ट्रीय स्तर पर इस सीढ़ी को उलटना भी चाहिए न। केवल मैं बना हूं, इसके लिए नहीं। अगर प्रदेश स्तर पर किसी दलित समाज के सम्मानित व्यक्ति को अध्यक्ष बनाया गया है, तो यहां सवर्ण समाज की बारी सबसे आखिर में आएगी। राष्ट्रीय स्तर पर हम सवर्ण से शुरू करते हैं, इसके बाद दलित की बारी आएगी। बिहार में जो हम कह रहे हैं, राष्ट्रीय स्तर पर उसका उल्टा होगा।
सवाल- आपकी राष्ट्रीय कमेटी कब बनेगी? RCP सिंह की उसमें क्या भूमिका होगी?
जवाब- RCP सिंह की बहुत बड़ी भूमिका होगी। RCP सिंह के पास राजनीति में लंबा अनुभव रहा है। इसका इस्तेमाल वे जनसुराज के लिए करेंगे। कई मामलों में वे मेरे से ज्यादा अनुभव रखते हैं। सभी की भूमिका होगी। टीम मेरी बनी हुई है। राष्ट्रीय कार्यकारिणी का गठन इन्हीं लोगों के साथ होगा।
प्रशांत किशोर ने कुछ दिन पहले ही नीतीश कुमार के कभी भरोसेमंद रहे RCP सिंह को पार्टी में शामिल कराया था। उसके बाद उदय सिंह को राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिया गया।
सवाल- यूथ विंग के अध्यक्ष आनंद मिश्रा ने आरोप लगाया है कि प्रशांत किशोर डिक्टेट करते हैं, क्या ये सही है?
जवाब – आनंद मिश्रा असम में IPS थे। वे खुद बोल चुके हैं कि बीजेपी के लिए नौकरी छोड़ कर आया हूं, बीजेपी से चुनाव लड़ूंगा। क्या उनके अंदर मानसिक अस्थिरता की कमी है। जब वे बीजेपी के लिए आए थे तो जनसुराज में क्यों आए।
अगर जनसुराज में आए तो हमने उन्हें सक्षम व्यक्ति समझकर जिम्मेदारी दी। प्रशांत किशोर के पास यूथ विंग को चलाने का अनुभव ज्यादा होगा कि आनंद मिश्रा को। ऐसे में अगर उन्हें पार्टी के लोग सलाह दें तो पार्टी छोड़ने के लिए वे इसे बहाना बना लें। उन्हें मनमानी करने दिया जाता तो फिर वे यहीं रहते। अब मुझे ही प्रशांत किशोर सलाह देंगे तो इस्तीफा थोड़ी न दे देंगे।
सवाल- बतौर राष्ट्रीय अध्यक्ष फैसले आप लेंगे, सलाह प्रशांत किशोर देंगे, ये माना जाए?
जवाब- फैसला सामूहिक होगा। फैसला एक व्यक्ति का नहीं होगा। बीजेपी के बारे में कहा जाता था पार्टी विद डिफरेंस। उसमें डिफरेंस ये होता था कि निर्णय के बाद उस निर्णय को पार्टी के भीतर कोई चुनौती नहीं देता था। निर्णय लेने के पहले पूरी पंचायत बैठती थी। अब क्या हो गया है बीजेपी में, हाईकमान फैसला करता है। यहीं के अध्यक्ष से पूछ लीजिए कि वे कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेंगे।
सवाल- जनसुराज विधानसभा चुनाव के लिए अपने कैंडिडेट की घोषणा कब तक करेगी?
जवाब- ये एक स्ट्रैटेजिक डिसिजन होगा। पहले हम घोषणा करेंगे या उचित समय का इंतजार करेंगे। अभी इस पर कुछ नहीं कहेंगे। हालांकि, पहले प्रशांत जी ने ये बात कही थी कि जून में कैंडिडेट की घोषणा करेंगे, फिलहाल ये संभव नहीं है। परिस्थितियां तेजी से बदलते रहती हैं। हो सकता है कुछ जगहों पर हम तब तक इंतजार करें जब तक नॉमिनेशन न शुरू हो जाए। ये हमारा इंटरनल डिसीजन होगा।
सवाल- आप जनसुराज में सीधे राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में जॉइन किए, क्यों?
जवाब- हां, कुछ लोगों के लिए ये हैरानी की बात जरूर हो सकती है। जब जनसुराज अभियान की कल्पना हुई थी, तब से मैं इस सोच के साथ प्रशांत जी के साथ जुड़ा हूं। ये हमलोगों की सामूहिक सोच थी। बिहार में परिवर्तन लाने के लिए एक योजना बनाई गई।
उस दौरान दिमाग में नहीं था कि ये एक पॉलिटिकल पार्टी बन जाएगी। हमलोगों की इच्छा थी कि बिहार के लोग अपने अधिकार को समझें, उन्हें अपने नजरिए से देखें। इसलिए जनसुराज अभियान की इस यात्रा के साथ मैं रहा हूं। मुझे ये जिम्मेदारी सौंपने का निर्णय प्रशांत किशोर और कोर कमेटी की सामूहिक सोच का फैसला रही। मेरे लिए भी ये निर्णय ले पाना बहुत आसान नहीं था। काफी सोच-समझकर निर्णय लिया हूं।
सवाल- क्या आपकी कंपनी जनसुराज से जुड़े एंप्लॉयी को सैलरी दे रही है?
जवाब- जॉय ऑफ गिविंग कंपनी थी, जिसमें लोग स्वेच्छा से कुछ पैसे जमा किया करते थे। जनसुराज अभियान के तहत प्रशांत जी स्कूल, मदरसा, स्टूडेंट्स, सड़क, पुल बनाने के लिए अनुदान दे रहे थे। ऐसी सारी चीजों के लिए प्रशांत जी को कहीं से पैसा आ रहा होगा।
जॉय ऑफ गिविंग एक व्यवस्थित कंपनी है। इसमें न कहीं से दो नंबर का पैसा आता है और न दो नंबर का पैसा खर्च होता है। इसका रिटर्न जमा होता है। इस व्यवस्था को चलाने में मेरा योगदान था तो इसमें क्या गड़बड़ी है। वे तो सरकार में हैं, इसकी जांच करवा लें।
सवाल- प्रशांत किशोर पर भरोसा क्यों है, जो आप इतना बड़ा इन्वेस्टमेंट कर रहे हैं ?
जवाब- इन्वेस्टेमेंट की बात हटा दीजिए। मानसिक तौर पर मेरा इन्वेस्टमेंट है। इसके अलावा किसी भी तरह के इन्वेस्टमेंट की बात निराधार है। न मैंने प्रशांत किशोर पर विश्वास किया है और न उन्होंने मेरे ऊपर किया है। हम दोनों ने एक राह पर चलने का फैसला इसलिए लिया कि बिहार को बदलने की राह दोनों की एक है।
सवाल- प्रशांत किशोर के पॉलिटिकल स्टार्टअप में आप खुद को सेट कर पाएंगे?
जवाब- मैं इससे 16 आने सहमत हूं। स्टार्टअप को चलाने वाले अगर बिल्कुल नवसिखुआ हो तो दुर्घाटना के चांसेज बढ़ जाते हैं। इसलिए अगर हमलोगों के अनुभव से इस नए स्टार्टअप को लाभ मिलता है तो बहुत खुशि की बात है। इसमें कोई दिक्कत नहीं है।
सवाल- फाउंडिंग मेंबर को पार्टी जॉइन करने में एक साल क्यों लग गए?
जवाब- ये सही है कि पार्टी के किसी भी पब्लिक फोरम में नहीं दिखा हूं, इसके दो कारण हैं। एक तो मेरी अपनी व्यस्तता रही है। दूसरी- पिछले कुछ महीने से मैं अपने घुटने के कारण परेशान रहा हूं। इस कारण भी बहुत जगह शारीरिक रूप से बैठक में शामिल नहीं हो पाया। लेकिन ये कहना गलत है कि मैंने कल ही जनसुराज जॉइन किया है।
सवाल- बतौर राष्ट्रीय अध्यक्ष आपकी भूमिका तय की गई है?
जवाब- राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर जो भी काम किसी अन्य दल में होता है, वही काम मैं भी करूंगा। मेरी जिम्मेदारी का एक हिस्सा ये भी होगा कि जो लोग भी भावनात्मक रूप से जनसुराज के साथ जुड़े हैं, उनमें और ऊर्जा कैसे लाई जाए। उनको कैसे उस काम पर लगाया जाए। हमारा बस एक ही काम है जनसुराज की सोच, इनके वादे को 14 करोड़ लोगों तक पहुंचाना।
उदय सिंह के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद PK ने कहा, ‘अब मेरे कंधे का बोझ कम करने का समय आ गया है। जनसुराज को बनाने में उदय जी का साथ रहा है। उम्र और अनुभव में भी बड़े हैं।’
सवाल- आप या आपके परिवार से कोई विधानसभा का चुनाव लड़ेंगे?
जवाब- नहीं, सवाल ही नहीं उठता है। विधानसभा का चुनाव न मैं लड़ूंगा और न ही मेरे परिवार से ही कोई लड़ेगा। आजकल हो ये रहा है कि जब मैं दिल्ली से पटना आता हूं तो मेरे साथ मेरा बेटा आ जाता है तो कुछ लोगों को लगता है कि क्या मेरा लड़का चुनाव लड़ेगा। मुझे नहीं लगता कि मेरा बेटा 2025 का चुनाव लड़ना चाहता है।
सवाल- क्या आप पूर्णिया से एक बार फिर से चुनाव लड़ेंगे ?
जवाब- 2029 अभी बहुत दूर है, मेरी उम्र अब घटेगी नहीं। बढ़ेगी। 2029 में देखा जाएगा, क्या करना है। पूर्णिया मेरे रोम-रोम में बसता है। मेरा पैतृक जिला बांका है, लेकिन मैं पूर्णिया से लड़ता हूं। 1977 से मेरा यहां से लगाव बना ये मेरे जीवन के आखिरी सांस तक रहेगा। 2029 में क्या होगा ये 2025 में नहीं बता सकता हूं।
सवाल- जदयू आरोप लगा रही है, आपकी कंपनी प्रशांत किशोर को फंड कर रही है, इसमें कितनी सच्चाई है?
जवाब- ये हरकत जदयू के लोगों की नीच मानसिकता को दिखाता है। ये लोग वैनिटी वैन पर विवाद कर रहे हैं, जिसमें एक शौचालय है। मैं चुनाव खर्च की राशि भी बैंक से निकालता हूं। मेरी अपनी कंपनी है। मैं इतने लंबे समय से राजनीति कर रहा हूं, कोई नहीं कह सकता कि मैंने किसी से पैसा लिया है।
सवाल- इस पार्टी में नेता कम प्रोफेशनल ज्यादा फैसले ले रहे हैं, इसे कैसे देखते हैं?
जवाब- ये जो आलोचना हो रही है, बिल्कुल निराधार है। गलत है। दो साल से भी कम समय में जनसुराज जैसी बड़ी व्यवस्था बन गई है। जिन्हें प्रोफेशनल कहा जा रहा है, वे लोग भी कहीं न कहीं राजनीति में इच्छुक हैं। लोगों को ढूंढ़ कर निकालना, एक व्यवस्था खड़ी करना आसान है क्या। बिहार के लोगों को चुनाव के बाद ये सोचना पड़ेगा कि व्यवस्था के मामले में बीजेपी बड़ी है या जनसुराज। जनसुराज की व्यवस्था काफी विशाल हो गई है।
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