पैट्रोल-डीजल के बढ़ते दाम, सिर्फ टैक्स लगाना है सरकार का काम , जनता रो रही है. सवाल वहीं ? क्या सरकार सो रही है !
देश के इतिहास में पहली बार पैट्रोल के रेट देश के कई हिस्सों में 100 रूपये से ज्यादा के हो गए हैं. अगर अपने भारत देश की बात करें, तो यहाँ पर बहुत बड़ी संख्या में लोग, गरीबी रेखा से नीचे जीने पर मजबूर है. देश के मध्यवर्ग पर पैट्रोल की कीमतों में बढ़ोत्तरी का सीधा प्रभाव पड़ता है.
सरकार की तरफ से तर्क दिया जा रहा है कि अंतराष्ट्रीय बाजारों में तेल के दाम बढ़ने की वजह से भारत में तेल के दाम बढ़ते जा रहे हैं. आपकी जानकारी के लिए बता दें, वर्तमान समय में अंतराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 60 डॉलर से लेकर 65 डॉलर के आस पास है. जबकि भारत के कई हिस्सों में तेल की कीमते 100 रूपये को पार कर गई हैं. अगर वर्तमान समय के अंतराष्ट्रीय बाजार के भाव की तुलना यदि कांग्रेस सरकार के समय से करें, तो कच्चे तेल की कीमतें 100 डॉलर से भी अधिक पँहुच गई थी. लेकिन उस समय भी तेल की कीमत 60 से 80 रूपये के आस-पास ही थी. पैट्रोल और डीजल के दाम बढ़ने का सीधा सा कारण सरकार द्वारा बढाया गया टैक्स है. इल्जाम पहले की सरकारों पर लगा दिए जाते हैं.
दुर्भाग्य ये है कि अंतराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमत कम होने के बाद भी तेल के दाम कभी कम नहीं होते. लेकिन जहाँ चुनाव होता है, तेल के दाम कम कर दिए जाते हैं. तेल का जो आधार मूल्य है, उसके दोगुने से भी अधिक सरकार द्वारा टैक्स लिया जाता है. जिसका सीधा असर जनता की जेब पर पड़ता है. एक लौकतांत्रिक देश के नागरिक होने के नाते , जनता द्वारा चुनी हुई सरकार से सवाल पूछने का हमारा नैतिक और संवैधानिक हक भी बनता है.
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इसी के साथ हम सरकार से अनुरोध करते हैं कि कोरोना काल में गरीब, मजदूर और मध्यवर्ग के लोगों ने जिस तरह की कठिनाइयां और आर्थिक हालातों का सामना किया है. वो शायद पैट्रोल-डीजल और महंगाई की मार ना झेल पाएंगें. उनकी तरफ ध्यान देते हुए सरकार को उनको राहत देनी चाहिएं.